देहरादून: उत्तराखंड में लंबे समय से नारी निकेतन और बाल संप्रेक्षण गृह सहित बाल सुधार गृह चर्चाओं में रहते हैं. हाल ही में उत्तराखंड के हल्द्वानी से ऐसा ही एक मामला सामने आया, जहां एक किशोरी ने विभागीय लोगों पर दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध का आरोप लगाया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री ने मामले में दो महिला कर्मचारियों के खिलाफ न केवल मुकदमा दर्ज करवाया है, बल्कि उन्हें निलंबित भी किया. हल्द्वानी के बाल संप्रेक्षण गृह के अंदर हुए इस जघन्य अपराध के बाद उत्तराखंड में हुई वे तमाम घटनाएं जेहन में कौंधने लगती हैं जो बीते सालों में प्रदेश में घटी.
हल्द्वानी मामले में शासन के पास पहुंची रिपोर्ट: हल्द्वानी बाल संप्रेक्षण गृह मामले के बाद देहरादून की एक टीम मौके पर पहुंची. टीम ने दुष्कर्म के मामले में पीड़िता और कर्मचारियों से बातचीत की. इस टीम में पर्यवेक्षक अधिकारी मोहित चौधरी और उप मुख्य पर्यवेक्षक अधिकारी अंजना गुप्ता शामिल थे. टीम ने तमाम सीसीटीवी फुटेज और दस्तावेज जुटाये. जिसके बाद मामले में बयान भी लिये गये. मामले की जांच पड़ताल कर विशेष टीम देहरादून वापस पहुंच गई है. बताया जा रहा है कि आज शासन को इस मामले की रिपोर्ट सौंपी जाएगी. महिला एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए पुलिस और विभाग दोनों को जांच के आदेश दिये हैं. रेखा आर्य की मानें तो फिलहाल तत्परता दिखाते हुए दो कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया है. एक होमगार्ड को विभाग को वापस किया गया है.
मंत्री रेखा आर्य ने मामले को बताया गंभीर: मंत्री रेखा आर्य ने इस मामले को बेहद गंभीर माना. उन्होंने कहा यह बेहद भयानक है कि बच्ची की हिफाजत की जिम्मेदारी जिन लोगों के पास है वही लोग उसे बाहर लेकर आये हैं. रेखा आर्य ने कहा फिलहाल यह सभी बातें अभी जांच का विषय हैं. हमें अभी इस मामले पर अधिक जोर नहीं देना चाहिए. ईटीवी भारत भी इस बात की पुष्टि नहीं करता कि हल्द्वानी के बाल संप्रेक्षण गृह में जो कुछ भी हुआ है उसमें कितनी सच्चाई है.
देहरादून में नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म: ऐसा नहीं है कि उत्तराखंड के नारी निकेतन और बाल सुधार गृह में इस तरह का ये पहला मामला है. आज से लगभग 8 साल पहले भी देहरादून के नारी निकेतन में इसी तरह की घटना हुई थी. इस घटना ने न केवल राज्य बल्कि देश की राजनीति में भी भूचाल ला दिया था. उस वक्त नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और उसके बाद गर्भपात करवाने के मामले ने सुर्खियां बटोरी थी. एक गुमनाम पत्र और एक वीडियो क्लिप बाहर आने के बाद इस मामले पर जमकर हल्ला हुआ. मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल उस वक्त एक एसआईटी का गठन किया गया. जिसकी कमान आईपीएस अजय सिंह को दी गई. जिला स्तर से भी इस मामले की जांच करवाई गई. देहरादून नारी निकेतन में खुलासा हुआ कि महिलाओं के साथ अंदर बैठे कर्मचारी न केवल दुष्कर्म कर रहे थे, बल्कि बाहर से आने वाले व्यक्तियों से भी दुष्कर्म करवाया जा रहा था.
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मामले में कई लोगों की हुई गिरफ्तारी, सजा भी सुनाई गई: जिसमें तत्कालीन अधीक्षिका के साथ 6 महिलाएं शामिल थीं. 24 नवंबर 2015 को इस मामले की जांच शुरू हुई. जिसमें एक के बाद एक परत खुलती गई. इस मामले में अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल, कर्मचारी अनीता मंदोला, टीचर चंद्रकला छेत्री, शमा निगार, होमगार्ड ललित बिष्ट, केयरटेकर हाशिम, सफाई कर्मचारी गुरदास और संविदा कर्मी कृष्णकांत उर्फ कांछा की गिरफ्तारी हुई. इस मामले में कोर्ट ने सभी आरोपियों को दोषी करार दिया. इन्हें 2 से लेकर 7 साल तक की सजा सुनाई गई. इस घटना के बाद सरकार ने नारी निकेतन और उससे जुड़ी शाखाओं की कड़ी निगरानी के आदेश दिये.
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2018 में चर्चाओं में रहा केदारपुरम नारी निकेतन: इतना ही नहीं राजधानी देहरादून के केदारपुरम स्थित नारी निकेतन में साल 2018 जून महीने में 130 महिलाएं नारी निकेतन में बीमार पाई गईं. यह मुद्दा भी जोर शोर से उठा. बताया गया वहां डॉक्टरों की कमी के चलते महिलाओं पर ध्यान नहीं दिया गया. इसके बाद शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार महिलाओं के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था की गई. शासन ने तत्काल प्रभाव से इस पूरे मामले की रिपोर्ट मंगवाकर तमाम महिलाओं का हर हफ्ते मेडिकल परीक्षण अनिवार्य करने के आदेश दिये. तब इस मामले ने भी खूब सुर्खियां बटोरी.
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निकेतन से महिलाओं के फरार होने की खबरें: इतना ही नहीं समय-समय पर नारी निकेतन से महिलाओं के फरार होने की खबरें भी आती रही. साल 2018 में ही एक मूक बधिर संवासिनी दीवार फांदकर फरार हो गई. ऐसी ही घटना साल 2017 में राजधानी देहरादून में भी घटी. हालांकि, पुलिस ने इन मामलों में तत्परता दिखाई. जिसके बाद सभी को वापस पकड़ कर नारी निकेतन वापस भेजा गया. कई बार बाल सुधार गृह से कई बच्चे भी भागने में कामयाब रहे.