देहरादून: उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय और भारतीय पुनर्वास परिषद के संयुक्त तत्वाधान में चल रही पांच दिवसीय पुनर्वास शैक्षिक कार्यक्रम का समापन हो गया. समापन कार्यक्रम में सभी शिक्षकों को दिव्यांग छात्रों के साथ एक अच्छे भविष्य की कामना करते हुए शुभकामनाएं दी. वहीं, इस मौके पर पांच दिवसीय कार्यशाला में प्रतिभाग करने वाले शिक्षकों को प्रशस्ति पत्र भी दिए गए.
कार्यशाला में दिव्यांग बच्चों में बढ़ती उम्र में व्यवहार और माता-पिता को और विशेषज्ञों को इन बालकों के साथ उनके साथ वर्ताव और किस प्रकार की तकनीक अपनानी चाहिए इस पर भी विचार-विमर्श हुआ. साथ ही दिव्यांग बच्चों के साथ एक समावेशी कक्षा में किस प्रकार से विशेषज्ञों अथवा शिक्षकों को व्यवस्था बनानी चाहिए और किन- किन समस्याओं में सामान्यतः विशेषज्ञों को सामना करना पड़ता है इस बारे में भी विस्तार से चर्चा हुई.
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वहीं, कार्यक्रम में उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय विशेष शिक्षा कार्यक्रम के समन्वयक और पुनर्वास विशेषज्ञ डॉक्टर सिद्धार्थ पोखरियाल ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि किसी भी दिव्यांग को समावेशित कक्षा में प्रवेश से पहले पुनर्वास टीम द्वारा उपयोगी संसाधनों की व्यवस्था दिव्यांग बच्चों की आवश्यकता अनुसार अवश्य करा लेनी चाहिए. इस दौरान सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने क्षेत्र में आ रही विभिन्न समस्याओं के निस्तारण पर भी चर्चा की.