देहरादूनः राजधानी देहरादून से 24 कोच की ट्रेनों के संचालन को लेकर गुरुवार को हेडक्वार्टर और डिवीजन की टीम देहरादून रेलवे स्टेशन सर्वे (Dehradun Railway Station Survey) के लिए पहुंची. यह टीम देहरादून रेलवे स्टेशन के आसपास स्टेशनों का निरीक्षण करेगी. साथ ही ये भी जानकारी लेगी कि किस रेलवे स्टेशन से 24 कोच की ट्रेनों का संचालन किया जा सकता है.
देहरादून रेलवे स्टेशन पर एडीआरएम (Additional divisional railway manager), रेलवे मुख्य अभियंता (Railway Chief Engineer) और सीएमआई सहित कई लोगों की टीमें हेडक्वार्टर और डिवीजन से निरीक्षण करने के लिए आईं. टीमों का देहरादून रेलवे स्टेशन आने का मुख्य उद्देश्य था कि देहरादून से 24 कोच की ट्रेनों का संचालन हो सके.
देहरादून से सिर्फ 18 कोच की ट्रेनों का संचालन
बता दें कि देहरादून रेलवे स्टेशन के यार्ड रिमॉडलिंग (yard remodeling) का काम पूरा होने के बाद 15 कोच से बढ़ाकर 18 कोच की ट्रेनों का संचालन शुरू हो गया था. लेकिन टीमों का मानना है कि भारत के अन्य राज्यों की राजधानी से 24 कोच की ट्रेनों का संचालन होता है. उत्तराखंड की राजधानी से भी 24 कोच की ट्रेनों का संचालन होना चाहिए. इसके मद्देनजर गुरुवार को टीम ने सर्वे किया.
ट्रेनों के मेंटेनेंस का काम रुका
वहीं इसके लिए अगर जमीन कम पड़ती है तो रेलवे बोर्ड राज्य सरकार से बात करेगा. देहरादून रेलवे स्टेशन में 80 करोड़ की लागत से यार्ड रिमॉडलिंग (yard remodeling) काम किया गया है. लेकिन शटरिंग नेक का काम रुका हुआ है. जिस कारण ट्रेनों के मेंटेनेंस (maintenance of trains) का काम नहीं हो पा रहा है.
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देहरादून टर्मिनल
एडीआरएम एनएन सिंह ने बताया कि देहरादून रेलवे स्टेशन के निरीक्षण का मुख्य उद्देश्य ये था कि हम लोग उत्तराखंड से 24 कोच की ट्रेनें चलाना चाहते हैं. इसके लिए हेडक्वार्टर और डिवीजन की टीम आई है. देहरादून टर्मिनल है जहां से आगे ट्रेन नहीं जाती है. यहां पर हमारे पास जमीन उपलब्ध नहीं है. इसलिए देहरादून रेलवे स्टेशन के आसपास स्टेशनों का सर्वे किया जाएगा.
80 करोड़ की लागत से यार्ड रिमॉडलिंग का निर्माण
एडीआरएम एनएन सिंह ने बताया कि 80 करोड़ रुपए खर्च करके देहरादून रेलवे स्टेशन का यार्ड रिमॉडलिंग (yard remodeling) किया गया. इसमें शटरिंग यार्ड बनना था जिसमें ट्रेनों के मेंटेनेंस का काम किया जा सके. लेकिन शटरिंग नेक का काम रुका है क्योंकि स्थानीय लोगों सहित स्थानीय नेता द्वारा काम नहीं करने दिया जा रहा है. रिकॉर्ड के मुताबिक यह जमीन रेलवे की है. इसलिए हम राज्य सरकार से बात करेंगे.