देहरादून: दो दिन पहले जिन आंदोलनकारियों ने राजधानी की सड़कों पर अपना तीखा विरोध दिखाया है, क्या वो अब शांत हो गए हैं? क्या सरकार और मुख्यमंत्री धामी बेरोजगारों को मनाने में कामयाब हो गए हैं? ये कुछ ऐसा सवाल हैं जो आज उस वक्त खड़े हुए जब मुख्यमंत्री आवास में बेरोजगार संघ के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की. सीएम की ओर से कहा गया है कि इस मुलाकात के बाद छात्र मान गए हैं.
सीएम धामी की मानें तो बेरोजगार संगठन ने अनुरोध किया है कि बीते दिनों देहरादून में धरना प्रदर्शन के दौरान कुछ अभ्यर्थियों पर विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई चल रही है, उनको कल (रविवार, 12 फरवरी को) होने वाली लेखपाल भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए. इस मांग को मानते हुए मुख्यमंत्री ने डीजीपी अशोक कुमार को निर्देश दिए हैं कि इन छात्रों को लेखपाल भर्ती की लिखित परीक्षा देने के लिए निर्धारित परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने और वहां से लाने की व्यवस्था की जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा कि भर्ती प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य में नकल विरोधी अध्यादेश लागू किया जा चुका है. भर्ती परीक्षाओं में तेजी लाई जा रहा है. राज्य के युवाओं को लगातार रोजगार के अवसर मिलें, इसके लिए खाली पदों पर जल्द और विज्ञप्तियां निकाली जाएंगी. आगामी परीक्षाओं के लिए कैलेंडर जारी किया जा चुका है.
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इसके साथ ही सीएम धामी ने कहा कि राज्य में जो नकल विरोधी कानून लागू किया गया है, उसमें गड़बड़ी करने वालों को सख्त सजा का प्रावधान किया गया है. उन्होंने प्रदेश के सभी युवाओं से अपील की है कि पूरी मेहनत से परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं. बेरोजगार संघ के प्रतिनिधियों ने राज्य में सख्त नकल विरोधी अध्यादेश लागू किए जाने पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया है. भर्ती परीक्षाओं के लिए कैलेंडर जारी किए जाने की पहल की भी उन्होंने सराहना की है.
उत्तराखंड बेरोजगार संघ का बयान: वहीं, पूरे मामले में उत्तराखंड बेरोजगार संघ के सदस्य गणेश धामी ने बताया है कि सुबह मुख्यमंत्री से जो डेलिगेशन मिला था वह बेरोजगार संघ का नहीं था, कुछ पीसीएस परीक्षा से जुड़े छात्र भी थे और बाकी कुछ दूसरे लोग भी थे. मुलाकात के दौरान हमने सरकार को बता दिया कि हमारी मुख्य मांग बॉबी पवार और बाकी सभी 13 साथियों की जमानत और उनसे मुकदमा खत्म कराने की है और अब बॉबी पंवार के बाहर आने के बाद ही मुख्यमंत्री से बातचीत के बाद धरना स्थगित करने को लेकर कोई अंतिम फैसला होगा.
देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानूनः बीते रोज सरकार की ओर से भेजे गए उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश, 2023 को राज्यपाल ने 24 घंटे के भीतर मंजूरी दे दी है. इस Anti Copying Law को देश का सबसे कड़ा कानून बताया जा रहा है, जिसकी वजह है इसके सख्त नियम. अध्यादेश में सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है.
- ये गैर जमानती (Non-Bailable) अपराध माना जाएगा. अपराध संज्ञेय (Cognizable) और अशमनीय (Non-Compoundable) होगा.
- भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या गलत साधनों का प्रयोग करने में शामिल आरोपी को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी.
- 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ेगा.
- दोषियों की संपत्ति जब्त करने का भी सख्त प्रावधान है.
- अगर कोई अभ्यर्थी खुद नकल करते अथवा नकल कराते हुए गलत साधनों के साथ पकड़ा जाता है तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा होगी और कम से कम पांच लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
- अभ्यर्थी नकल करता पकड़ा गया तो आरोप पत्र दाखिल होने की तारीख से लेकर दो से पांच वर्ष के लिए उसे निलंबित कर दिया जाएगा.
- दूसरी बार भी ये अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोबारा दोषी पाया जाता है, तो उसको कम से कम 10 साल की सजा और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा.
- दोबारा नकल करते पकड़े जाने पर आरोप पत्र दाखिल करने से लेकर पांच से 10 साल के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. दोष सिद्ध होने पर उस अभ्यर्थी के आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
- भर्ती परीक्षा में यदि कोई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों का इस्तेमाल जांच में पाया जाता हैं, तो उनको भी आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा.