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कोरोना काल में उपनल पर 90 हजार बेरोजगारों का रजिस्ट्रेशन, 16 साल में दी सिर्फ 22 हजार नौकरी - उत्तराखंड में बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ा

उत्तराखंड में पूर्व सैनिकों के लिए बनायी गयी उपनल संस्था में रोजगार पाने के लिए 90 हजार बेरोजगारों ने रजिस्ट्रेशन कराया है. ये 90 हजार का आंकड़ा कोरोना संकटकाल के दौरान का है. हालांकि उपनल को 22 हजार बेरोजगारों को नौकरी दिलाने में 16 साल लग गए हैं.

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Published : May 17, 2021, 2:22 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में बेरोजगारी का क्या आलम है, इसकी बानगी उपनल में रोजगार पाने के लिए किए गए रजिस्ट्रेशन को देखकर लगायी जा सकती है. 2020 में उपनल पर रोजगार के लिए 85 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया था. एक बार फिर आम लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन खोल दिए गए हैं. इस बीच सवाल ये खड़ा होता है कि क्या उपनल इतने बड़े पैमाने पर रोजगार दे पाएगा.

पिछले 16 सालों में लगी 22 हजार नौकरी

उत्तराखंड में 16 साल पहले पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य था पूर्व सैनिकों एवं शहीदों के आश्रितों को आजीविका के लिए मदद देना. लेकिन समय के साथ-साथ उपनल के इस उद्देश्य को बदलकर आम लोगों के रोजगार का उद्देश्य भी बनाया गया. इस दौरान 2020 में कोरोना संकट के बीच प्रदेश वापस लौटे लाखों प्रवासी बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की सरकार के सामने चुनौती आई, तो एक बार फिर सरकार ने उपनल के जरिए बेरोजगारों को रोजगार दिलाने की कवायद की.

ये भी पढ़ेंः खुल गए केदारनाथ धाम के कपाट, PM मोदी के नाम की हुई पहली पूजा, CM ने दी शुभकामना

इस दौरान करीब 85 हजार बेरोजगारों ने उपनल में रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. हालांकि इससे पहले उपनल पर रोजगार पाने के लिए सिर्फ 10 हजार की रजिस्ट्रेशन होते थे. हालांकि पिछले 16 सालों में उपनल के जरिए तकरीबन 22 हजार लोगों को नौकरी मिली है. इस बीच एक बार फिर उपनल को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. फिलहाल उपनल के जरिए रोजगार पाने के लिए पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 90 हजार के पार जा चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि जहां 16 साल में उपनल मात्र 22 हजार लोगों को रोजगार दिला पाया, तो इन 90 हजार लोगों को रोजगार दिलाने में कितना समय लगेगा.

सेवा नियोजन कार्यालय से ज्यादा उपनल में पंजीकृत बेरोजगार

आंकड़ों पर अगर गौर करें तो, उत्तराखंड के सेवा नियोजन विभाग से ज्यादा बेरोजगार अब उपनल में पंजीकृत दिखाई पड़ रहे हैं. केवल सैनिकों के आश्रितों के लिए बनाए गए उपनल में जहां हर साल तकरीबन 10 हजार पंजीकरण होते थे, तो वहीं अब यह संख्या 90 हजार के पार जा चुकी है. अब ऐसे में सरकार के आगे समस्या ये है कि उत्तराखंड में बढ़ते इन बेरोजगार युवाओं के आंकड़ों से कैसे निबटा जाएगा.

उपनल में B.Tech, M.Tech और LLB के छात्रों का भी पंजीकरण

सूत्रों के मुताबिक प्रोफेशनल कोर्स जैसे बीटेक, एमटेक के छात्रों ने भी उपनल में पंजीकरण कराया है. ऐसे में ये साफ संकेत हैं कि उत्तराखंड में बढ़ती बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. इस बीच हकीकत ये भी है कि उपनल ऐसे कुशल और प्रोफेशनल अभ्यर्थियों को नौकरी दिलवाने के लिए सक्षम नहीं है. मौजूदा महामारी के दौर में बड़ी बेरोजगारी के चलते सभी लोग अपनी क्षमता और योग्यता से नीचे भी नौकरी करने के लिए तैयार हैं. उपनल के अनुसार ऐसे अभ्यर्थी केवल उपनल का डेटाबेस बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

देहरादूनः उत्तराखंड में बेरोजगारी का क्या आलम है, इसकी बानगी उपनल में रोजगार पाने के लिए किए गए रजिस्ट्रेशन को देखकर लगायी जा सकती है. 2020 में उपनल पर रोजगार के लिए 85 हजार लोगों ने रजिस्ट्रेशन किया था. एक बार फिर आम लोगों के लिए रजिस्ट्रेशन खोल दिए गए हैं. इस बीच सवाल ये खड़ा होता है कि क्या उपनल इतने बड़े पैमाने पर रोजगार दे पाएगा.

पिछले 16 सालों में लगी 22 हजार नौकरी

उत्तराखंड में 16 साल पहले पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य था पूर्व सैनिकों एवं शहीदों के आश्रितों को आजीविका के लिए मदद देना. लेकिन समय के साथ-साथ उपनल के इस उद्देश्य को बदलकर आम लोगों के रोजगार का उद्देश्य भी बनाया गया. इस दौरान 2020 में कोरोना संकट के बीच प्रदेश वापस लौटे लाखों प्रवासी बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने की सरकार के सामने चुनौती आई, तो एक बार फिर सरकार ने उपनल के जरिए बेरोजगारों को रोजगार दिलाने की कवायद की.

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इस दौरान करीब 85 हजार बेरोजगारों ने उपनल में रोजगार के लिए रजिस्ट्रेशन कराया. हालांकि इससे पहले उपनल पर रोजगार पाने के लिए सिर्फ 10 हजार की रजिस्ट्रेशन होते थे. हालांकि पिछले 16 सालों में उपनल के जरिए तकरीबन 22 हजार लोगों को नौकरी मिली है. इस बीच एक बार फिर उपनल को आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. फिलहाल उपनल के जरिए रोजगार पाने के लिए पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 90 हजार के पार जा चुकी है. लेकिन सवाल ये है कि जहां 16 साल में उपनल मात्र 22 हजार लोगों को रोजगार दिला पाया, तो इन 90 हजार लोगों को रोजगार दिलाने में कितना समय लगेगा.

सेवा नियोजन कार्यालय से ज्यादा उपनल में पंजीकृत बेरोजगार

आंकड़ों पर अगर गौर करें तो, उत्तराखंड के सेवा नियोजन विभाग से ज्यादा बेरोजगार अब उपनल में पंजीकृत दिखाई पड़ रहे हैं. केवल सैनिकों के आश्रितों के लिए बनाए गए उपनल में जहां हर साल तकरीबन 10 हजार पंजीकरण होते थे, तो वहीं अब यह संख्या 90 हजार के पार जा चुकी है. अब ऐसे में सरकार के आगे समस्या ये है कि उत्तराखंड में बढ़ते इन बेरोजगार युवाओं के आंकड़ों से कैसे निबटा जाएगा.

उपनल में B.Tech, M.Tech और LLB के छात्रों का भी पंजीकरण

सूत्रों के मुताबिक प्रोफेशनल कोर्स जैसे बीटेक, एमटेक के छात्रों ने भी उपनल में पंजीकरण कराया है. ऐसे में ये साफ संकेत हैं कि उत्तराखंड में बढ़ती बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बन चुकी है. इस बीच हकीकत ये भी है कि उपनल ऐसे कुशल और प्रोफेशनल अभ्यर्थियों को नौकरी दिलवाने के लिए सक्षम नहीं है. मौजूदा महामारी के दौर में बड़ी बेरोजगारी के चलते सभी लोग अपनी क्षमता और योग्यता से नीचे भी नौकरी करने के लिए तैयार हैं. उपनल के अनुसार ऐसे अभ्यर्थी केवल उपनल का डेटाबेस बढ़ाने में अपनी भूमिका निभा रहे हैं.

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