देहरादून: कोरोना काल में उत्तराखंड की जेलों से पैरोल पर छूटने के बाद अपराधिक गतिविधियों में लिप्त कैदियों की धरपकड़ पुलिस के लिए चुनौती बन गया है. जेलों से बाहर आने के बाद ये कैदी अपराधिक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इसके अलावा वापस लौटे कैदियों की संख्या भी बहुत कम है. जिसके कारण पुलिस की परेशानियां बढ़ रही हैं.
राजधानी देहरादून की सुद्धोवाला जेल से कोरोना संक्रमण के चलते हाईकोर्ट के आदेश मुताबिक वर्ष 2020 में 104 सजा विचाराधीन बंदी और 23 सिद्धदोष कैदियों को मिलाकर 127 बंदियों को पैरोल पर रिहा किया गया. वहीं वर्ष 2021 में एक बार फिर उच्च न्यायालय के आदेश मुताबिक जेलों में सोशल डिस्टेंसिंग नियम लागू के तहत 118 सजा विचाराधीन और 16 सिद्धदोष कैदियों सहित 134 कैदियों को पैरोल पर रिहा किया गया. अब परेशान करने वाली बात ये है कि पैरोल पर रिहा होने वाले कैदियों में तय समय अवधि 6 महीना के बाद भी अभी तक कुल 33 विचाराधीन कैदी और 17 सिद्धदोष बंदी ही वापस आए हैं.
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ऐसे में काफी संख्या में पैरोल पर रिहा हुए कैदियों को गिरफ्तार कर वापस लाना पुलिस के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है. इसमें सबसे बड़ी समस्या यह आ रही है कि पैरोल पर रिहा होने वाले अधिकांश कैदी बाहर आकर अपराधिक गतिविधियों में फिर से लिप्त हो गए हैं. इसी के दृष्टिगत कुछ कैदियों को बमुश्किल गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है.
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देहरादून एसएसपी डॉक्टर योगेंद्र सिंह रावत की मानें तो पैरोल पर छूटे कैदियों के बाहर आने से कई लोग फिर से अपराधिक गतिविधियों में लिप्त नजर आ रहे हैं. पुलिस लगातार ऐसे कैदियों को गिरफ्तार कर जेल भेज रही है. वहीं दूसरी तरफ पैरोल पर छूटे कैदियों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी संबंधित थाना पुलिस को आदेशित किया गया है.