देहरादून: गंगोत्री हाईवे पर गंगनानी के पास गुजरात के यात्रियों से भरी बस खाई में गिरने से 7 लोगों की मौत हो गई थी. इस दर्दनाक हादसे में 28 लोग घायल हुए हैं. जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल और एम्स ऋषिकेश भेजा गया है. गुजरात के भावनगर के रहने वाले ये सभी यात्री गंगोत्री धाम के दर्शन कर वापस लौट रहे थे. तभी गंगनानी के पास संकरी सड़क और तीव्र मोड़ के कारण ये भयंकर हादसा हो गया.
रफ्तार बनी हादसे का कारण: घटना के प्रत्यक्षदर्शी की मानें तो चालक काफी तेज बस चला रहा था. यात्रियों ने कई बार इसके लिए चालक को टोका भी, मगर उसने किसी भी नहीं सुनी, जिसका अंजाम ये हुआ की चालक की गलती से भयंकर सड़क हादसा हो गया. जिसमें 7 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. जबकि कई लोग अभी भी अस्पताल में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं.
बस का कटा था चालान, कागज भी हैं सीज: जानकारी मिल रही है कि जिस बस के साथ यह हादसा हुआ है, उसका चंद दिनों पहले ही चालान कटा था. गाड़ी की आरसी और परमिट भी सीज किए गए थे. इसके बाद भी इस बस का धड़ल्ले से चारधाम यात्रा पर संचालन हो रहा था. इस मामले में उत्तरकाशी एसपी अर्पण यदुवंशी ने कहा इस मामले का जांच की जा रही है. साथ ही बताया यह भी जा रहा है कि हादसा सड़क खराब होने की वजह से भी हुआ. उत्तराखंड में इस तरह के सड़क हादसों का एक लंबा चौड़ा इतिहास है. उत्तराखंड में हर सड़क हादसे के बाद शासन प्रशासन और सरकारों की तरफ से तरह-तरह की पाबंदी तो लगाई ही जाती है, लेकिन वह धरातल पर कितनी उतर पाती है, यह हादसा भी उसका एक जीता जागता उदाहरण है.
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सड़क दुर्घटनाओं की वजह: साल 2010 में भी इसी जगह पर कांवड़ यात्रा के लिए उत्तरकाशी जल लेने आए कांवड़ियों का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. जिसमें 27 कांवड़ियों की मौत हो गई थी. बताया जाता है कि सड़क चौड़ी ना होने की वजह से इस इलाके में अक्सर ऐसे हादसे होते रहते हैं. उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं में हर साल ऐसे सड़क हादसे होते हैं. यह सड़क हादसे कभी ड्राइवर की तेज गति की वजह से, कभी शराब पीकर गाड़ी चलाने से, कभी खराब रोड की वजह से, कभी बिना फिटनेस की गाड़ी पहाड़ों पर दौड़ाने से होते हैं. इसके साथ ही तराई के ड्राइवरों के कम अनुभव भी हादसों का कारण बनते हैं.
सड़क हादसों में 4,821 लोगों की मौत: सड़क हादसों की अगर बात की जाए तो साल 2018 में उत्तराखंड में 1,468 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें 1,047 लोगों की मौत हुई थी. इसके साथ ही 2019 में 1,300 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुई. इन हादसों में 868 लोगों की मौत हुई थी. साल 2020 में यह आंकड़ा थोड़ा कम हुआ. इस साल 1,041 सड़क दुर्घटनाओं में 674 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. साल 2021 में उत्तराखंड में 1,400 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. इन हादसों में 820 मौतें हुई. साल 2022 में भी 1,500 सड़क दुर्घटनाएं हुईं. जिनमें 1,022 लोगों की जान चली गई. 2023 में जनवरी से अब तक 390 मौत सड़क हादसों में हो चुकी हैं. उत्तराखंड में सड़क हादसों की भयावह हकीकत क्या है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साल 2018 से लेकर साल 2022 तक 4,821 लोग इनमें अपनी जान गंवा चुके हैं. ये आंकड़े सड़क एवं परिवहन निगम द्वारा जारी किए गए हैं.
ब्लैक स्पॉट बन रहे हादसों की वजह: ऐसा नहीं है कि सरकार या शासन को यह नहीं मालूम कि सड़क हादसों की क्या वजह है और ये कहां पर होते हैं. राष्ट्रीय राजमार्ग और पीडब्ल्यूडी के मुताबिक उत्तराखंड में लगभग 163 ब्लैक स्पॉट हैं. इनकी संख्या पहले 200 से अधिक थी. बाद में 100 से ज्यादा ब्लैक स्पॉट को ठीक कर दिया गया. अभी अनेक ब्लैक स्पॉट उत्तराखंड की सड़कों पर मौजूद हैं. मानसून सीजन में इनकी संख्या बढ़ जाती है. कई जगहों पर भूस्खलन और मलबा आने की वजह से सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ जाती हैं. अकेले टिहरी गढ़वाल में ही 350 से ज्यादा संवेदनशील क्षेत्र चिह्नित किए गए हैं. उत्तरकाशी में भी 25 क्षेत्र संवेदनशील हैं. श्रीनगर में भी लगभग 7 जगहों पर सावधानी पूर्वक गाड़ी चलाने के निर्देश दिये गये हैं. राजधानी देहरादून में भी 49 जगह ऐसी हैं, जहां पर दुर्घटना होने की संभावना सबसे अधिक रहती है.
क्या होता ब्लैक स्पॉट: ब्लैक स्पॉट यानी वह जगह पर जहां पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. साल 2013 में सड़क सुरक्षा अधिनियम के तहत सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड राज्य के लिए एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे. जिसने यह पता लगाया कि प्रदेश में कौन-कौन सी ऐसी जगह हैं, जहां पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं हो रही हैं. उस जगह को ब्लैक स्पॉट का नाम दिया गया. बाद में सरकार ने इस पर काम करते हुए कई जगहों को व्यवस्थित किया. मगर आज भी आज भी उत्तराखंड में लगभग 163 ब्लैक स्पॉट मौजूद हैं.
सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस रहती है एक्टिव: उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार कहते हैं सड़क दुर्घटना ना हो इसके लिए पुलिस के स्तर पर हर तरह का अभियान चलाया जाता है. चारधाम यात्रा पर जाने वाले वाहनों के फिटनेस चेक का मामला हो या अन्य तरीके से सड़क दुर्घनाओं को रोकने के लिए हम लगातार काम करते रहते हैं. तेज गति से गाड़ी चलाने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है. गाड़ियां सीज की जाती हैं. उत्तरकाशी बस हादसे के बाद पुलिस ने लापरवाही का मुकदमा दर्ज किया है. साथ ही इस मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है.