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शिक्षा विभाग की अनिवार्य रिटायरमेंट योजना की चौंकाने वाला खुलासा, सिर्फ एक शिक्षक सेवा के लिए अनुपयोगी

उत्तराखंड में शिक्षा विभाग की अनिवार्य रिटायरमेंट योजना की हैरान करने वाली हकीकत सामने आई है, जिसमें पूरे प्रदेश में सिर्फ एक शिक्षक का सरकारी सेवा के लिए अनुपयोगी पाया जाना हैरान करता है.

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Published : Jan 4, 2021, 7:10 PM IST

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देहरादूनः प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए तीन साल पूर्व राज्य सरकार की ओर से शिक्षकों के लिए अनिवार्य रिटायरमेंट योजना (सीएसआर) शुरू की गई थी, जिसके तहत अपात्र कार्मिकों और शिक्षकों को कार्य में अनुशासनहीनता और किसी भी गंभीर बीमारी से जूझने की स्थिति में सीआरएस दिया जा सकता है.

ऐसे में हर साल की तरह वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी शिक्षा विभाग की ओर से अनिवार्य रिटायरमेंट योजना के तहत स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर जिलेवार शिक्षकों और कार्मिकों की कार्यप्रणाली की स्क्रीनिंग की गई थी. इसके तहत प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के सभी 12 जिलों में शिक्षक और कार्मिक पूरी तरह फिट मिले. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे प्रदेश में इस स्क्रीनिंग के दौरान इस बार सिर्फ टिहरी जनपद के ही एक शिक्षक को सरकारी सेवा के लिए अनुपयोगी पाया गया.

ये भी पढ़ेंः स्कूल को संवारने में लगे शिक्षक आशीष डंगवाल, दीवारों पर उकेरी खूबसूरत आकृतियां

गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के 60 हज़ार से ज्यादा कार्मिक शिक्षकों की अनिवार्य रिटायरमेंट योजना (सीआरएस) के लिए स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें सिर्फ टिहरी जनपद के एक शिक्षक का सरकारी सेवा के लिए अनुपयोगी पाया जाना हैरान करता है. संबंधित शिक्षक पर अनुशासनहीनता और दायित्व के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप है. जिसे देखते हुए शिक्षक को अनिवार्य रिटायरमेंट योजना के तहत हटाने की संस्तुति की गई है. अब इस पूरे प्रकरण पर टिहरी जिले के मंडल स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी अंतिम निर्णय लेकर अंतिम संस्कृति प्रदान करेगी, जिसके लिए अगले दस दिनों में किसी भी दिन बैठक बुलाई जाएगी.

देहरादूनः प्रदेश में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए तीन साल पूर्व राज्य सरकार की ओर से शिक्षकों के लिए अनिवार्य रिटायरमेंट योजना (सीएसआर) शुरू की गई थी, जिसके तहत अपात्र कार्मिकों और शिक्षकों को कार्य में अनुशासनहीनता और किसी भी गंभीर बीमारी से जूझने की स्थिति में सीआरएस दिया जा सकता है.

ऐसे में हर साल की तरह वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए भी शिक्षा विभाग की ओर से अनिवार्य रिटायरमेंट योजना के तहत स्क्रीनिंग कमेटी का गठन कर जिलेवार शिक्षकों और कार्मिकों की कार्यप्रणाली की स्क्रीनिंग की गई थी. इसके तहत प्रदेश के गढ़वाल और कुमाऊं मंडल के सभी 12 जिलों में शिक्षक और कार्मिक पूरी तरह फिट मिले. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरे प्रदेश में इस स्क्रीनिंग के दौरान इस बार सिर्फ टिहरी जनपद के ही एक शिक्षक को सरकारी सेवा के लिए अनुपयोगी पाया गया.

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गौरतलब है कि इस वित्तीय वर्ष में प्रदेश के 60 हज़ार से ज्यादा कार्मिक शिक्षकों की अनिवार्य रिटायरमेंट योजना (सीआरएस) के लिए स्क्रीनिंग की गई थी, जिसमें सिर्फ टिहरी जनपद के एक शिक्षक का सरकारी सेवा के लिए अनुपयोगी पाया जाना हैरान करता है. संबंधित शिक्षक पर अनुशासनहीनता और दायित्व के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप है. जिसे देखते हुए शिक्षक को अनिवार्य रिटायरमेंट योजना के तहत हटाने की संस्तुति की गई है. अब इस पूरे प्रकरण पर टिहरी जिले के मंडल स्तरीय स्क्रीनिंग कमेटी अंतिम निर्णय लेकर अंतिम संस्कृति प्रदान करेगी, जिसके लिए अगले दस दिनों में किसी भी दिन बैठक बुलाई जाएगी.

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