ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश (AIIMS Rishikesh) में हवा से ऑक्सीजन पैदा करने वाला 'पीएसए ऑक्सीजन प्लांट' (PSA Oxygen Plant) स्थापित किया जा रहा है. कोरोना की संभावित तीसरी लहर को देखते हुए यह प्लांट कोविड मरीजों के इलाज में विशेष लाभकारी होगा. उम्मीद है कि एक माह के भीतर प्लांट से ऑक्सीजन का उत्पादन होने लगेगा.
बता दें कि, गंभीर रोगियों के इलाज के लिए एम्स ऋषिकेश अब स्वयं ही मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन करेगा. इस सुविधा को शुरू करने के लिए डीआरडीओ की मदद से एम्स में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जा रहा है. पीएसए (प्रेशर स्विंग एडसॉर्प्शन) (Pressure Swing Adsorption) तकनीक आधारित इस प्लांट से चौबीसों घंटे प्रति मिनट 1000 लीटर ऑक्सीजन गैस का उत्पादन होगा.
ऑक्सीजन प्लांट प्रोजेक्ट के नोडल ऑफिसर डॉक्टर अजय कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर की चुनौतियों से निपटने में यह प्लांट विशेष लाभकारी सिद्ध होगा. अभी तक एम्स में भर्ती मरीजों के इलाज के लिए लिक्विड ऑक्सीजन स्टोर करने की व्यवस्था है और फिर उसे गैस में परिवर्तित कर पाइपलाइन के माध्यम से अस्पताल के विभिन्न वार्डों तक पहुंचाया जाता है.
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डॉ. अजय ने बताया कि पीएम केयर फंड से तैयार हो रहे इस प्लांट से एक महीने के भीतर ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा. उल्लेखनीय है कि एम्स ऋषिकेश में मौजूदा समय में 30 हजार लीटर क्षमता का लिक्विड ऑक्सीजन स्टोरेज प्लांट लगा है. अस्पताल में भर्ती मरीजों को यहीं से ऑक्सीजन की सप्लाई की जाती है. नए ऑक्सीजन प्लांट के स्थापित हो जाने से 15 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन सप्लाई पर एक ही समय में 64 वेंटिलेटर अतिरिक्त तौर से संचालित किए जा सकेंगे और ऑक्सीजन सप्लाई की क्षमता पहले की अपेक्षा अब डेढ़ गुना तक बढ़ जाएगी.