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उत्तराखंड की आय बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी के फैसले पर उठे सवाल, विशेषज्ञों की राय जानिए

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Published : Aug 28, 2022, 1:09 PM IST

Updated : Aug 28, 2022, 2:47 PM IST

उत्तराखंड की आय को दोगुनी करने के लिए धामी सरकार कंसल्टिंग एजेंसी हायर करने जा रही है. कैबिनेट बैठक में लिए गए इस फैसले पर विपक्ष ने सरकार के पूरे तंत्र पर सवाल खड़ा किया है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने इसे हास्यास्पद करार दिया है. जबकि, अर्थशास्त्रियों ने भी अपनी राय दी है. उनका कहना है कि अगर किसी फर्म को हायर किया जाता है तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए, नहीं तो घाटे का सौदा भी हो सकता है.

GSDP of Uttarakhand
उत्तराखंड की आय को दोगुनी

देहरादूनः बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने अगले 5 सालों में प्रदेश की आय को दोगुनी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कंसल्टिंग एजेंसी हायर करने के फैसले को मंजूरी दी, लेकिन सरकार के इस फैसले पर अब विपक्ष जमकर सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि सरकार का यह फैसला बेहद हास्यास्पद है. कांग्रेस का आरोप है कि यह तो वही बात हो गई कि पैसा कमाना है तो पहले पैसा खर्च करो. जिसमें संसाधन, लोग और पैसा भी राज्य का रहेगा, बस केवल दिमाग चलाने के लिए किसी और को पैसे दिए जाएंगे.

मथुरा दत्त जोशी (Congress leader Mathura Dutt Joshi) का कहना है कि इससे स्पष्ट रूप से जाहिर होता है कि प्रदेश में या फिर कह सकते हैं कि बीजेपी में कोई इतना सामर्थ्यवान व्यक्ति नहीं है. इसके अलावा कोई उससे दृष्टिकोण का व्यक्ति तक नहीं है, जो प्रदेश के आय को बढ़ाने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकें. कांग्रेस ने यहां तक आरोप लगाया कि सरकार के पास पूरा प्रशासनिक तंत्र है. जिसमें शासन के कई बड़े आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन नेतृत्व की यह नाकामी है कि उनसे काम नहीं निकाल पा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी हायर करना यह सरकार की विफलता को प्रदर्शित करता है.

आउटसोर्सिंग एजेंसी के फैसले पर उठे सवाल.

अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट ने रखी अपनी बातः वहीं, कांग्रेस के इन आरोपों की इतर अगर बात एक्सपर्टों की राय की जाए तो उत्तराखंड के जाने माने अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट (Uttarakhand Economist Rajendra Bisht) का कहना है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार को इस वक्त अपनी नीतियों में और अपनी कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इस उत्तराखंड की जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP of Uttarakhand) तीन लाख करोड़ की है. अगर हम इसे अगले 5 सालों में 6 लाख करोड़ की करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से कंपाउंडिंग ग्रोथ करनी होगी.

उन्होंने कहा कि इस साल के बजट पर अगर हम नजर दौड़ाते हैं तो उत्तराखंड का इस वित्तीय वर्ष का बजट 65 हजार करोड़ का है. जिसमें से हमें 63 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होना है. इसमें आठ हजार करोड़ का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि इन हालतों को सुधारने के लिए सरकार को कई बड़े कदम उठाने होंगे. यदि सरकार किसी इकोनॉमिस्ट कन्सल्टिंग फर्म (Economist Consulting Firm) को हायर करने के बारे में सोच रही है तो यह एक बेहतर कदम हो सकता है, लेकिन इसमें एक विषय देखने योग्य है कि क्या हम उस तरह की इंटरनेशनल फर्म को हायर कर रहे हैं? जिनका वैश्विक स्तर पर असर है और कई देशों में इस तरह की फर्म काम भी कर रही है.

ये भी पढ़ेंः कर्ज के बोझ में दबता उत्तराखंड, खाली तिजोरी पर देनदारी भारी, वित्तीय हालात चिंताजनक

अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि बात अगर राष्ट्रीय स्तर की फर्म को हायर करने का है तो उनका कहना है कि हमारे देश में इस तरह का परिणाम देने वाली कोई फर्म इस वक्त मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर किसी फर्म को हायर किया जाता है तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए. जिसमें बैन (Bain), मेककिंसे (McKinsey) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (Boston Consulting Group) शामिल हैं, लेकिन अगर सरकार देश की किसी कंसल्टिंग फर्म के बारे में सोच रही है तो वो घाटे का सौदा भी हो सकता है, इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है.

बीजेपी ने कांग्रेस के तर्क को बताया निराधार, लगाए गंभीर आरोपः वहीं, पूरे मामले पर सत्ता पक्ष बीजेपी का कहना है कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था (Economy of Uttarakhand) बढ़ाने की कोशिशों पर कांग्रेस का यह तर्क बिल्कुल निराधार है. बीजेपी प्रवक्ता नवीन कुमार ठाकुर का कहना है कि क्या कांग्रेस नहीं चाहती है कि सरकार प्रदेश की इकोनॉमी बढ़ाने के लिए काम करें. कांग्रेस को सरकार के इस फैसले पर कैसे आपत्ति हो सकती है, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस उत्तराखंड के पक्षधर नहीं है. कांग्रेस चाहती है कि उत्तराखंड और यहां के लोग लगातार आर्थिक मंदी से गुजरते रहे. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के हर फैसले पर सवाल उठाती है, बजाए ये जाने कि यह राज्य के पक्ष में है या नहीं.

ये भी पढ़ेंः विधानसभा में हुई भर्तियों पर सियासत गर्म, CM और मंत्रियों के करीबियों को मिली नौकरी, विपक्ष ने घेरा

देहरादूनः बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में धामी सरकार ने अगले 5 सालों में प्रदेश की आय को दोगुनी करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की कंसल्टिंग एजेंसी हायर करने के फैसले को मंजूरी दी, लेकिन सरकार के इस फैसले पर अब विपक्ष जमकर सवाल खड़े कर रहा है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि सरकार का यह फैसला बेहद हास्यास्पद है. कांग्रेस का आरोप है कि यह तो वही बात हो गई कि पैसा कमाना है तो पहले पैसा खर्च करो. जिसमें संसाधन, लोग और पैसा भी राज्य का रहेगा, बस केवल दिमाग चलाने के लिए किसी और को पैसे दिए जाएंगे.

मथुरा दत्त जोशी (Congress leader Mathura Dutt Joshi) का कहना है कि इससे स्पष्ट रूप से जाहिर होता है कि प्रदेश में या फिर कह सकते हैं कि बीजेपी में कोई इतना सामर्थ्यवान व्यक्ति नहीं है. इसके अलावा कोई उससे दृष्टिकोण का व्यक्ति तक नहीं है, जो प्रदेश के आय को बढ़ाने के लिए अपने दिमाग का इस्तेमाल कर सकें. कांग्रेस ने यहां तक आरोप लगाया कि सरकार के पास पूरा प्रशासनिक तंत्र है. जिसमें शासन के कई बड़े आईएएस अधिकारी हैं, लेकिन नेतृत्व की यह नाकामी है कि उनसे काम नहीं निकाल पा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसी हायर करना यह सरकार की विफलता को प्रदर्शित करता है.

आउटसोर्सिंग एजेंसी के फैसले पर उठे सवाल.

अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट ने रखी अपनी बातः वहीं, कांग्रेस के इन आरोपों की इतर अगर बात एक्सपर्टों की राय की जाए तो उत्तराखंड के जाने माने अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट (Uttarakhand Economist Rajendra Bisht) का कहना है कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार को इस वक्त अपनी नीतियों में और अपनी कार्यशैली में आमूलचूल परिवर्तन करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि इस उत्तराखंड की जीएसडीपी यानी सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP of Uttarakhand) तीन लाख करोड़ की है. अगर हम इसे अगले 5 सालों में 6 लाख करोड़ की करना चाहते हैं तो उसके लिए हमें हर साल 10 से 12 फीसदी की दर से कंपाउंडिंग ग्रोथ करनी होगी.

उन्होंने कहा कि इस साल के बजट पर अगर हम नजर दौड़ाते हैं तो उत्तराखंड का इस वित्तीय वर्ष का बजट 65 हजार करोड़ का है. जिसमें से हमें 63 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त होना है. इसमें आठ हजार करोड़ का राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) भी मौजूद है. उन्होंने कहा कि इन हालतों को सुधारने के लिए सरकार को कई बड़े कदम उठाने होंगे. यदि सरकार किसी इकोनॉमिस्ट कन्सल्टिंग फर्म (Economist Consulting Firm) को हायर करने के बारे में सोच रही है तो यह एक बेहतर कदम हो सकता है, लेकिन इसमें एक विषय देखने योग्य है कि क्या हम उस तरह की इंटरनेशनल फर्म को हायर कर रहे हैं? जिनका वैश्विक स्तर पर असर है और कई देशों में इस तरह की फर्म काम भी कर रही है.

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अर्थशास्त्री राजेंद्र बिष्ट ने कहा कि बात अगर राष्ट्रीय स्तर की फर्म को हायर करने का है तो उनका कहना है कि हमारे देश में इस तरह का परिणाम देने वाली कोई फर्म इस वक्त मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर किसी फर्म को हायर किया जाता है तो वो अंतरराष्ट्रीय स्तर की होनी चाहिए. जिसमें बैन (Bain), मेककिंसे (McKinsey) और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (Boston Consulting Group) शामिल हैं, लेकिन अगर सरकार देश की किसी कंसल्टिंग फर्म के बारे में सोच रही है तो वो घाटे का सौदा भी हो सकता है, इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता है.

बीजेपी ने कांग्रेस के तर्क को बताया निराधार, लगाए गंभीर आरोपः वहीं, पूरे मामले पर सत्ता पक्ष बीजेपी का कहना है कि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था (Economy of Uttarakhand) बढ़ाने की कोशिशों पर कांग्रेस का यह तर्क बिल्कुल निराधार है. बीजेपी प्रवक्ता नवीन कुमार ठाकुर का कहना है कि क्या कांग्रेस नहीं चाहती है कि सरकार प्रदेश की इकोनॉमी बढ़ाने के लिए काम करें. कांग्रेस को सरकार के इस फैसले पर कैसे आपत्ति हो सकती है, इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस उत्तराखंड के पक्षधर नहीं है. कांग्रेस चाहती है कि उत्तराखंड और यहां के लोग लगातार आर्थिक मंदी से गुजरते रहे. बीजेपी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के हर फैसले पर सवाल उठाती है, बजाए ये जाने कि यह राज्य के पक्ष में है या नहीं.

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Last Updated : Aug 28, 2022, 2:47 PM IST
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