देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने 8 दिसंबर को किसान आंदोलन के नाम पर भारत बंद को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. साथ ही उत्तराखंड के किसानों से अपील की है कि उत्तराखंड ने हमेशा शांति का परिचय दिया है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि किसानों को विरोध की मनाही नहीं है. लेकिन कृपा करके उत्तराखंड में माहौल खराब करने का काम न करें.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने भारत बंद को कांग्रेस की उपज बताया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में जिस बात का जिक्र किया था. उसे जब बीजेपी ने पूरा किया तो कांग्रेस अब भोले-भाले किसानों को बरगलाने में लगी है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बाकायदा कांग्रेस के घोषणा पत्र में किसान संशोधन बिल की बात को भी मीडिया के सामने रखा.
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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड के सभी किसान भाइयों से हाथ जोड़कर अपील की है कि वह बेशक अपना विरोध दर्ज कराएं. लेकिन प्रदेश में किसी भी तरह की अराजकता की स्थिति पैदा ना होने दें. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक शांति प्रिय राज्य है. ऐसे में लोग कानून व्यवस्था को बनाए रखने में अपना सहयोग करें. इस दौरान सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अधिकारियों को लॉ एंड ऑर्डर दुरुस्त रखने का भी निर्देश दिया.
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड में किसानों और कृषि के क्षेत्र में किए जा रहे तमाम उपलब्धियों को बताते हुए कहा कि उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य है. जहां पर गन्ना किसानों का भुगतान हो चुका है. वहीं, किसानों को दी जा रही अन्य सुविधाएं भी पूरे देश में अन्य राज्यों से ज्यादा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली बार हुआ है कि नए पैराई सत्र से पहले गन्ना किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की इकबालपुर शुगर मिल जो बंद हो गई थी. जिससे 22,500 किसान जुड़े थे. राज्य सरकार ने इस मिल को 36 करोड़ की गारंटी देकर खुलवाया है. ताकि किसानों को उनके गन्ना मूल्य का भुगतान हो सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के व्यापक हित में खाण्डसारी नीति बनाई गई है. ताकि जो भी किसान खाण्डसारी उद्योग शुरू करना चाहते हैं, वो शुरू कर सकता हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो कांग्रेस पार्टी आज इस बिल का सबसे मुखर विरोध कर रही है और किसानों को भ्रमित कर रही है. उसी कांग्रेस पार्टी ने इस बिल को 2019 के अपने घोषणापत्र में शामिल किया था. उनके घोषणापत्र में साफ-साफ लिखा था कि 'कांग्रेस ए.पी.एम.सी. एक्ट को निरस्त कर देगी और कृषि उत्पादों के व्यापार की व्यवस्था करेगी'. ये बातें उनके मेनिफेस्टो में पेज नंबर 17 के प्वॉइंट नंबर 11 में दर्ज है. आज वह एवं उनके मुख्यमंत्री इसके विरोध में जुड़े है.
उन्होंने कहा कि गुजरात में 2003 से पहले किसानों को आधा घंटे भी बिजली नहीं मिलती थी और उसका भी कोई समय नहीं था. पीएम नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने के बाद किसानों को सात घंटे बिजली उपलब्ध कराने के साथ ही दो साल के भीतर अलग फीडर की व्यवस्था की गई. पांच साल पहले तक वहां किसानों को 50 पैसे यूनिट बिजली उपलब्ध कराई जा रही थी. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य और वह व्यक्तिगत रूप से खुद किसानों के पक्ष में हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इतिहास रहा है कि उन्होंने हमेशा किसानों के साथ खड़े होकर उनका दु:ख दर्द समझा है.