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देहरादून: ऐतिहासिक घंटाघर के सौन्दर्यीकरण कार्य पर उठे सवाल

देहरादून के घंटाघर के सौन्दर्यीकरण में बाथरूम टाइल्स लगाने पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं. वहीं, इस मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे का कहना है कि जब काम पूरा होने को है तो फिर विशेषज्ञ अब क्यों इस सवाल उठा रहे हैं.

beautification of ghantaghar dehradun
घंटाघर के सौन्दर्यीकरण में बाथरूम टाइल्स लगाने पर सवाल.
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Published : Sep 15, 2020, 9:11 PM IST

देहरादून: जहां सरकार हैरिटेज इमारतों को बचाने के लिए पहाड़ी शैली को प्रमोट कर रही है. वहीं, नगर निगम ने राजधानी देहरादून का दिल कहे जाने वाले ऐतिहासिक घंटाघर के सौन्दर्यीकरण में बाथरूम टाइल्स लगवाई है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. देहरादून के ऐतिहासिक घंटाघर के सौंदर्यीकरण पर लोग सवाल उठाने लगे हैं.

यही नहीं इस मामले में अब विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, साल 1948 में देहरादून के घंटाघर का शिलान्यास हुआ था और 1952 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसका उद्घाटन किया था. घंटाघर पर ओनजीसी ने सीएसआर फंड से इसके जीर्णोंद्धार के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये दिए थे, जिसपर घंटाघर का सुदृढ़ीकरण और सौन्दर्याकरण हुआ था, लेकिन घंटाघर के सौंदर्यीकरण कार्य पर अब सवाल उठने लगे हैं.

यह भी पढ़ें-महाकुंभ को लेकर मुख्य सचिव ने ली बैठक, समयसीमा में कार्य पूर्ण करने के दिए निर्देश

वहीं, ऐतिहासिक घंटाघर पर टाइल्स लगाने के मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे का कहना है कि जब कोई काम शुरू होता है तो फिर कोई भी उसमें अपनी राय दे सकता है, लेकिन अब जब काम करीब-करीब पूरा हो चुका है तो फिर विशेषज्ञ अब क्यों उस पर सवाल उठा रहे हैं.

देहरादून: जहां सरकार हैरिटेज इमारतों को बचाने के लिए पहाड़ी शैली को प्रमोट कर रही है. वहीं, नगर निगम ने राजधानी देहरादून का दिल कहे जाने वाले ऐतिहासिक घंटाघर के सौन्दर्यीकरण में बाथरूम टाइल्स लगवाई है, जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं. देहरादून के ऐतिहासिक घंटाघर के सौंदर्यीकरण पर लोग सवाल उठाने लगे हैं.

यही नहीं इस मामले में अब विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं. दरअसल, साल 1948 में देहरादून के घंटाघर का शिलान्यास हुआ था और 1952 में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इसका उद्घाटन किया था. घंटाघर पर ओनजीसी ने सीएसआर फंड से इसके जीर्णोंद्धार के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपये दिए थे, जिसपर घंटाघर का सुदृढ़ीकरण और सौन्दर्याकरण हुआ था, लेकिन घंटाघर के सौंदर्यीकरण कार्य पर अब सवाल उठने लगे हैं.

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वहीं, ऐतिहासिक घंटाघर पर टाइल्स लगाने के मामले में नगर आयुक्त विनय शंकर पांडे का कहना है कि जब कोई काम शुरू होता है तो फिर कोई भी उसमें अपनी राय दे सकता है, लेकिन अब जब काम करीब-करीब पूरा हो चुका है तो फिर विशेषज्ञ अब क्यों उस पर सवाल उठा रहे हैं.

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