देहरादून: उत्तराखंड राज्य आंदोलन मंच के बैनर तले राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में धरना दिया. इस दौरान आंदोलनकारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताया, साथ ही सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन भेजा.
राज्य आंदोलनकारी पूर्ण लिंगवाल ने कहा कि साढे तीन सालों से विभिन्न मांगों को लेकर लामबंद हैं, लेकिन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की तरफ से उन्हें मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है. जिस कारण राज्य आंदोलनकारी आक्रोशित हैं. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के अस्मिता पर चोट करने वाले मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड व राज्य आंदोलन के दौरान हुए विभिन्न कांड पर सरकारों द्वारा उचित पैरवी नहीं किए जाने की वजह से आज 26 साल बाद भी न्याय नहीं मिला है. इसके अलावा राज्य आंदोलनकारियों को मिलने वाले 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण हाई कोर्ट में निरस्त होने के बाद भी राज्य सरकार की चुप्पी से राज्य आंदोलनकारी निराश हैं.
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पिछली सरकार द्वारा 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण (शिथिलता) का पारित एक्ट बीते चार वर्षों से राज्यपाल के पास लंबित हैं. ऐसे में उसे वापस लाकर दोबारा 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का बिल विधानसभा में पारित कराकर इसे कानूनी रूप दिया जाना चाहिए. इस दौरान उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने जल्द उनकी आठ सूत्रीय मांगों का निस्तारण नहीं किया तो वे उग्र आंदोलन को विवश होंगे.
राज्य आंदोलनकारियों की अन्य प्रमुख मांगें-
- गैरसैंण को शीघ्र स्थाई राजधानी घोषित करने की मांग.
- समूह ग की भर्ती के लिये रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य किया जाए.
- राज्य में सशक्त लोकायुक्त गठित किया जाए
- राज्य का भू-कानून लागू किया जाए और जनविरोधी भू -कानून वापस किया जाए.
- राज्य में 2025 के होने वाले परिसीमन क्षेत्रफल के आधार पर हो.
- बेरोजगारों के लिए रोजगार की मांग.
- 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की मांग.
- मुजफ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड के दोषियों को सजा की मांग.