देहरादून: दीपावाली में जलाए जाने वालों पटाखों को लेकर वीर सावरकर धार्मिक संस्था ने उन पटाखों पर रोक लगाने की मांग की है, जिन पर धार्मिक चित्र बने होते हैं. संस्था का कहना है कि दीपावाली के अगले दिन ये सभी चित्र पैरों के नीचे होते हैं और धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं. इस विषय को लेकर संगठन ने सिटी मजिस्ट्रेट से इन्हें रोकने की मांग की जिस पर उचित कार्रवाई का आश्वाशन दिया है.
किसी समय अपनी विशेष पहचान रखने वाला लक्ष्मी बम पटाखा आज भी उसी नाम से जाना जाता है, लेकिन इस पर बनी लक्ष्मी माता की फोटो का पिछले कई सालों से विरोध हो रहा है. ऐसा केवल इसी पटाखे के साथ नहीं बल्कि उन सभी पटाखों के साथ है जिन पर किसी देवी-देवताओं की फोटो बनी है. इस्तेमाल होने के बाद यह फोटो पैरों के नीचे आती हैं.
हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावाली पर जहां अब तक पटाखा व्यवसायी, इन्हीं धार्मिक चित्रों के जरिये लोगों में लोकप्रिय थे तो वहीं अब समय के साथ-साथ सोच बदली है, अब यही चित्र इन व्यवसायियों के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं.
देहरादून में वीर सावरकर धार्मिक संस्था पिछले कई सालों से इस तरह के पटाखों के खिलाफ कार्यरत हैं, जिन पर धार्मिक चित्र छपे होते हैं. इस बार भी संस्था ने नगर प्रशासन से इस तरह के पटाखों पर बैन लगाने का अनुरोध किया है. साथ ही अधिकारियों को चेताया है कि इससे धार्मिक अनुनाद फैलने की भी आशंका है. संगठन के संथापक कुलदीप स्वेडिया ने बताया कि वो पिछले कई सालों से इस मुद्दे को उठा रहे हैं. हालांकि, इसमें कमी आई है लेकिन अभी पूरी तरह से खत्म करने के लिए हर किसी को जागरुक होने की जरूरत है.
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वहीं, दूसरी तरफ सिटी मजिस्ट्रेट अभिषेक रुहेला ने भी अपील की है कि वह शांतिपूर्ण ढंग से दीपावाली का पर्व मनाएं. साथ ही इस तरह के पटाखे न खरीदें, जिस पर देवी देवताओं की तस्वीरें बनी हों, जिससे किसी की भावनाएं आहत न हों. इसके अलावा सिटी मजिस्ट्रेट ने पटाखा व्यापारियों को भी बुला कर सख्त हिदायत दी है, कि वह इस तरह के पटाखे ना बेचें, जिन पर देवी देवताओं की तस्वीरें बनी हों.