वाराणसी/देहरादूनः कोरोना वायरस के खात्मे के लिए कई एनजीओ ने संक्रमित मरीजों को दवा के साथ गंगाजल पिलाने का सुझाव केंद्र सरकार को भेजा था. इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए पीएमओ ने इसे आईसीएमआर (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद) को भेज दिया है. वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजिस्ट प्रोफेसर विजय नाथ मिश्र ने भी इस संबंध में एक प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा था. ईटीवी भारत ने प्रोफेसर विजय मिश्र गुप्ता से बातचीत कर जाना कि गंगा का पानी कितना कारगर है.
प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा था प्रपोजल
प्रो. मिश्र ने बताया कि गंगा नदी पर 30 वर्षो से अधिक समय तक काम करने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण गुप्ता ने कोरोना वायरस के संक्रमितों का इलाज करने के लिए गंगा नदी के पानी को भी इस्तेमाल करने की बात करते हुए रिसर्च करने की इच्छा जाहिर की थी. इसके बाद एक प्रपोजल तैयार कर उसे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भेजा गया. उन्होंने बताया कि कुछ दिन बाद राष्ट्रपति के सेक्रेटरी का फोन अरुण गुप्ता के पास आया और बताया गया कि प्रपोजल को आईसीएमआर और क्लीन गंगा मिशन को भेजा गया है.
आईसीएमआर ने कहा नहीं उपलब्ध है क्लीनिकल डाटा
प्रो. विजय नाथ ने बताया कि इस संबंध में आईसीएमआर ने कहा कि अभी कोई क्लीनिकल डाटा उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण इसका रिसर्च नहीं हो सकता. जिसके बाद अरुण गुप्ता ने बीएचयू और ऋषिकेश एम्स को रिसर्च करने के लिए कहा है. प्रो. नाथ के अनुसार अरुण गुप्ता ने कहा कि इसका क्लीनिकल डाटा तैयार करने और रिसर्च पर काम होना चाहिए.
गंगा के तट पर बसे जिलों में कम है कोरोना का संक्रमण
प्रो. मिश्र ने बताया गंगा के तट पर 46 जिले पड़ते है और इनमें से केवल 12 जिले ही रेड जोन में है. उन्होंने कहा कि गंगा नदी का पानी संक्रमण फैलने से रोक रहा है. यह रिसर्च का विषय है. इसलिए रिसर्च के संबंध में एक प्रपोजल तैयार कर आईसीएमआर को भी भेजा गया है.