देहरादूनः शुक्रवार को देहरादून नगर निगम की बोर्ड बैठक होने जा रही है. बोर्ड बैठक में कई निर्णयों पर मुहर लग सकती है. इस बार नगर निगम जनता को महंगाई का झटका दे सकता है. जिसके तहत नगर निगम प्रॉपर्टी म्यूटेशन (संपत्ति नामांतरण) का शुल्क 150 रुपए से बढ़ाकर सीधे 5000 रुपए करने की तैयारी कर रहा है. साथ ही डोर टू डोर कूड़ा उठाने के लिए लिया जा रहा मासिक यूजर चार्ज भी 50 रुपए से बढ़ाकर 75 रुपए किया जा सकता है. इसके अलावा इस बार जिला योजना समिति पर भी मुहर लग सकती है.
बता दें कि इस बार देहरादून नगर निगम की बोर्ड बैठक (Dehradun Municipal Corporation Board Meeting) में 15 प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी. बोर्ड बैठक में सबसे बड़ा मुद्दा मासिक यूजर चार्ज और म्यूटेशन शुल्क बढ़ोत्तरी का रहेगा. भवन कर अनुभाग की ओर से म्यूटेशन का शुल्क वर्तमान में डेढ़ सौ रुपए निर्धारित है, लेकिन अनुभाग के अधिकारियों के अनुसार यह बहुत कम है. उनके अनुसार निगम का इससे कई गुना ज्यादा खर्च आता है. ऐसे में धनराशि पांच हजार रुपए करने का प्रस्ताव है, लेकिन यह केवल विरासत उत्तराधिकार या वसीयत के आधार पर संपत्ति नामांतरण का शुल्क होगा.
आवासीय मकानों के लिए या उपहार की संपत्ति पर निर्धारित स्थान का एक प्रतिशत जबकि, व्यावसायिक संपत्ति के मामले में यह निर्धारित स्टांप शुल्क का दो प्रतिशत होगा. मेयर सुनील उनियाल गामा (Mayor Sunil Uniyal Gama) ने बताया कि इस बार बोर्ड बैठक का विषय जिला योजना समिति (District Planning Committee) है. इस योजना के तहत बोर्ड बैठक में पास करके भेजा जाएगा. नए दिशा निर्देश आए हैं, उसी अनुसार बोर्ड बैठक बुलाई गई है.
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उन्होंने कहा कि बोर्ड बैठक में सभी विभागों के अधिकारियों को बुलाया गया है. विभागों के अधिकारियों के साथ चर्चा कर प्रस्ताव आगे भेजा जाएगा. पहले डीपीसी के मेंबर सीधा प्रस्ताव जिला अधिकारी को भेजते थे और वो पास हो जाते थे, लेकिन इस बार परिवर्तन हुआ है. बोर्ड बैठक के माध्यम से पूरे प्रदेश में नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगम में प्रस्ताव को पास करके आगे भेजा जाएगा.
देहरादून नगर निगम मेयर गामा ने बताया कि म्यूटेशन बढ़ाने (Property Mutation Charges Increased in Dehradun) के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा. इसके लिए उत्तराखंड के बाकी जिलों से जानकारी लेकर उन जिलों के अनुरूप बनाए हैं और 150 रुपए म्यूटेशन है, लेकिन जब नगर निगम को पत्राचार करना होता है तो कहीं-कहीं एक हजार रुपए से अधिक खर्चा आ जाता है. जिस कारण नगर निगम को हानि होती है. इसलिए इस तरह की व्यवस्था बनाई जा रही है, जिससे नगर निगम को किसी भी तरह हानि न हो.