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मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनी कांग्रेस के गले की हड्डी !, सीएम धामी बोले- दिख गई उनकी मानसिकता, संत भी नाराज - कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने पूर्व सीएम हरीश रावत के हवाले से मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का जो दावा किया है, वो उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस के गले की हड्डी न बन जाए. क्योंकि इस मामले पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत साधु-संतों ने कांग्रेस को घेरना शुरू कर दिया है. वहीं कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद अपने इस बयान पर सफाई भी देते हुए नजर आ रहे हैं.

Muslim University in Uttarakhand
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Published : Feb 2, 2022, 4:10 PM IST

Updated : Feb 2, 2022, 4:49 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए रोज नए-नए मुद्दा उठाने के साथ ही नई घोषणाएं भी कर रही हैं. कांग्रेस की ऐसी ही एक घोषणा ने उत्तराखंड की राजनीति में आज हलचल मचा दी है. कांग्रेस के एक नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हवाले से उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का दावा किया है. जिस पर बीजेपी नेता और सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ साधु-संतों ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का हरीश रावत के दावे के साथ मुस्लिम यूनिवर्सिटी खुलने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश की सिसायत में हलचल मच गई. बीजेपी इस मामले को लपक लिया. इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी बयान आया है.

मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनी कांग्रेस के गले की हड्डी

बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा: सीएम धामी ने कहा कि कांग्रेस देश आजाद होने से लेकर आजतक तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है, लेकिन बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा न्याय की बात की है और किसी के साथ अन्याय न हो इसका बात का ध्यान रखा है.

पढ़ें- कांग्रेस उपाध्यक्ष अकील अहमद बोले- हां मैंने की मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की मांग, गुस्से में BJP

सीएम धामी ने कहा कि कांग्रेस एक तरफ चारधाम की बात करती है और दूसरी तरफ इस देवभूमि में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की पैरवी करती है. इसके कांग्रेस की मानसिकता स्पष्ट होती है कि वो चारधाम में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाकर क्या दर्शाना चाहती है. सीएम ने कहा कि हरीश रावत पहले से ही इसके समर्थक रहे हैं, उनके शासनकाल में तो शुक्रवार (जुमे) की नमाज की भी छुट्टी हुआ करती थी.

साधु-संतों का विरोध: वहीं निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर 1008 कैलाशानंद गिरि ने भी उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यहां पहले से ही कई यूनिवर्सिटी चल रही हैं, उनमें किसी प्रकार का भेद तो है नहीं. इसीलिए किसी व्यक्तिगत जाति या धर्म के नाम पर उत्तराखंड में कोई यूनिवर्सिटी बने यह बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसा फैसला धर्म और उत्तराखंड के हित में नहीं है. उन्होंने उत्तराखंड सरकार से आग्रह किया है कि वो वर्तमान या भविष्य में इसी तरह की कोई मान्यता न दे.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की नई यूनिवर्सिटी बनाने का मतलब उत्तराखंड को कट्टरपंथियों के हाथों में देना है. इसका उद्देश्य उत्तराखंड को बांटना और विभाजित करना है. उन्होंने उत्तराखंड की जनता से अपील है कि वे ऐसी सरकार चुनें, जो भारतीय संस्कृति का नेतृत्व करने वाली हो.

पढ़ें- प्रियंका गांधी पर CM धामी की चुटकी, बोले 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं', लेकिन खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहीं'

यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा: दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में अकील अहमद कह रहे है कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा.

बता दें कि देहरादून जिले की सहसपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने आर्येंद्र शर्मा को टिकट दिया है. इसी से नाराज होकर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने निर्दलीय नामांकन किया था, लेकिन हरीश रावत के कहने पर ही 31 जनवरी को उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है. अकील अहमद ने कहा कि उन्होंने नामांकन वापस लेने के लिए हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की बात कही थी, जिस पर हरीश रावत ने सहमति जताई और उन्हें भरोसा दिया. हालांकि बाद में जब ये मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में उठा और कांग्रेस को बीजेपी ने घेरना शुरू कर दिया तो अकील अहमद ने ईटीवी भारत के साथ अपनी सफाई पेश की.

अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो वाले बयान पर अकील अहमद ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की है, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया है. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनके लिए यूनिवर्सिटी बननी चाहिए. हालांकि कांग्रेस ने इस पर कोई सहमति नहीं जताई है. इसके बावजूद इस बयान पर विवाद गहराने लगा है.

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में राजनीतिक पार्टियां वोटरों को लुभाने के लिए रोज नए-नए मुद्दा उठाने के साथ ही नई घोषणाएं भी कर रही हैं. कांग्रेस की ऐसी ही एक घोषणा ने उत्तराखंड की राजनीति में आज हलचल मचा दी है. कांग्रेस के एक नेता ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हवाले से उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनने पर मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने का दावा किया है. जिस पर बीजेपी नेता और सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ साधु-संतों ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.

कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का हरीश रावत के दावे के साथ मुस्लिम यूनिवर्सिटी खुलने का वीडियो वायरल होने के बाद प्रदेश की सिसायत में हलचल मच गई. बीजेपी इस मामले को लपक लिया. इस बारे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का भी बयान आया है.

मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनी कांग्रेस के गले की हड्डी

बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा: सीएम धामी ने कहा कि कांग्रेस देश आजाद होने से लेकर आजतक तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है, लेकिन बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा न्याय की बात की है और किसी के साथ अन्याय न हो इसका बात का ध्यान रखा है.

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सीएम धामी ने कहा कि कांग्रेस एक तरफ चारधाम की बात करती है और दूसरी तरफ इस देवभूमि में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने की पैरवी करती है. इसके कांग्रेस की मानसिकता स्पष्ट होती है कि वो चारधाम में मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाकर क्या दर्शाना चाहती है. सीएम ने कहा कि हरीश रावत पहले से ही इसके समर्थक रहे हैं, उनके शासनकाल में तो शुक्रवार (जुमे) की नमाज की भी छुट्टी हुआ करती थी.

साधु-संतों का विरोध: वहीं निरंजनी पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर 1008 कैलाशानंद गिरि ने भी उत्तराखंड में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यहां पहले से ही कई यूनिवर्सिटी चल रही हैं, उनमें किसी प्रकार का भेद तो है नहीं. इसीलिए किसी व्यक्तिगत जाति या धर्म के नाम पर उत्तराखंड में कोई यूनिवर्सिटी बने यह बिल्कुल भी सही नहीं है. ऐसा फैसला धर्म और उत्तराखंड के हित में नहीं है. उन्होंने उत्तराखंड सरकार से आग्रह किया है कि वो वर्तमान या भविष्य में इसी तरह की कोई मान्यता न दे.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की नई यूनिवर्सिटी बनाने का मतलब उत्तराखंड को कट्टरपंथियों के हाथों में देना है. इसका उद्देश्य उत्तराखंड को बांटना और विभाजित करना है. उन्होंने उत्तराखंड की जनता से अपील है कि वे ऐसी सरकार चुनें, जो भारतीय संस्कृति का नेतृत्व करने वाली हो.

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यहां से उठा मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा: दरअसल, उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में अकील अहमद कह रहे है कि उन्होंने सहसपुर विधानसभा सीट से अपना नामांकन वापस ले लिया है. साथ ही उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उनसे वादा किया है कि अगर उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस की सरकार बनती है तो मुस्लिम छात्रों के लिए एक विश्वविद्यालय बनाया जाएगा.

बता दें कि देहरादून जिले की सहसपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने आर्येंद्र शर्मा को टिकट दिया है. इसी से नाराज होकर कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष अकील अहमद ने निर्दलीय नामांकन किया था, लेकिन हरीश रावत के कहने पर ही 31 जनवरी को उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया है. अकील अहमद ने कहा कि उन्होंने नामांकन वापस लेने के लिए हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने की बात कही थी, जिस पर हरीश रावत ने सहमति जताई और उन्हें भरोसा दिया. हालांकि बाद में जब ये मुद्दा उत्तराखंड की राजनीति में उठा और कांग्रेस को बीजेपी ने घेरना शुरू कर दिया तो अकील अहमद ने ईटीवी भारत के साथ अपनी सफाई पेश की.

अकील अहमद की सफाई: वायरल वीडियो वाले बयान पर अकील अहमद ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने हरीश रावत से मुस्लिम यूनिवर्सिटी खोलने के लिए बात जरूर की है, लेकिन हरीश रावत ने उनसे कोई वादा नहीं किया है. अकील अहमद ने कहा कि राज्य में 18 प्रतिशत मुस्लिम हैं. उनके लिए यूनिवर्सिटी बननी चाहिए. हालांकि कांग्रेस ने इस पर कोई सहमति नहीं जताई है. इसके बावजूद इस बयान पर विवाद गहराने लगा है.

Last Updated : Feb 2, 2022, 4:49 PM IST
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