देहरादून: कोरोना महामारी के चलते जारी लॉकडाउन से सिर्फ आम व्यापारी ही आर्थिक नुकसान से नहीं गुजर रहे हैं, बल्कि लॉकडाउन के असर से मंदिरों के साथ ही विश्व प्रसिद्ध चारों धाम केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री, और यमुनोत्री धाम में भी आर्थिक संकट गहरा गया है. कोरोना के कहर को देखते हुए इस बार बेहद सादगी के साथ भगवान बदरीनाथ के कपाट खोल दिए गये हैं.
कोरोना महामारी के चलते बीते 22 मार्च से प्रदेश में जारी पूर्ण लॉकडाउन के बीच मंदिरों के साथ ही अन्य तीर्थ स्थलों को श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. ऐसे में लॉकडाउन 3.0 के तहत केंद्र सरकार की जारी गाइडलाइन के अनुसार शराब की दुकानों के साथ ही अन्य गैर जरूरी चीजों की दुकानों को खोलने की अनुमति प्रदान कर दी गई है, तब भी मंदिरों और विभिन्न धार्मिक स्थलों में ताले जड़े हुए हैं. जिससे पुजारियों के साथ ही धार्मिक कर्मकांड करने वाले पंडितों की दक्षिणा पर पूर्ण विराम लग चुका है.
ज्योतिषाचार्य पंडित सुभाष जोशी बताते हैं कि देहरादून शहर में लगभग 800 छोटे-बड़े मंदिर मौजूद हैं. ऐसे में लगभग 2 महीनों से मंदिर बंद होने से पंडितों के साथ ही मंदिर समिति से जुड़े हजारों लोगों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. उनका मानना है कि जिस तरह सरकार ने विभिन्न शर्तों के साथ दुकानों को खोलने की अनुमति प्रदान कर दी है. उन्हीं शर्तों के साथ सरकार अब मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों को भी खोलने की अनुमति प्रदान करें.
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वहीं, दूसरी तरफ कोरोना संकट के बीच मंदिरों को खोले जाने को लेकर कुछ पंडितों की अलग राय है. नेहरू कॉलोनी स्थित सनातन धर्म मंदिर के पुजारी पंडित दीनबंधु तिवारी का मानना है कि मंदिरों को फिलहाल सरकार को बंद ही रखना चाहिए. क्योंकि यदि मंदिरों को इस संकट की घड़ी में खोल दिया जाता है, तो इससे हर दिन मंदिरों में लोगों की भारी भीड़ लगेगी. जिससे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करा पाना मुश्किल होगा.
हालांकि, लॉकडाउन के बीच मंदिरों को खोले जाने को लेकर पंडितों और ज्योतिषाचार्यों की अपनी अलग अलग राय है. मंदिरों के बंद होने से सिर्फ मंदिरों पर ही आर्थिक संकट नहीं गहराया है, बल्कि मंदिरों के बाहर पूजा सामग्री की दुकान चलाने वाले व्यापारी भी खासे प्रभावित हुए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए व्यापारी ने बताया कि जब से मंदिर बंद हुए हैं, तब से ही उनका कारोबार ठप पड़ा हुआ है. ऐसे में अब दिन प्रतिदिन उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण कर पाना भी मुश्किल होता जा रहा है.