देहरादून: वित्तीय वर्ष 2020-21 को खत्म होने में तीन महीने का वक्त रह गया है. ऐसे में शासन ने राजस्व विभाग से जुड़े मामलों के निपटारे जैसे राजस्व न्यायालयों में लंबित केस को निपटाने और राजस्व वसूली की लेकर सभी जिलों के जिलाधिकारियों, राजस्व अधिकारियों (तहसीलदार, उप जिलाधिकारियों और राजस्व परिषद के अधिकारियों) को सख्त दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.
शासन-प्रशासन की ओर से प्रदेश के सभी जनपदों के जिलाधिकारियों और राजस्व अधिकारियों को सख्त हिदायत देते हुए नियमित रूप से ग्रामीण इलाकों का भ्रमण करने को कहा गया है. इसके साथ ही अपने-अपने जनपदों में नियमित रूप से आम जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए नियमित रूप से तहसील दिवस मनाने के आदेश भी दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ राजस्व न्यायालयों को भी अविवादित विरासत और नामांतरण से जुड़े मामलों का समय से निस्तारण करने की भी सख्त हिदायत दी गई है.
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ईटीवी भारत से बात करते हुए राजस्व सचिव उत्तराखंड शासन सुशील कुमार ने बताया कि हाल ही में विभाग की ओर से तहसीलवार समीक्षा की गई थी. जिसमें तहसील कर्णप्रयाग, हरिद्वार, ज्वालापुर, ऋषिकेश और पिथौरागढ़ में यह पाया गया कि यहां इस वित्तीय वर्ष में अब तक महज 20 प्रतिशत अविवादित विरासत और नामांतरण से जुड़े मामलों का निस्तारण किया गया है.
ऐसे में विभाग की ओर से राजस्व परिषद को इन सभी तहसीलों के तहसीलदारों से स्पष्टीकरण लेते हुए इनकी चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रविष्टि देने के आदेश दिए गए हैं. वहीं दूसरी तरफ चकबंदी से जुड़े कार्यों में हो रही देरी को लेकर भी राजस्व विभाग सख्त रुख अख्तियार करता नजर आ रहा है. इसी के तहत साल 2008 से लंबित चल रहे चकबंदी से जुड़े मामलों को लेकर बाजपुर और हरिद्वार के चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ ही जल्द गाज गिर सकती है. विभाग की ओर से इन दोनों ही जगह के चकबंदी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए है.