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उत्तराखंड में प्याज उत्पादन डिमांड से बेहद कम, जानिए हर साल क्यों रुलाता है प्याज - Onion cultivation in Uttarakhand

त्योहारों के सीजन में पूरे देश को प्याज आंसू निकाल रहा है. जानिए आखिर क्यों इसी समय प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.

Onion cultivation in Uttarakhand
उत्तराखंड में इन जगहों प्याज की खेती
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Published : Oct 24, 2020, 6:13 PM IST

देहरादून: प्याज पिछले साल की तरह उपभोक्ताओं के आंसू निकाल रहा है. बरसात में फसल खराब होने की वजह से प्याज के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ता परेशान हैं. वहीं, प्याज के बढ़ते दाम के बीच उत्तराखंड में प्याज के उत्पादन को लेकर राज्य सरकार की तरफ से अब तक कोई खास प्रयास नहीं हो पाए हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड तमाम कृषि योजनाओं के बीच प्याज के उत्पादन को अपनी खपत के बराबर भी नहीं कर पाया है.

केंद्र सरकार के पास प्याज का महज 25 हजार टन का सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) बचा हुआ है. यह स्टॉक नवंबर के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाएगा. देश में प्याज की खुदरा कीमतें 75 रुपए किलो के पार जा चुकी हैं. देहरादून के बाजारों में प्याज 80 रुपए तक बिक रहे हैं. त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आम लोग भी हैरान हैं. बता दें कि, 2 हफ्ते पहले तक देहरादून में प्याज 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा था.

उत्तराखंड में प्याज उत्पादन डिमांड से बेहद कम.

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि प्रदेश में प्याज का उत्पादन यहां की खपत से भी कम है. लेकिन इसके बावजूद प्याज के दामों में बढ़ोतरी न हो, इसके लिए सरकार ने हाल ही में प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया है. ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और प्याज की कीमतों में गिरावट आए.

उत्तराखंड में इन जगहों प्याज की खेती

उत्तराखंड सहित देश भर में सितंबर से नवंबर तक का महीना प्याज के लिहाज से काफी परेशानियों भरा होता है. कोशिश की जाती है कि इन महीनों में प्याज के दामों को कम रखा जाए. लेकिन साल दर साल यह कोशिश सरकारों की नाकामयाब होती रहती है. उत्तराखंड में प्याज के भंडारण की उचित व्यवस्था भी नहीं दिखाई देती है. साथ ही प्याज के उत्पादन के क्षेत्र में भी राज्य उदासीन रहा है. वर्तमान में उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और नैनीताल में प्याज का उत्पादन किया जा रहा है. उत्तराखंड में फिलहाल 45000 टन प्याज का उत्पादन होता है. लेकिन प्रदेश में प्याज की डिमांड इससे कहीं ज्यादा है.

ये भी पढ़ें: महंगा पड़ रहा प्याज का तड़का, कीमत ₹90 प्रति किलो तक पहुंची

हर साल इस सीजन में प्याज क्यों होता है महंगा?

प्याज का मसला ऐसा है कि सरकारें तक चिंताग्रस्त हो जाती हैं. अक्सर प्याज की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं. लिहाजा सरकार तक कोशिश में रहती है कि उनकी कीमतों को काबू में रखा जाए. इस बार प्याज की कीमतों में बढोतरी का रिश्ता प्याज उत्पादन वाले राज्यों में हुई भारी बारिश और फसल खराब हो जाने से है. देशभर में जिस तरह से प्याज पैदा होती है, उसमें इसकी फसल लगातार ही बाजार में उपलब्ध होती रहती है. सितंबर में अक्सर इसकी फसल पर सूखे या बारिश की मार का असर दामों पर पड़ता है.

भारत सबसे ज्यादा प्याज उत्पादक देशों में शामिल

भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन करता है. चीन के बाद भारत ही वो देश है जहां से दुनिया भर में प्याज का निर्यात होता है. जानकारी के अनुसार दुनिया में करीब 19% प्याज भारत से ही जाता है. देश मे करीब 2.3 करोड़ टन का उत्पादन होता है. लेकिन इसके बावजूद भी देश में प्याज की कीमतों को लेकर समय-समय पर लोगों को दिक्कतें आती रहती हैं.

कब-कब प्याज की कीमतों ने रुलाया

1980 में पहली बार प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखी गई. प्याज आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया था. 1998 में एक बार फिर प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी. दिल्ली में इसकी कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन गई. 2010 में प्याज की कीमतें फिर बढ़ी. 3 साल बाद 2013 में प्याज कई जगहों पर 150 रुपए किलो तक बिका. 2015 में प्याज की कीमतों ने एक बार फिर लोगों को रुलाया. इसके अलावा तकरीबन हर साल सितंबर अक्टूबर में प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.

देहरादून: प्याज पिछले साल की तरह उपभोक्ताओं के आंसू निकाल रहा है. बरसात में फसल खराब होने की वजह से प्याज के दाम लगातार आसमान छू रहे हैं, जिससे आम उपभोक्ता परेशान हैं. वहीं, प्याज के बढ़ते दाम के बीच उत्तराखंड में प्याज के उत्पादन को लेकर राज्य सरकार की तरफ से अब तक कोई खास प्रयास नहीं हो पाए हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड तमाम कृषि योजनाओं के बीच प्याज के उत्पादन को अपनी खपत के बराबर भी नहीं कर पाया है.

केंद्र सरकार के पास प्याज का महज 25 हजार टन का सुरक्षित भंडार (बफर स्टॉक) बचा हुआ है. यह स्टॉक नवंबर के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाएगा. देश में प्याज की खुदरा कीमतें 75 रुपए किलो के पार जा चुकी हैं. देहरादून के बाजारों में प्याज 80 रुपए तक बिक रहे हैं. त्योहारी सीजन में प्याज की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि से आम लोग भी हैरान हैं. बता दें कि, 2 हफ्ते पहले तक देहरादून में प्याज 40 से 50 रुपए प्रति किलो बिक रहा था.

उत्तराखंड में प्याज उत्पादन डिमांड से बेहद कम.

कृषि मंत्री सुबोध उनियाल कहते हैं कि प्रदेश में प्याज का उत्पादन यहां की खपत से भी कम है. लेकिन इसके बावजूद प्याज के दामों में बढ़ोतरी न हो, इसके लिए सरकार ने हाल ही में प्याज को आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे से बाहर कर दिया है. ताकि प्रतिस्पर्धा बढ़े और प्याज की कीमतों में गिरावट आए.

उत्तराखंड में इन जगहों प्याज की खेती

उत्तराखंड सहित देश भर में सितंबर से नवंबर तक का महीना प्याज के लिहाज से काफी परेशानियों भरा होता है. कोशिश की जाती है कि इन महीनों में प्याज के दामों को कम रखा जाए. लेकिन साल दर साल यह कोशिश सरकारों की नाकामयाब होती रहती है. उत्तराखंड में प्याज के भंडारण की उचित व्यवस्था भी नहीं दिखाई देती है. साथ ही प्याज के उत्पादन के क्षेत्र में भी राज्य उदासीन रहा है. वर्तमान में उत्तरकाशी, टिहरी, बागेश्वर और नैनीताल में प्याज का उत्पादन किया जा रहा है. उत्तराखंड में फिलहाल 45000 टन प्याज का उत्पादन होता है. लेकिन प्रदेश में प्याज की डिमांड इससे कहीं ज्यादा है.

ये भी पढ़ें: महंगा पड़ रहा प्याज का तड़का, कीमत ₹90 प्रति किलो तक पहुंची

हर साल इस सीजन में प्याज क्यों होता है महंगा?

प्याज का मसला ऐसा है कि सरकारें तक चिंताग्रस्त हो जाती हैं. अक्सर प्याज की कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन जाती हैं. लिहाजा सरकार तक कोशिश में रहती है कि उनकी कीमतों को काबू में रखा जाए. इस बार प्याज की कीमतों में बढोतरी का रिश्ता प्याज उत्पादन वाले राज्यों में हुई भारी बारिश और फसल खराब हो जाने से है. देशभर में जिस तरह से प्याज पैदा होती है, उसमें इसकी फसल लगातार ही बाजार में उपलब्ध होती रहती है. सितंबर में अक्सर इसकी फसल पर सूखे या बारिश की मार का असर दामों पर पड़ता है.

भारत सबसे ज्यादा प्याज उत्पादक देशों में शामिल

भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा प्याज उत्पादन करता है. चीन के बाद भारत ही वो देश है जहां से दुनिया भर में प्याज का निर्यात होता है. जानकारी के अनुसार दुनिया में करीब 19% प्याज भारत से ही जाता है. देश मे करीब 2.3 करोड़ टन का उत्पादन होता है. लेकिन इसके बावजूद भी देश में प्याज की कीमतों को लेकर समय-समय पर लोगों को दिक्कतें आती रहती हैं.

कब-कब प्याज की कीमतों ने रुलाया

1980 में पहली बार प्याज की कीमतों में जबरदस्त उछाल देखी गई. प्याज आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गया था. 1998 में एक बार फिर प्याज की कीमतें आसमान छूने लगी. दिल्ली में इसकी कीमतें राजनीतिक मुद्दा बन गई. 2010 में प्याज की कीमतें फिर बढ़ी. 3 साल बाद 2013 में प्याज कई जगहों पर 150 रुपए किलो तक बिका. 2015 में प्याज की कीमतों ने एक बार फिर लोगों को रुलाया. इसके अलावा तकरीबन हर साल सितंबर अक्टूबर में प्याज की कीमतें बढ़ जाती हैं.

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