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CAA का विरोधः उत्तराखंड में भी सड़कों पर उतरे लोग, केंद्र सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा - देहरादून न्यूज

नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन जारी है. जिसका असर उत्तराखंड में भी देखने को मिल रहा है.

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Published : Dec 19, 2019, 7:15 PM IST

Updated : Dec 19, 2019, 8:13 PM IST

देहरादून/हल्द्वानी/रामनगर: दिल्ली और यूपी के बाद उत्तराखंड में भी नागरिक संशोधन कानून 2019 (सीएए) का विरोध शुरू हो गया है. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश कई शहरों में अलग-अलग संगठनों ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन किया और जुलूस निकाला.

देहरादून: सीएए के विरोध में सर्वदलीय धरना
सीएए के विरोध में देहरादून में विभिन्न संगठनों के लोग गांधी पार्क में एकत्र हुए. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 1927 में आज ही के दिन भारत के शहीद क्रांतिकारियों अशफाक उल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह को एक साथ फांसी की सजा दी गई थी. ये देश उनकी साझी विरासत है. लेकिन केंद्र सरकार ने नागरिक संशोधन कानून लाकर लोकतंत्र की भावना से खिलवाड़ किया है. जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम इस देश को सांप्रदायिक नहीं होने देगे. प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा.

उत्तराखंड में भी CAA का विरोध

पढ़ें- अनाथ बच्चों के उज्ज्वल भविष्य से जुड़ी खास नियमावली को राज्यपाल ने दी मंजूरी

रामनगर में भी लोगों ने किया प्रदर्शन

देहरादून के अलावा रामनगर में भी कुछ संगठनों ने सीएए का विरोध किया. यहां नौजवान- ए-हिंद के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते इस कानून की वापस लेने की मांग की. कौमी एकता संघर्ष के अध्यक्ष खुर्शीद आलम ने कहा कि ये कानून संविधान विरोधी है. ये कानून देश को धर्म के आधार पर बांट रहा है. इसलिए वो सीएए का विरोध कर रहे है.

हल्द्वानी में वामपंथी दलों ने खोला मोर्चा
सीएए के विरोध की आग हल्द्वानी तक भी पहुंच गई है. यहां गुरुवार को वामपंथी दल के आह्वान पर कई संगठन बुधपार्क में एकत्र हुए. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक नागरिकता संशोधन कानून को वापस नहीं ले लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

देहरादून/हल्द्वानी/रामनगर: दिल्ली और यूपी के बाद उत्तराखंड में भी नागरिक संशोधन कानून 2019 (सीएए) का विरोध शुरू हो गया है. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश कई शहरों में अलग-अलग संगठनों ने सीएए के विरोध में प्रदर्शन किया और जुलूस निकाला.

देहरादून: सीएए के विरोध में सर्वदलीय धरना
सीएए के विरोध में देहरादून में विभिन्न संगठनों के लोग गांधी पार्क में एकत्र हुए. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश व्यक्त किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों का कहना था कि 1927 में आज ही के दिन भारत के शहीद क्रांतिकारियों अशफाक उल्ला खां, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और ठाकुर रोशन सिंह को एक साथ फांसी की सजा दी गई थी. ये देश उनकी साझी विरासत है. लेकिन केंद्र सरकार ने नागरिक संशोधन कानून लाकर लोकतंत्र की भावना से खिलवाड़ किया है. जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हम इस देश को सांप्रदायिक नहीं होने देगे. प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा.

उत्तराखंड में भी CAA का विरोध

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रामनगर में भी लोगों ने किया प्रदर्शन

देहरादून के अलावा रामनगर में भी कुछ संगठनों ने सीएए का विरोध किया. यहां नौजवान- ए-हिंद के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते इस कानून की वापस लेने की मांग की. कौमी एकता संघर्ष के अध्यक्ष खुर्शीद आलम ने कहा कि ये कानून संविधान विरोधी है. ये कानून देश को धर्म के आधार पर बांट रहा है. इसलिए वो सीएए का विरोध कर रहे है.

हल्द्वानी में वामपंथी दलों ने खोला मोर्चा
सीएए के विरोध की आग हल्द्वानी तक भी पहुंच गई है. यहां गुरुवार को वामपंथी दल के आह्वान पर कई संगठन बुधपार्क में एकत्र हुए. जहां उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया. भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जब तक नागरिकता संशोधन कानून को वापस नहीं ले लेती तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

Intro:intro- रामनगर में आज नागरिक संशोधन बिल के खिलाफ नौजवान ए हिंद के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बिल को वापस लेने की मांग की|


Body:vo.- रामनगर में नौजवान ऐ हिंद के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने रानीखेत रोड पर प्रदर्शन किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बिल को वापस लेने की मांग की |
नौजवान ए हिंद के बैनर तले आज सुबह सैकड़ों लोग टैक्सी स्टैंड रामनगर में एकत्र हुए और शांतिपूर्वक तरीके से विरोध जताया| प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग शामिल थे,सभा को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता मनीष कुमार अग्रवाल ने कहा अगर शरणार्थियों को शरण देने की ही बात है तो मोदी सरकार शरणार्थियों को धर्म के आधार पर क्यों बांट रही है, केवल उन्हीं तीन देशों को क्यों चुना गया जो मुस्लिम बहुल हैं,वही कौमी एकता संघर्ष के अध्यक्ष खुर्शीद आलम ने कहा कि संसद से पारित किया नागरिकता संशोधन बिल संप्रदायिकता से प्रेरित है, और संविधान विरोधी है इससे देश के धार्मिक आधार पर बंटवारे का खतरा उत्पन्न हो गया है ,उन्होंने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन बताया और राष्ट्रपति से इसे वापस कराने की अपील की|

byte-1-मुनीष कुमार अग्रवाल(सामाजिक कार्यकर्ता)
byte-2-खुर्शीद आलम(कोमी एकता अध्यक्ष)


Conclusion:
Last Updated : Dec 19, 2019, 8:13 PM IST
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