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दून में रोड सेफ्टी संवाद का आयोजन, उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा से ज्यादा खतरनाक सड़क हादसे - सड़क हादसों से जुड़े मुद्दों पर हुई चर्चा

उत्तराखंड में दिनों दिन सड़क दुर्घटनाएं (road accidents in uttarakhand) बढ़ रही हैं. इसे लेकर देहरादून में रोड सेफ्टी संवाद का आयोजन किया गया. इस दौरान बुद्धिजीवियों ने इस पर अपने विचार रखे.

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देहरादून में किया गया रोड सेफ्टी संवाद का आयोजन
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Published : Nov 28, 2022, 4:03 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा पर आधारित रोड सेफ्टी संवाद (road safety dialogue in dehradun) का आयोजन किया गया. जिसमें सड़क हादसों से कैसे उभरेगा उत्तराखंड विषय पर वक्ताओं ने चर्चा की. इसके साथ ही स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने भी इंटरएक्टिव संवाद (Interactive Dialogue in Dehradun) में भाग लिया.

रोड सेफ्टी संवाद में न्यूरो सर्जन और सीएमआई अस्पताल के डायरेक्टर डॉ महेश कुड़ियाल, को होस्ट में फाउंडर एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल, पैनलिस्ट इंस्पेक्टर ललिता नेगी पीआरओ एसडीआरएफ भी शामिल हुईं. इस मौके पर न्यूरो सर्जन डॉक्टर महेश कुड़ियाल ने कहा बीते कुछ महीनों में उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट्स किसी बीमारी की तरह हैं, जैसे लंग कैंसर, माउथ कैंसर जैसी बीमारियों को गुटखा सिगरेट का सेवन ना करके प्रीवेंट किया जा सकता है, उसी प्रकार रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों को 80% तक प्रीवेंट किया जा सकता है.

सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के आंकड़ों को यदि एनालाइज करें तो सावधानियां बरतकर जैसे हेलमेट, सीट बेल्ट, लोग कार और टू व्हीलर में चलते हुए मोबाइल का इस्तेमाल ना करके सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक लगाम लगा सकते हैं. उन्होंने कहा एक्सीडेंट एक्ट और गॉड नहीं है बल्कि आपकी गलती से हुआ है.
पढ़ें- देहरादून के चंद्रमणि चौक पर ट्रक ने कई लोगों को कुचला, एक की मौत

एसडीआरएफ की महिला इंस्पेक्टर ललिता नेगी ने भी प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा हमारा राज्य आपदा के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील है, लेकिन विगत वर्षों में रोड एक्सीडेंट प्रमुख आपदा बनी है. उन्होंने बताया जितनी भी रेस्क्यू कॉल आती हैं उनमें से ज्यादातर कॉल रोड एक्सीडेंट से जुड़ी हुई होती हैं. इससे कई जानें भी जा रही हैं. इंस्पेक्टर ललिता नेगी ने कहा सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लोगों को जागरूक होना जरूरी है ताकि रोड एक्सीडेंट को प्रीवेंट किया जा सके.
पढ़ें- सीएम धामी ने वॉक रेस में नेशनल रिकॉर्ड धारी मानसी नेगी और सूरज पंवार को किया सम्मानित

गौरतलब है कि एसडीआरएफ के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट में अब तक जनवरी के महीने में 7 लोगों की मौत हुई जबकि 8 लोग जीवित बचे हैं. उसी प्रकार फरवरी में 12 लोगों की मौत हुई जबकि 25 लोग जीवित बचें है. मार्च में 6 लोगों की मौत हुई जबकि 17 लोग सड़क दुर्घटना में बच गए. अप्रैल में 7 लोगों की मौत हुई. 16 लोग बच गए. उसी प्रकार मई में 19 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जबकि 24 लोग बच गए. जून में 16 लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए. जुलाई में 7 लोगों की मौत हो गई. इसी प्रकार अगस्त में 3 लोगों की मौत हुई जबकि 19 लोग जीवित बच गए. सितंबर में हुई सड़क दुर्घटना में 16 लोगों की मौत हो गई जबकि 16 लोग जीवित बचे. अक्टूबर में रोड एक्सीडेंट में 3 लोग मारे गए जबकि 16 लोगों को रेस्क्यू करके बचा लिया गया.

देहरादून: उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा पर आधारित रोड सेफ्टी संवाद (road safety dialogue in dehradun) का आयोजन किया गया. जिसमें सड़क हादसों से कैसे उभरेगा उत्तराखंड विषय पर वक्ताओं ने चर्चा की. इसके साथ ही स्कूलों से आए विद्यार्थियों ने भी इंटरएक्टिव संवाद (Interactive Dialogue in Dehradun) में भाग लिया.

रोड सेफ्टी संवाद में न्यूरो सर्जन और सीएमआई अस्पताल के डायरेक्टर डॉ महेश कुड़ियाल, को होस्ट में फाउंडर एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल, पैनलिस्ट इंस्पेक्टर ललिता नेगी पीआरओ एसडीआरएफ भी शामिल हुईं. इस मौके पर न्यूरो सर्जन डॉक्टर महेश कुड़ियाल ने कहा बीते कुछ महीनों में उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट्स किसी बीमारी की तरह हैं, जैसे लंग कैंसर, माउथ कैंसर जैसी बीमारियों को गुटखा सिगरेट का सेवन ना करके प्रीवेंट किया जा सकता है, उसी प्रकार रोड एक्सीडेंट से होने वाली मौतों को 80% तक प्रीवेंट किया जा सकता है.

सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों के आंकड़ों को यदि एनालाइज करें तो सावधानियां बरतकर जैसे हेलमेट, सीट बेल्ट, लोग कार और टू व्हीलर में चलते हुए मोबाइल का इस्तेमाल ना करके सड़क दुर्घटनाओं पर कुछ हद तक लगाम लगा सकते हैं. उन्होंने कहा एक्सीडेंट एक्ट और गॉड नहीं है बल्कि आपकी गलती से हुआ है.
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एसडीआरएफ की महिला इंस्पेक्टर ललिता नेगी ने भी प्रदेश में बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा हमारा राज्य आपदा के दृष्टिकोण से अति संवेदनशील है, लेकिन विगत वर्षों में रोड एक्सीडेंट प्रमुख आपदा बनी है. उन्होंने बताया जितनी भी रेस्क्यू कॉल आती हैं उनमें से ज्यादातर कॉल रोड एक्सीडेंट से जुड़ी हुई होती हैं. इससे कई जानें भी जा रही हैं. इंस्पेक्टर ललिता नेगी ने कहा सड़क दुर्घटनाओं को लेकर लोगों को जागरूक होना जरूरी है ताकि रोड एक्सीडेंट को प्रीवेंट किया जा सके.
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गौरतलब है कि एसडीआरएफ के आंकड़ों के मुताबिक रोड एक्सीडेंट में अब तक जनवरी के महीने में 7 लोगों की मौत हुई जबकि 8 लोग जीवित बचे हैं. उसी प्रकार फरवरी में 12 लोगों की मौत हुई जबकि 25 लोग जीवित बचें है. मार्च में 6 लोगों की मौत हुई जबकि 17 लोग सड़क दुर्घटना में बच गए. अप्रैल में 7 लोगों की मौत हुई. 16 लोग बच गए. उसी प्रकार मई में 19 लोगों की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, जबकि 24 लोग बच गए. जून में 16 लोग सड़क दुर्घटना में मारे गए. जुलाई में 7 लोगों की मौत हो गई. इसी प्रकार अगस्त में 3 लोगों की मौत हुई जबकि 19 लोग जीवित बच गए. सितंबर में हुई सड़क दुर्घटना में 16 लोगों की मौत हो गई जबकि 16 लोग जीवित बचे. अक्टूबर में रोड एक्सीडेंट में 3 लोग मारे गए जबकि 16 लोगों को रेस्क्यू करके बचा लिया गया.

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