ऋषिकेश: कोतवाली प्रभारी निरीक्षक रितेश शाह ने कोरोनाकाल में मानवता की मिसाल पेश की है. उन्होंने 93 वर्षीय कोरोना से ग्रसित बुजुर्ग की चिता को आग देकर बेटे का फर्ज निभाया. दरअसल, कोरोना वायरस से ग्रसित बुजुर्ग का कोई पुत्र नहीं था, जिसकी वजह से कोतवाल ने खुद मुखाग्नि दी.
ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में 93 वर्षीय एक बुजुर्ग की कोविड-19 की बीमारी के चलते मौत हो गई. बुजुर्ग का कोई पुत्र भी नहीं है. उनकी तीन बेटियां हैं, जो शहर से बाहर रहती हैं. ऐसे में ऋषिकेश कोतवाली पुलिस ने मानवता धर्म निभाया है. कोतवाल रितेश शाह ने जिम्मेदारी लेते हुए खुद पीपीई किट पहनकर बुजुर्ग को विधि विधान से मुखाग्नि देते हुए अंतिम संस्कार किया.
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पुलिस की इस कार्यशैली की शहर में जगह-जगह प्रशंसा हो रही है. वहीं, इस मामले में राजकीय चिकित्सालय के कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है. निर्धारित समय के अनुसार पुलिस पीपीई किट पहनकर सरकारी अस्पताल बॉडी लेने पहुंची, मगर एक घंटे के इंतजार के बाद भी पुलिस को बुजुर्ग की बॉडी नहीं दी गई. इस लापरवाही पर कोतवाल का पारा चढ़ गया. उन्होंने एसडीएम को शिकायत की. जिसके बाद एसडीएम ने कर्मचारियों को फटकार लगाई.