देहरादून: आज देवभूमि उत्तराखंड में एक बार फिर से जल तांडव देखने को मिला. चमोली जिले के रैंणी गांव के पास एक ग्लेशियर फटने से हडकंप मच गया. देखते ही देखते पानी विकराल रूप लेते हुए नीचले इलाकों की ओर बढ़ने लगा. जिसमें सबसे पहले इसकी चपेट में ऋषि गंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट आया, ये प्रोजेक्ट इस आपदा में पूरी तरह तबाह हो गया, यहां काम कर रहे 130 लोग अभी भी लापता हैं.
दिन बढ़ने के साथ ये जल प्रलय जोशीमठ, पीपलकोट, गोपेश्वर, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग की ओर आगे बढ़ी. तब तक सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से ये जानकारी देश और दुनिया में फैल गई. जिससे बाद आनन-फानन में सीएम ने खुद इसका संज्ञान लिया. तुरंत मौके पर राहत और बचाव के लिए एसडीआरएफ , एनडीआरफ की आठवीं बटालियन ,आईटीबीपी की टीमें भेजी गई. सीएम और डीजीपी खुद आपदाग्रस्त इलाकों के लिए रवाना हुए.
प्रदेश में बाढ़ के खतरे को देखते हुए बचाव कार्यों के लिए हवाई प्रयासों के समन्वय के लिए वायु सेना द्वारा टास्क फोर्स कमांडर के रूप में जॉली ग्रांट में एक एयर कमोडोर-रैंक अधिकारी तैनात किया गया. रक्षा कर्मचारियों के प्रमुख जनरल बिपिन रावत बचाव कार्यों के लिए सैन्य प्रयासों की निगरानी की. इसके अलावा रुद्रप्रयाग में चिनूक हेलीकॉप्टर की भी तैनाती की गई है.
उत्तराखंड में आई इस दैवीय आपदा को लेकर राष्ट्रपति, पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, ने चिंता जताई. सभी ने प्रदेश को हर संभव मदद का भरोसा दिया. इसके अलावा देश के अन्य राज्य जैसे यूपी, बिहार के मुख्यमंत्री ने उत्तराखंड सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाने की बात कही.
रैंणी गांव से शुरू हुई जल प्रलय में अब तक काफी नुकसान हो चुका है. जिसके लिए राज्य सरकार ने 4 लाख और केंद्र सरकार ने 2 लाख के मुआवजे की घोषणा की है. इसके साथ ही घायलों को 50-50 हजार देने की बात कही गई है. बता दें इस घटना में 7 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं.
रैंणी गांव में 5 स्थानीय लोगों के लापता होने की सूचना है. इसके अलावा 180 भेड़ बकरी और चरवाहा के इस बाढ़ में बहने की सूचना है. धौलीगंगा और ऋषि गंगा को जोड़ने वाला एक मोटर पुल और चार छोटे पुल क्षतिग्रस्त हुए हैं. जिससे 17 गांवों से संपर्क टूट चुका है.
2020 में कमीशन हुआ था ऋषिगंगा प्रोजेक्ट
आपदा ग्रस्त क्षेत्र में मौजूद ऋषिगंगा प्रोजेक्ट 2020 में कमीशन हुआ था. ये प्रोजेक्ट 13 मेगावाट का था. इसमें 35 लोग काम करते थे. उसी के नीचे तपोवन में एनटीपीसी प्रोजेक्ट पर 176 लोग काम कर हे थे. यहा दो टनल है. एक में 15 लोग तो दूसरी में 35 लोग फंसे हुए है. सात लोगों के बरामद किए गए है, जबकि एक घायल का रेस्क्यू किया गया है.
अगले दो दिन बारिश का अनुमान नहीं, रेस्क्यू में मिलेगी राहत
सेन्ट्रल वाटर कमीशन ने जानकारी दी है कि आसपास के गांव को खतरा नहीं है. जल स्तर घट रहा है. NDRF की टीम, इंडियन नेवी की टीम, आर्मी और अन्य रेस्क्यू एजेंसियां लगातार राहत बचाव कार्य में लगी हैं. मौसम विभाग ने भी नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी को जानकारी दी है कि 2 दिनों तक कोई बारिश नहीं होगी, इसलिए रेस्क्यू में किसी भी तरीके की दिक्कत नहीं आएगी.
दिन भर क्या कुछ हुआ जानिए एक नजर में
घटना में जानमाल की जानकारी
- जोशीमठ के करीब एक लेबर हटमेंट के तीव्र बहाव के जद में आने पर लेबर लापता
- रैंणी के करीब पावर प्रोजेक्ट में कार्य कर रहे मजदूर लापता.
- पानी और मलबे के तीव्र बहाव की सूचना
तत्काल अमल में लायी गई कार्यवाही
- SDRF की पांच टीमों को तत्काल जोशीमठ रवाना किया गया.
- श्रीनगर, ऋषिकेश, जोशीमठ में टीमों को अलर्ट पर रखा गया.
- पुलिस महानिदेशक खुद आपदा प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने पहुंचे.
- कमांडेंट SDRF नवनीत भुल्लर तत्काल ही SDRF जवानों के साथ हेली के माध्यम से जोशीमठ पहुंचे.
- सेनानायक SDRF ने सम्भाली रेस्क्यू कमान
- रेस्क्यू सहायता के लिए हेलीकॉप्टर को अलर्ट रखा गया है.
- सोशल साइट्स के माध्यम से लगातार अलर्ट एवमं रेस्क्यू सूचनाएं भेजी जा रही हैं.
- SDRF द्वारा 12 मजदूरों को सुरक्षित टनल से निकाला। NTPC तपोवन से 3 शव बरामद किये.