देहरादून: शीतकालीन विधानसभा सत्र के दूसरे दिन जहां पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सहित सैकड़ों की संख्या में विधानसभा के बाहर उपवास पर बैठे गए. वहीं, पहले से तय कार्यक्रम के चलते गुरुवार को राज्य के आंदोलनकारी मंच के सैकड़ों आंदोलनकारियों ने गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर विधानसभा कूच किया. इस दौरान आंदोलकारियों और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई. साथ ही आंदोलकारियों ने सरकार के खिलाफ नारे भी लगाए. पुलिस ने विधानसभा से पहले ही आंदोलनकारियों को बैरिकेडिंग पर ही रोक दिया, जिसके बाद सभी आंदोलकारी धरने पर बैठ गए.
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बता दें कि आंदोलनकारियों का कहना है कि राज्य गठन के 19 साल बीतने के बाद भी गैरसैंण को राजधानी बनाने को लेकर सरकार संजीदा नहीं है. उनकी मांग है कि राज्य आंदोलनकारियों के परिवार को नौकरियों में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण दिया जाए. साथ ही राज्य आंदोलनकारियों को चिह्नीकरण करके उनको पेंशन के साथ-साथ नौकरियां दी जाएं. आंदोलनकारियों का आरोप है कि देश में बेरोजगारी की जो हालत है, इससे युवा अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. यही नहीं बेरोजगारी दिनोंदिन लगातार बढ़ती जा रहा है.
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राज्य आंदोलकारी प्रदीप कुकरेती ने कहा कि सरकार से उनकी मांग है कि गैरसैंण राजधानी को स्थाई राजधानी घोषित किया जाए. वहीं, सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बयान को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि शहर में ठंड का बहाना करके विधानसभा सत्र को देहरादून में शुरू किया गया है. इससे वहां के रहने वाले डॉक्टर, शिक्षक और युवाओं को भी राजधानी में आ जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को शीघ्र इसपर कोई निर्णय लेना चाहिए अन्यथा एक बार फिर उग्र आंदोलन किया जाएगा.