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12वीं का छात्र पुश्तैनी काष्ठकला का तराशने में जुटा, लॉकडाउन में पिता से सिखा हुनर - wooden houses in the mountain

विकासनगर में 12वीं के छात्र राहुल ने लॉकडाउन में अपने पिता से पुश्तैनी काष्ठकला का हुनर सीखा. जिसे आजकल वो तराशने में जुटे हुए हैं. राहुल का कहना है कि मैं पढ़ाई के साथ-साथ इस कार्य को आगे तक ले जाऊंगा. ताकि पहाड़ की संस्कृति को और अधिक पहचान मिल सके.

Rahul engaged in carving of ancestral woodwork
12वीं का छात्र पुश्तैनी काष्ठकला का तराशने में जुटा
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Published : Apr 3, 2022, 5:26 PM IST

Updated : Apr 3, 2022, 8:02 PM IST

विकासनगर: पहाड़ों में अधिकतर घर लकड़ी के बने होते है, लेकिन वर्तमान समय में लकड़ी के मकानों का चलन कम होता जा रहा है और इस कला से जुड़े कारीगरों की कमी देखी जा रही है. वहीं, जौनसार का एक छात्र राहुल इन दिनों लकड़ी के मॉडल बनाने के साथ ही पहाड़ी की संस्कृति को बरकरार रखने की कवायद में जुटे हुए हैं.

जौनसार बावर क्षेत्र में लकड़ी के मकान परंपरा और संस्कृति की पहचान है. वहीं, इसकी नक्काशी भी अद्भुत होती है. जब ऐसे मकानों का निर्माण शुरू किया जाता था तो कई यह सालों में बनकर तैयार होते हैं, लेकिन आज के समय में लकड़ी का मकान बनवाना हर व्यक्ति के बस की बात नहीं रह गई है.

12वीं का छात्र काष्ठकला का तराशने में जुटा

ऐसे में लोग कंक्रीट, ईंट से मकानों का निर्माण कर रहे हैं. पहाड़ों में आज भी लकड़ी के मकान 100 सालों से भी अधिक सालों से टिके हैं. जबकि कंक्रीट के मकानों की समय-समय पर मेंटनेंस करनी पड़ती है. वहीं, लकड़ी के मकान बनाने वाले कारीगर भी आजकल नहीं मिल पाते हैं. लेकिन कालसी ब्लॉक के माख्टी गांव के कक्षा 12वीं का छात्र राहुल अपनी पुश्तैनी काष्ठकला की कारीगिरी बखूबी निभा रहे हैं.

ये भी पढ़ें: कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के घर पहुंचे दो बड़े पूर्व अधिकारी, चर्चाओं को बाजार गर्म

राहुल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उसने पिता के साथ लकड़ी के कार्य में हाथ बंटाता रहा. इस दौरान गांव के ही सुभाष राणा ने काफी पुराने घर का मॉडल बनवाया, जो कि आजिविका मिशन के तहत बहुत ही सराहा गया. वहीं देहरादून के एक व्यक्ति ने राहुल से संपर्क किया गया, जिसने राहुल को घर की सजावट एवं अन्य उपकरण बनाने के लिए प्रेरित किया.

राहुल ने पुराने लकड़ी के मकान, फोटो फ्रेम और अन्य कई प्रकार के मॉडल बनाए, जिससे कुछ आमदनी भी हुई. राहुल का कहना है कि मैं पढ़ाई के साथ-साथ इस कार्य को आगे तक ले जाऊंगा. ताकि पहाड़ की संस्कृति को और अधिक पहचान मिल सके. साथ अधिक से अधिक लोगों को पेड़ पौधे लगाने के लिये भी प्रेरित करूंगा.

विकासनगर: पहाड़ों में अधिकतर घर लकड़ी के बने होते है, लेकिन वर्तमान समय में लकड़ी के मकानों का चलन कम होता जा रहा है और इस कला से जुड़े कारीगरों की कमी देखी जा रही है. वहीं, जौनसार का एक छात्र राहुल इन दिनों लकड़ी के मॉडल बनाने के साथ ही पहाड़ी की संस्कृति को बरकरार रखने की कवायद में जुटे हुए हैं.

जौनसार बावर क्षेत्र में लकड़ी के मकान परंपरा और संस्कृति की पहचान है. वहीं, इसकी नक्काशी भी अद्भुत होती है. जब ऐसे मकानों का निर्माण शुरू किया जाता था तो कई यह सालों में बनकर तैयार होते हैं, लेकिन आज के समय में लकड़ी का मकान बनवाना हर व्यक्ति के बस की बात नहीं रह गई है.

12वीं का छात्र काष्ठकला का तराशने में जुटा

ऐसे में लोग कंक्रीट, ईंट से मकानों का निर्माण कर रहे हैं. पहाड़ों में आज भी लकड़ी के मकान 100 सालों से भी अधिक सालों से टिके हैं. जबकि कंक्रीट के मकानों की समय-समय पर मेंटनेंस करनी पड़ती है. वहीं, लकड़ी के मकान बनाने वाले कारीगर भी आजकल नहीं मिल पाते हैं. लेकिन कालसी ब्लॉक के माख्टी गांव के कक्षा 12वीं का छात्र राहुल अपनी पुश्तैनी काष्ठकला की कारीगिरी बखूबी निभा रहे हैं.

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राहुल का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान उसने पिता के साथ लकड़ी के कार्य में हाथ बंटाता रहा. इस दौरान गांव के ही सुभाष राणा ने काफी पुराने घर का मॉडल बनवाया, जो कि आजिविका मिशन के तहत बहुत ही सराहा गया. वहीं देहरादून के एक व्यक्ति ने राहुल से संपर्क किया गया, जिसने राहुल को घर की सजावट एवं अन्य उपकरण बनाने के लिए प्रेरित किया.

राहुल ने पुराने लकड़ी के मकान, फोटो फ्रेम और अन्य कई प्रकार के मॉडल बनाए, जिससे कुछ आमदनी भी हुई. राहुल का कहना है कि मैं पढ़ाई के साथ-साथ इस कार्य को आगे तक ले जाऊंगा. ताकि पहाड़ की संस्कृति को और अधिक पहचान मिल सके. साथ अधिक से अधिक लोगों को पेड़ पौधे लगाने के लिये भी प्रेरित करूंगा.

Last Updated : Apr 3, 2022, 8:02 PM IST
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