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एनपीए बंद किए जाने के प्रस्ताव का चिकित्सा सेवा संघ ने किया विरोध, उग्र आंदोलन की दी चेतावनी

उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ एनपीए (नॉन प्रैक्टिशनर अलाउंस) को बंद करने को लेकर लामबंद हो गया है. संघ से जुड़े पदाधिकारियों ने इसको लेकर आंदोलन की चेतावनी दी है. वहीं संघ ने डीजी हेल्थ से स्पष्टीकरण तलब जाने को गलत बताया है.

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Published : Apr 7, 2023, 10:11 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने एनपीए बंद किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. संघ के पदाधिकारियों ने ऐसा कोई प्रस्ताव लाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. सरकारी चिकित्सकों ने उप जिला चिकित्सालय काशीपुर से जुड़े प्रकरण में स्वास्थ्य महानिदेशक से स्पष्टीकरण तलब होने पर भी नाखुशी जाहिर की है.

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा के अनुसार सरकारी अस्पतालों को ड्यूटी टाइम के अतिरिक्त निजी प्रैक्टिस की छूट की बात की जा रही है. इधर एनपीए बंद किए जाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है, जिसका सभी डॉक्टर्स विरोध करते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव लाती है, तो संघ से जुड़े चिकित्सक आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे. डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि उप जिला चिकित्सालय काशीपुर के सीएमएस से जुड़े मामले में डीजी हेल्थ से स्पष्टीकरण तलब किया गया है, जबकि महानिदेशक ने कोई स्थानांतरण नहीं किया है, बल्कि नितांत अस्थायी और कामचलाऊ व्यवस्था के तहत यह व्यवस्था की गई थी.
पढ़ें-उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कई जजों का किया ट्रांसफर, रजिस्ट्रार जरनल विवेक भारती ने जारी किए आदेश, यहां देखे लिस्ट

संघ के अध्यक्ष के मुताबिक अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर खेमपाल को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का प्रभार उन्होंने दिया था. मरीजों व कर्मचारियों के हितों व मार्च में होने वाले वित्तीय कार्य को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार उन्हें दायित्व सौंपा गया था. इसमें नियमों की कहीं भी अवहेलना नहीं की गई है. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ का कहना है कि डीजी हेल्थ विभाग का मुखिया होता है. उनसे स्पष्टीकरण तलब किए जाने से चिकित्सकों में आक्रोश व्याप्त है. वहीं संघ ने इन दोनों मामलों को लेकर आज आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक बैठक बुलाई गई है. जिसमें संघ से जुड़े सभी चिकित्सकों को आमंत्रित किया गया है.

देहरादून: उत्तराखंड प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने एनपीए बंद किए जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. संघ के पदाधिकारियों ने ऐसा कोई प्रस्ताव लाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है. सरकारी चिकित्सकों ने उप जिला चिकित्सालय काशीपुर से जुड़े प्रकरण में स्वास्थ्य महानिदेशक से स्पष्टीकरण तलब होने पर भी नाखुशी जाहिर की है.

प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज वर्मा के अनुसार सरकारी अस्पतालों को ड्यूटी टाइम के अतिरिक्त निजी प्रैक्टिस की छूट की बात की जा रही है. इधर एनपीए बंद किए जाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है, जिसका सभी डॉक्टर्स विरोध करते हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ऐसा कोई प्रस्ताव लाती है, तो संघ से जुड़े चिकित्सक आंदोलन के लिए मजबूर हो जाएंगे. डॉ. मनोज वर्मा ने कहा कि उप जिला चिकित्सालय काशीपुर के सीएमएस से जुड़े मामले में डीजी हेल्थ से स्पष्टीकरण तलब किया गया है, जबकि महानिदेशक ने कोई स्थानांतरण नहीं किया है, बल्कि नितांत अस्थायी और कामचलाऊ व्यवस्था के तहत यह व्यवस्था की गई थी.
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संघ के अध्यक्ष के मुताबिक अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर खेमपाल को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का प्रभार उन्होंने दिया था. मरीजों व कर्मचारियों के हितों व मार्च में होने वाले वित्तीय कार्य को ध्यान में रखते हुए नियमानुसार उन्हें दायित्व सौंपा गया था. इसमें नियमों की कहीं भी अवहेलना नहीं की गई है. प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ का कहना है कि डीजी हेल्थ विभाग का मुखिया होता है. उनसे स्पष्टीकरण तलब किए जाने से चिकित्सकों में आक्रोश व्याप्त है. वहीं संघ ने इन दोनों मामलों को लेकर आज आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने के लिए एक बैठक बुलाई गई है. जिसमें संघ से जुड़े सभी चिकित्सकों को आमंत्रित किया गया है.

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