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चारधाम पर सरकार की मंशा के खिलाफ पूरे भारत में होगा आंदोलन: रावल शिव प्रकाश

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Published : Dec 25, 2019, 9:53 PM IST

उत्तराखण्ड के गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश ने बताया कि यदि सरकार ने चारधाम को लेकर अपनी मनमानी नहीं छोड़ी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. धार्मिक रीति-रिवाजों को बदलने की कोशिश की गई तो फिर से केदारनाथ जैसा प्रलय गहरा सकता है. चारधाम पर सरकार की मंशा के खिलाफ पूरे भारत में आंदोलन होगा.

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गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश

शामली: गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश उत्तर प्रदेश के शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए उत्तराखंड में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (श्राइन बोर्ड) के गठन के फैसले का विरोध करते हुए धार्मिक रीति-रिवाजों से खिलवाड़ होने पर प्राकृतिक रूप से गंभीर परिणाम सामने आने की आशंका जताई.

क्या है पूरा मामला

  • गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश काठमांडू भ्रमण के बाद शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे.
  • रावल शिव प्रकाश ने यहां पर मीडिया के माध्यम से चार धाम के देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (श्राइन बोर्ड) के गठन का विरोध किया.
  • उन्होंने बताया कि धार्मिक रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ का खामियाजा केदारनाथ में आए प्रलय के रूप में देखा जा चुका है.
  • सरकार ने यदि चार धाम के धार्मिक क्रिया कलापों में हस्तक्षेप किया तो भविष्य में गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.


क्यों हो रहा विरोध
सरकार ने 27 नवंबर को हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के चारों धामों सहित राज्य के 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के संचालन के लिये चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को अपनी मंजूरी दी थी. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के अतिरिक्त उत्तराखंड में मौजूद 47 अन्य मंदिर भी बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आएंगे. चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर उत्तराखण्ड में भारी विरोध शुरू हो गया है.

ये भी पढ़ें- राजनीति के पटल पर आज भी जिंदा हैं अटल

रावल शिव प्रकाश ने कहा कि उत्तराखण्ड गवर्नमेंट ने चारधाम एक्ट बनाया है. तीर्थ पुरोहित और जनमानस इसका विरोध कर रहे हैं. वो स्वयं इसका विरोध करते हैं. चारधाम की पूजा पद्धति और नियमों को सिर्फ रावल समझ सकते हैं. वैष्णों देवी मंदिर में 12 माह दर्शन होते हैं, लेकिन उत्तराखण्ड की पद्धति अलग है. इन तीर्थों को सरकार चला ही नहीं सकती, क्योंकि धार्मिक रीति-रिवाज को सरकारी मापदण्डों के हिसाब से समझा ही नहीं जा सकता. अगर सरकार इस एक्ट को वापस नहीं लेती तो पूरा भारत आंदोलन करेगा.

शामली: गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश उत्तर प्रदेश के शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए उत्तराखंड में देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (श्राइन बोर्ड) के गठन के फैसले का विरोध करते हुए धार्मिक रीति-रिवाजों से खिलवाड़ होने पर प्राकृतिक रूप से गंभीर परिणाम सामने आने की आशंका जताई.

क्या है पूरा मामला

  • गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश काठमांडू भ्रमण के बाद शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे.
  • रावल शिव प्रकाश ने यहां पर मीडिया के माध्यम से चार धाम के देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड (श्राइन बोर्ड) के गठन का विरोध किया.
  • उन्होंने बताया कि धार्मिक रीति-रिवाजों से छेड़छाड़ का खामियाजा केदारनाथ में आए प्रलय के रूप में देखा जा चुका है.
  • सरकार ने यदि चार धाम के धार्मिक क्रिया कलापों में हस्तक्षेप किया तो भविष्य में गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.


क्यों हो रहा विरोध
सरकार ने 27 नवंबर को हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश के चारों धामों सहित राज्य के 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के संचालन के लिये चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को अपनी मंजूरी दी थी. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के अतिरिक्त उत्तराखंड में मौजूद 47 अन्य मंदिर भी बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आएंगे. चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर उत्तराखण्ड में भारी विरोध शुरू हो गया है.

ये भी पढ़ें- राजनीति के पटल पर आज भी जिंदा हैं अटल

रावल शिव प्रकाश ने कहा कि उत्तराखण्ड गवर्नमेंट ने चारधाम एक्ट बनाया है. तीर्थ पुरोहित और जनमानस इसका विरोध कर रहे हैं. वो स्वयं इसका विरोध करते हैं. चारधाम की पूजा पद्धति और नियमों को सिर्फ रावल समझ सकते हैं. वैष्णों देवी मंदिर में 12 माह दर्शन होते हैं, लेकिन उत्तराखण्ड की पद्धति अलग है. इन तीर्थों को सरकार चला ही नहीं सकती, क्योंकि धार्मिक रीति-रिवाज को सरकारी मापदण्डों के हिसाब से समझा ही नहीं जा सकता. अगर सरकार इस एक्ट को वापस नहीं लेती तो पूरा भारत आंदोलन करेगा.

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उत्तराखण्ड के गंगोत्री धाम के रावल शिवप्रकाश ने बताया कि यदि सरकार ने चार धाम को लेकर अपनी मनमानी नही छोड़ी, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे. धार्मिक रीति—रिवाजों को बदलने की कोशिश की गई, तो फिर से केदारनाथ जैसी प्रलय गहरा सकती है. चार धाम पर सरकार की मंशा के खिलाफ पूरे भारत में आंदोलन होगा.Body:
शामली: गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश उत्तर प्रदेश के शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे. यहां पर उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए उत्तराखण्ड में चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन के फैसले का विरोध करते हुए धार्मिक रीति—रिवाजो से खिलवाड़ होने प्राकृतिक रूप से गंभीर परिणाम सामने आने की आशंका जताई.

क्या है पूरा मामला ?
. गंगोत्री धाम के रावल शिव प्रकाश काठमांडू भ्रमण के बाद शामली में अपने अनुयायियों के बीच पहुंचे थे.

. रावल शिव प्रकाश ने यहां पर मीडिया के माध्यम से चार धाम के श्राइन बोर्ड के गठन का विरोध किया.

. उन्होंने बताया कि धार्मिक रीति—रिवाजों से छेड़छाड़ का खामियाजा केदारनाथ में आई प्रलय के रूप में देखा जा चुका है.

. यदि सरकार ने चार धाम के धार्मिक क्रियाकलापों में हस्तक्षेप किया, तो भविष्य में गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.

क्यों हो रहा विरोध?
उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने 27 नवंबर को उच्च हिमालयी क्षेत्रों के चार धामों सहित राज्य के 50 से अधिक प्रसिद्ध मंदिरों के संचालन के लिये चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को अपनी मंजूरी दी थी. बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के अतिरिक्त उत्तराखंड में मौजूद 47 अन्य मंदिर भी बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आएंगे. चारधाम श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर उत्तराखण्ड में भारी विरोध शुरू हो गया है.Conclusion:इन्होंने कहा—
उत्तराखण्ड गर्वमेंट ने चारधाम एक्ट बनाया है। तीर्थ पुरोहित और जनमानस इसका विरोध कर रहे हैं. मैं स्वयं इसका विरोध करता हूं, चार धाम की पूजा की पद्धति और नियमों को सिर्फ रावल समझ सकते हैं. वैष्णों देवी मंदिर में 12 माह दर्शन होते हैं, लेकिन उत्तराखण्ड की पद्धति अलग हैं. इन तीर्थों को सरकार चला ही नही सकती, क्योंकि धार्मिक रीति—रिवाज को सरकारी मापदण्डों के हिसाब से समझा ही नही जा सकता. अगर सरकार इस एक्ट को वापस नही लेती, तो पूरा भारत आंदोलन करेगा.
— रावल शिव प्रकाश, गंगोत्री धाम, उत्तराखण्ड

बाइट: रावल शिव प्रकाश, गंगोत्री धाम, उत्तराखण्ड

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रिपोर्टर: सचिन शर्मा
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