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शिवभक्तों को धामी सरकार की सौगात, ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव के लिए बनेगा रोपवे, 20 मिनट में पहुंचेंगे मंदिर

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Published : Apr 18, 2023, 8:18 PM IST

Updated : Apr 19, 2023, 12:34 PM IST

मंगलवार शाम सचिवालय में हुई धामी सरकार की कैबिनेट बैठक में लिए गए 21 फैसलों में से एक फैसला धार्मिक और पर्यटन भी दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण रहा. तीर्थनगरी ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर तक रोपवे निर्माण को हरी झंडी दे दी गई है. इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए ₹455 करोड़ का प्रावधान रखा गया है.

Rishikesh to Neelkanth Temple Ropeway
Rishikesh to Neelkanth Temple Ropeway

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में कुल 21 फैसलों पर मुहर लगाई है. कैबिनेट की बैठक में वैसे तो कई महत्वपूर्ण फैसले हुए लेकिन प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के लिए बैठक में एक बड़ा और अच्छा फैसला लिया गया है. दरअसल, ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर तक रोपवे प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिल गया है.

हालांकि, राज्य सरकार की सूची में केदारनाथ, सुरकंडा देवी और कुमाऊं के मंदिरों सहित नीलकंठ भी पहले से ही शामिल था, लेकिन आज की कैबिनेट मीटिंग में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी मिली गई है. अब जल्द ही ऋषिकेश से नीलकंठ जाने वाले शिव भक्तों को एक नई सौगात मिलने जा रही है.

उत्तराखंड में कई शिव मंदिर मौजूद हैं, जिसमें से नीलकंठ एक महत्वपूर्ण मंदिर है. नील पर्वत पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से विष निकला तो पूरे ब्रह्मांड में इस बात की चर्चा होने लगी कि अगर यह विष सही स्थान पर नहीं पहुंचा तो प्रलय आ जाएगी. इसके बाद भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था.
पढ़ें- Uttarakhand Cabinet Meeting: हाईवे किनारे भवन बनाने के लिए नक्शा जरूरी, शराब पर VAT 20 से घाटकर 12% किया

इसके बाद भगवान शिव इस विष के प्रकोप से बेहद परेशान हो गए थे और स्वयं को शांत करने के लिए महादेव नील पर्वत आए थे. यहीं पर भगवान शिव ने उस दौरान समय बिताया था. ऋषिकेश से लगभग 1 घंटे की पहाड़ की चढ़ाई चढ़कर शिवभक्त इस मंदिर तक पहुंचते हैं. सावन के महीने में कांवड़िए लाखों की तादाद में रोजाना यहां पहुंचते हैं.

ऐसे में राज्य सरकार को यही लगता है कि जितने भी मंदिर पर्वतों पर स्थित हैं, वहां पर भक्तों की सुविधा के अनुसार सड़क मार्ग के साथ-साथ रोपवे में भी बनवाया जाए. यही कारण है कि केदारनाथ हो या सुरकंडा देवी या फिर अन्य दूसरे पर्वतों पर स्थापित धामों में राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था करने जा रही है.
पढ़ें- Yamunotri Ropeway Project: 167 करोड़ की लागत से बनेगा मोनो-केबल डिटैचेबल रोपवे, MoU साइन

प्रस्तावित प्रोजेक्ट नीलकंठ धाम में बनने जा रहे रोपवे की दूरी लगभग 36 किलोमीटर की होगी, जबकि रोपवे से उतरने के बाद भी भक्तों को कुछ दूरी तक पैदल सफर करना पड़ेगा. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए 455 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. रोपवे के जरिए ऋषिकेश से नीलकंठ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को मात्र 20 से 22 मिनट का समय लगेगा. इस सफर के दौरान भक्त नीचे बहती मां गंगा के दर्शन के साथ खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.

गौर हो कि, नियोजन विभाग से पहले ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई थी और अब कैबिनेट बैठक में भी इसको हरी झंडी दे दी गई है. चारधाम यात्रा के लिहाज से भी ऋषिकेश शहर बेहद महत्वपूर्ण है, लिहाजा राज्य और केंद्र सरकार ऋषिकेश और हरिद्वार में कई ऐसी परियोजनाएं शुरू करने जा रही है ताकि आने वाले समय में लाखों श्रद्धालुओं को इसका फायदा मिल सके.

मौजूदा समय में लंबे जाम और सुविधा के नाम पर खानापूर्ति राज्य सरकार की खूब किरकिरी करवाती है, ऐसे में पर्यटन विभाग और अन्य विभाग अब यह चाहते हैं कि हरिद्वार और ऋषिकेश को श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक और बनाया जाए.

देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने आज कैबिनेट बैठक में कुल 21 फैसलों पर मुहर लगाई है. कैबिनेट की बैठक में वैसे तो कई महत्वपूर्ण फैसले हुए लेकिन प्रदेश में आने वाले पर्यटकों के लिए बैठक में एक बड़ा और अच्छा फैसला लिया गया है. दरअसल, ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव मंदिर तक रोपवे प्रोजेक्ट को ग्रीन सिग्नल मिल गया है.

हालांकि, राज्य सरकार की सूची में केदारनाथ, सुरकंडा देवी और कुमाऊं के मंदिरों सहित नीलकंठ भी पहले से ही शामिल था, लेकिन आज की कैबिनेट मीटिंग में इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी भी मिली गई है. अब जल्द ही ऋषिकेश से नीलकंठ जाने वाले शिव भक्तों को एक नई सौगात मिलने जा रही है.

उत्तराखंड में कई शिव मंदिर मौजूद हैं, जिसमें से नीलकंठ एक महत्वपूर्ण मंदिर है. नील पर्वत पर स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन के दौरान समुद्र में से विष निकला तो पूरे ब्रह्मांड में इस बात की चर्चा होने लगी कि अगर यह विष सही स्थान पर नहीं पहुंचा तो प्रलय आ जाएगी. इसके बाद भगवान शिव ने इस विष को ग्रहण किया था.
पढ़ें- Uttarakhand Cabinet Meeting: हाईवे किनारे भवन बनाने के लिए नक्शा जरूरी, शराब पर VAT 20 से घाटकर 12% किया

इसके बाद भगवान शिव इस विष के प्रकोप से बेहद परेशान हो गए थे और स्वयं को शांत करने के लिए महादेव नील पर्वत आए थे. यहीं पर भगवान शिव ने उस दौरान समय बिताया था. ऋषिकेश से लगभग 1 घंटे की पहाड़ की चढ़ाई चढ़कर शिवभक्त इस मंदिर तक पहुंचते हैं. सावन के महीने में कांवड़िए लाखों की तादाद में रोजाना यहां पहुंचते हैं.

ऐसे में राज्य सरकार को यही लगता है कि जितने भी मंदिर पर्वतों पर स्थित हैं, वहां पर भक्तों की सुविधा के अनुसार सड़क मार्ग के साथ-साथ रोपवे में भी बनवाया जाए. यही कारण है कि केदारनाथ हो या सुरकंडा देवी या फिर अन्य दूसरे पर्वतों पर स्थापित धामों में राज्य सरकार इस तरह की व्यवस्था करने जा रही है.
पढ़ें- Yamunotri Ropeway Project: 167 करोड़ की लागत से बनेगा मोनो-केबल डिटैचेबल रोपवे, MoU साइन

प्रस्तावित प्रोजेक्ट नीलकंठ धाम में बनने जा रहे रोपवे की दूरी लगभग 36 किलोमीटर की होगी, जबकि रोपवे से उतरने के बाद भी भक्तों को कुछ दूरी तक पैदल सफर करना पड़ेगा. शुरुआत में इस प्रोजेक्ट के लिए 455 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है. रोपवे के जरिए ऋषिकेश से नीलकंठ मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को मात्र 20 से 22 मिनट का समय लगेगा. इस सफर के दौरान भक्त नीचे बहती मां गंगा के दर्शन के साथ खूबसूरत वादियों का दीदार कर सकेंगे.

गौर हो कि, नियोजन विभाग से पहले ही इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई थी और अब कैबिनेट बैठक में भी इसको हरी झंडी दे दी गई है. चारधाम यात्रा के लिहाज से भी ऋषिकेश शहर बेहद महत्वपूर्ण है, लिहाजा राज्य और केंद्र सरकार ऋषिकेश और हरिद्वार में कई ऐसी परियोजनाएं शुरू करने जा रही है ताकि आने वाले समय में लाखों श्रद्धालुओं को इसका फायदा मिल सके.

मौजूदा समय में लंबे जाम और सुविधा के नाम पर खानापूर्ति राज्य सरकार की खूब किरकिरी करवाती है, ऐसे में पर्यटन विभाग और अन्य विभाग अब यह चाहते हैं कि हरिद्वार और ऋषिकेश को श्रद्धालुओं के लिए सुविधाजनक और बनाया जाए.

Last Updated : Apr 19, 2023, 12:34 PM IST
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