ऋषिकेश: मनुष्य के शरीर के औसत तापमान को लेकर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश (Rishikesh AIIMS) में एक चिकित्सा शोध (medical research) किया गया. इसमें सामने आया कि मनुष्य के शरीर का औसत तापमान (average human body temperature) 98.6 डिग्री फारेनहाइट नहीं बल्कि 98 डिग्री है. इस शोध ने निष्कर्ष निकाला है कि शरीर का तापमान 99.1 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होने पर ही बुखार के लक्षण (symptoms of fever) शुरू होते हैं. समीक्षा करने के लिए यह शोध प्री-प्रिंट जर्नल में प्रकाशित किया गया है. इसके बाद सार्वजनिक उपयोग के लिए ये लेख मुख्य पत्रिका में प्रकाशित किया जाएगा.
शरीर का सामान्य तापमान 98 डिग्री फारेनहाइट
अभीतक मनुष्य के शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट माना जाता है. यदि शरीर का तापमान इससे अधिक होगा तो मेडिकल भाषा में उसे बुखार आना कहते हैं. लेकिन एम्स ऋषिकेश ने इसको लेकर हाल में एक शोध किया है, जिसमें सामने आया है कि शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री नहीं बल्कि 98 डिग्री फारेनहाइट है.
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विशेष लक्षणों को ही बुखार समझना चाहिए
सामान्य तौर पर शरीर के तापमान में वृद्धि होने पर उसे बुखार समझ लिया जाता है, जबकि शरीर के कटऑफ तापमान में वृद्धि होने के साथ-साथ कुछ विशेष लक्षणों के उभरने पर ही उसे बुखार समझा जाना चाहिए. इसके साथ ही शरीर का कटऑफ तापमान भी माप की साइट और व्यक्ति के शरीर के अंगों के आधार पर अलग-अलग होता है.
इन प्रश्नों का उत्तर तलाशने के लिए एम्स ऋषिकेश (All India Institute of Medical Sciences) में जनरल मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पीके पंडा और उनकी शोध टीम के सदस्यों (डॉ. नितिन, डॉ. योगेश और डॉ. अजीत ) ने इस विषय पर एक अनुवर्ती अध्ययन (Rishikesh AIIMS research) किया. डॉ. पंडा ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति वर्षभर में कई बार बुखार की समस्या से ग्रसित रहता है, लिहाजा किए गए शोध का निष्कर्ष हम सभी के लिए महत्वपूर्ण है.
एक साल तक किया शोध
एम्स के शोधार्थियों ने एक साल इस विषय पर काफी शोध किया. शोध में कुल 144 प्रतिभागी शामिल किए गए थे. इन सभी प्रतिभागियों का पूरे साल तक प्रत्येक दिन न्यूनतम तीन बार तापमान रिकॉर्ड किया गया. इस प्रकार इस पूरे शोध में 23 हजार 851 आंकड़े दर्ज किए गए.
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144 लोगों पर किया गया अध्ययन
शोधार्थी डॉ. नितिन ने इस शोध के बारे में बताया कि रिसर्च में शामिल किए गए सभी 144 लोगों को तापमान मापने के लिए डिजिटल थर्मामीटर दिए गए थे. थर्मामीटर के साथ मुंह के तापमान की स्व-निगरानी का डेटा थर्मोमेट्री डायरी में रिकॉर्ड किया गया. विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता को देखते हुए इस रिसर्च में सामान्य लोगों, बुखार से ग्रसित लोगों और बुखार उतरने के बाद की स्थिति वाले लोगों पर 3 चरणों में डेटा एकत्रित किया गया, जिसमें पाया गया कि सभी प्रतिभागियों का औसत तापमान 100.25 डिग्री से 1.44 डिग्री कम या ज्यादा था, जबकि बुखार उतरने के बाद सामान्य स्थिति का तापमान 99.1 डिग्री पाया गया.
शोध के बाद बुखार की परिभाषा बदली
मतलब यह कि शरीर में मुंह का तापमान 99.1 डिग्री से अधिक होने पर ही उसे बुखार की परिभाषा में माना जा सकता है. रिसर्च टीम के हेड डा. पीके पंडा ने बताया कि महिला और पुरुषों में इसके एक समान ही रुझान थे, जबकि बुखार के बाद का तापमान बुखार से पहले के तापमान से अधिक था.
उन्होंने बताया कि इस शोध के आधार पर कहा जा सकता है कि पिछले 150 वर्षों के दौरान से व्यक्ति के शरीर का औसत तापमान लगातार कम होता प्रतीत हो रहा है. हालांकि इस मामले में उन्होंने अभी मनुष्य शरीर के तापमान के प्रमाणीकरण की आवश्यकता बताई है. उन्होंने बताया कि अभी इसका मूल्यांकन किया जाना शेष है. मूल्यांकन के बाद ही इसका नैदानिक अभ्यास में उपयोग किया जा सकेगा.
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1886 में वैज्ञानिक वन्डरलिक की रिसर्च
गौरतलब है कि वर्ष 1886 में वैज्ञानिक वन्डरलिक ने रिसर्च करने के बाद यह तथ्य उजागर किया था कि मनुष्य के शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फारेनहाइट होता है. तभी से इस तापमान को मनुष्य के शरीर का साधारण तापमान का मानक माना जाता है. इसके बाद वर्ष 1992 में इस विषय पर वैज्ञानिक मेकोवाईक ने भी एक अन्य शोध किया गया, जिसमें उन्होंने पाया कि मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 98.2 डिग्री है, जिसे साल 2020 में फिर से चुनौती दी गई.
वर्तमान अध्ययन का निष्कर्ष परिभाषित करता है कि मनुष्य का औसत मौखिक तापमान 98.0 डिग्री फारेनहाइट है. इसी प्रकार किए गए अध्ययन के आधार पर 1886 में बुखार को 100.4 डिग्री पर परिभाषित किया गया था. उसके बाद 1992 के अध्ययन में कहा गया कि शरीर का तापमान 99.9 डिग्री फारेनहाइट से अधिक होने पर बुखार होता है. हालांकि वर्तमान अध्ययन का निष्कर्ष तापमान 99.1 फारेनहाइट से अधिक होने पर ही बुखार को परिभाषित करता है.