विकासनगरः जौनसार बाबर के त्यूनी तहसील के चिल्हाड़-बाणाधार के लिए रोडवेज बस सेवा शुरू हो गई है. यह बस सेवा चिल्हाड़ से त्यूनी-वाया मीनस-विकासनगर होते हुए देहरादून तक चलेगी. पहली बार रोडवेज बस के गांव पहुंचने पर ग्रामीण खुशी से झूम उठे. इतना ही नहीं ग्रामीणों ने चालक और परिचालक फूल मालाओं से स्वागत भी किया. ग्रामीणों का कहना है कि रोडवेज बस सेवा दूर दराज की जनता को आवाजाही में आसानी होगी.
दरअसल, बीते दिनों जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने देहरादून जिला मुख्यालय से करीब 170 किलोमीटर दूर जौनसार के दूरस्थ चिल्हाड पंचायत का दौरा किया था. जहां उन्होंने जनता के द्वार कार्यक्रम के तहत जन समस्याएं सुनी थी. जिसमें चिल्हाड़-बाणा पंचायत के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से सार्वजनिक परिवहन सेवा की कमी के चलते आवागमन में हो रही परेशानी से अवगत कराया था. ग्रामीणों ने देहरादून से वाया मीनस-त्यूनी होकर चिल्हाड़ बाणाधार के लिए सीधी रोडवेज सेवा शुरू करने की पुरजोर तरीके से मांग की थी.
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वहीं, ग्रामीणों की पहल रंग लाई और 5 दिन के बाद ही जनता की मांग पर जिलाधिकारी राजेश कुमार के निर्देश पर परिवहन निगम ने पर्वतीय डिपो देहरादून से चिल्हाड़-बाणाधार के लिए रोडवेज सेवा शुरू की. डीएम आर राजेश कुमार ने भी कहा कि 'निजी ऑपरेटरों ने भी 5 साल पहले एक दुर्घटना के बाद क्षेत्र में अपनी सेवाएं बंद कर दी थी'. अब ग्रामीणों को रोडवेज बस सेवा का लाभ मिलेगा. वहीं, चिल्हाड़ के प्रधान नवप्रभात, क्षेत्र पंचायत सदस्य गीतांजलि बिज्लवान, मोहनलाल बिज्लवान, पितांबर दत्त बिज्लवान आदि का कहना है कि डीएम ने ग्रामीणों से किया अपना वादा निभाया. उन्होंने डीएम राजेश कुमार आभार भी जताया.
गुम्मा बस हादसे ने दिया गहरा जख्मः बता दें कि 20 अप्रैल 2017 को त्यूनी-मीनस मोटर मार्ग पर हिमाचल के गुम्मा के पास एक बस हादसा हुआ था. हादसे में बस सवार 45 लोगों की जान चली गई थी. इतना ही नहीं टौंस नदी लाशों से भर गई थी. हादसे में सिर्फ दो लोग ही जिंदा बच सके. जिसमें परिचालक और एक अन्य शख्स शामिल थे. जो खिड़की के पास खड़े थे और छलांग लगाकर अपनी जान बचाई थी. यह निजी बस विकासनगर से सवारियों को लेकर निकली थी, लेकिन गुम्मा के पास पहुंचते ही चालक ने नियंत्रण खो दिया. जिससे बस में सवार सभी लोग बस समेत करीब 800 मीटर टौंस नदी में जा गिरे.
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हादसा इतना भयानक था कि जोरदार धमाके के साथ बस के परखच्चे उड़ गए. गहरी खाई होने के कारण करीब डेढ़ घंटे बाद रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची. बस के मलबे से लोगों को बाहर निकालना शुरू किया, लेकिन सबको निराशा ही हाथ लगी. सभी बच्चे, महिलाएं और पुरुष दम तोड़ चुके थे. इस हादसे में में 45 लोगों की जान चली गई थी. जिसमें 30 पुरुष और 15 महिलाएं थे. इनमें चार बच्चे और पांच नाबालिग भी शामिल थे. जो इस हादसे का शिकार हुए.
गुम्मा हादसे के बाद प्राइवेट बसों का संचालन बंदः इस दर्दनाक हादसे के बाद लोगों ने प्राइवेट बसों के खिलाफ आक्रोश जताया था. साथ ही प्रदर्शन कर प्राइवेट बसों के संचालन पर रोक लगाने के मांग की थी. इतना ही नहीं सरकार ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए कुछेक बसों को छोड़कर बाकी प्राइवेट बसों के संचालन पर रोक लगा दी. साथ ही रोडवेज बसों की सेवाएं शुरू की, लेकिन रोजवेड की सेवा सभी रूटों पर नहीं थी. जब से प्राइवेट बसों का संचालन लगभग बंद हुआ, उसके बाद हादसों में कमी देखने को मिली.
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प्राइवेट बसों से ज्यादा हुए हादसेः बता दें कि त्यूनी एक व्यापारिक केंद्र बिंदु हैं. जहां हिमाचल प्रदेश, उत्तरकाशी, देहरादून जिले के जौनसार बावर के लोग जरूरी सामान आदि की खरीददारी करने आते हैं. यहां से ही लोगों के विभिन्न गंतव्यों के लिए रास्ता भी जाता है. ऐसे में यहां के लिए देहरादून और विकासनगर से कई प्राइवेट बसों का संचालन होता था. गुम्मा बस हादसे से पहले कई प्राइवेट बसों का संचालन होता था. जो ठूंस-ठूस कर यात्रियों को भरते थे. साथ ही मैंटनेंस आदि का भी ध्यान नहीं रखा जाता था. ऐसे में कई सड़क हादसे हो चुके हैं. जिसमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है.
त्यूनी के लिए मुख्यत दो रूट हैं. जिसमें एक विकासनगर-चकराता-त्यूनी है. जबकि, दूसरा विकासनगर-वाया मीनस-अटाल-त्यूनी है. मीनस रूट बेहद खतरनाक रास्तों से होकर गुजरता है. जो हिमाचल के सीमा में भी प्रवेश होती है. जबकि, नीचे गहरी खाई होने के साथ टौंस नदी भी बहती है. ऐसे में अगर कोई हादसा हो जाए तो जान बचना भगवान भरोसे है. लिहाजा, यहां पर सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखकर आवाजाही करनी पड़ती है.