ऋषिकेश: थाना मुनि की रेती पुलिस ने साइबर अपराधियों पर शिकंजा कसते हुए ऑनलाइन धोखाधड़ी कर पैसे ठगने वाले दो ठगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने आरोपियों के पास से 6 मोबाइल, 5 ATM, चेकबुक, वॉक्सवेगन पोलो कार और 50 हजार रुपये नकद बरामद किये हैं. पुलिस ने दोनों आरोपियों को जेल भेज दिया है.
ऐसे की ठगी: टिहरी वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट के आदेश पर थाना मुनि की रेती पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 420 व 66 आईटी एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था. शिकायतकर्ता ने पुलिस को तहरीर में बताया कि उनके मोबाइल पर एक अनजान नंबर से फोन आया था. फोनकर्ता ने बताया कि वह बीमा कंपनी से बोल रहा है और आपकी पॉलिसी लैप्स चल रही है. अगर आप कुछ रुपये एलआईसी में जमा करवाते हैं तो आपका पूरा पैसा रिटर्न हो जाएगा. इस पर उसके द्वारा उक्त अज्ञात व्यक्ति के कहने में आकर अलग-अलग समय पर लगभग 6,23,000 रुपये इंडियन बैंक खाताधारक सुनील रावत पुत्र महेंद्र रावत निवासी f-371 रोहिणी सेक्टर 9 नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के खाते में डाल दिए गए. शिकायतकर्ता के पास अन्य मोबाइल नंबर से भी फोन आए, जिन्होंने अपने नाम सुनील रावत, अश्विनी नेगी व भगवानदास बताए थे.
ऐसे पकड़े गए साइबर ठग: इस मामले की सूचना प्रभारी निरीक्षक मुनी की रेती को प्राप्त हुई थी. जांच की कार्रवाई में विनय प्रताप सिंह निवासी 168-A गली नंबर-2 हरित विहार बुरारी नई दिल्ली और मोहम्मद आजाद अंसारी निवासी फ्लैट नंबर-1409 फ्लोर टावर-A डीएलएफ मोती महल दिल्ली को गिरफ्तार किया गया है. जिनके कब्जे से साइबर धोखाधड़ी से संबंधित एक कार पोलो फॉक्सवेगन, विनय प्रताप से 20 हजार रुपये नकद और आजाद अंसारी से 30 हजार रुपये नगद बरामद किए गए हैं. इसके अलावा इनके पास से धोखाधड़ी करने से संबंधित मोबाइल फोन, चेकबुक, पेनड्राइव, ATM कार्ड, आदि बरामद किए गए हैं.
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ऐसे बुनते थे ठगी का जाल: पूलिस की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे पहले इंडिया इन्फोलाइन कंपनी सेक्टर-63 नोएडा में कॉल सेंटर में एक साथ काम करते थे. वहीं दोनों की मुलाकात हुई. कम समय में ज्यादा पैसे कमाने की योजना बनाई. बहुत सारे लोग अपनी पॉलिसी किसी बीमा कंपनी में कराते हैं. या कुछ समय बाद किस्त जमा न कर पाने के कारण पॉलिसी लैप्स हो जाती है. अतः हम उन लोगों को फोन करके उन पॉलिसी के पैसे वापस कराए जाने के नाम पर उनके साथ धोखाधड़ी कर अच्छे पैसे कमा लेते हैं. हमने बीमा पॉलिसी को फिर से शुरू करने व उसका पैसा वापस दिलाने के नाम पर लोगों से ठगी करना शुरू किया. इसके लिए हम मोबाइल नंबर की एक सीरीज लेकर उस पर कॉल करते थे. कस्टमर से पूछते थे कि आपकी प्लान पॉलिसी है या नहीं अगर है तो कोई पॉलिसी लैप्स तो नहीं है. लैप्स होने की स्थिति में हम उन लोगों से पॉलिसी दोबारा शुरू करने और उनके पैसे वापस करने की बात कहते थे.
आरोपियों ने बताया कि वे अपने आप को बीमा लोकपाल विभाग के अधिकारी व सदस्य के रूप में अपना परिचय देते थे. कस्टमर के विश्वास होने पर हम लोग उनका अपना बैंक खाता डिटेल आदि देकर धोखे से उनके पैसे ट्रांसफर करवा लेते थे. इसके लिए हम अलग-अलग नामों के मोबाइल नंबरों का प्रयोग करते थे.