ETV Bharat / state

हिमालयी राज्यों में आपदा से निपटने के लिए कंपनियों ने दिए प्रजेंटेशन, पॉलिसी में होगा बदलाव - Climate Change and Disaster Management

देहरादून में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा इंटरनेशनल कॉन्क्लेव ऑन यूज ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी इन डिजास्टर मैनेजमेंट पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन हो गया है. इस मौके पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कई विशेषज्ञों के साथ ही कई ऐसी एजेंसियां भी मौजूद रहीं जिनके द्वारा क्लाइमेट चेंज और डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर एडवांस लेबल पर कार्य किया जा रहा है.

Disaster Management
इंटरनेशनल कॉन्क्लेव
author img

By

Published : Mar 23, 2023, 9:39 AM IST

Updated : Mar 23, 2023, 10:50 AM IST

आपदा से निपटने के लिए कंपनियों ने दिए प्रजेंटेशन

देहरादून: कार्यशाला के दूसरे दिन समापन से पहले दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. पहला सत्र जियो टारगेट सेल ब्रॉडकास्टिंग पर आधारित था. इसमें चार प्रतिष्ठित संस्थान सी-डॉट, सेलटेक, एवरब्रिज और ईवा एन्फोकॉम (नेलको) के प्रतिनिधियों ने अपने प्रजेंटेशन दिये.

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की इंटरनेशनल कॉन्क्लेव: कार्यशाला में दो दिन तक खास तौर से बेहद संवेदनशील फ्रेजाइल हिमालयन रीजन में डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर हुए इस मंथन में देश विदेश से आये एक्सपर्ट्स ने अपना अपना प्रजेंटेशन रखा. पहले सेशन का पहला प्रजेंटेशन सी-डॉट टेक कंपनी के प्रतिनिधि सौरभ बासु द्वारा दिया गया. बासु ने कॉमन एलर्टिंग प्रोटोकॉल के माध्यम से बताया कि कैसे विभिन्न आपदाओं के पूर्वानुमान को जन सामान्य तक पहुंचाने और उससे जुड़ी चेतावनी दी जाये और उनमें किन तथ्यों का समावेश होना चाहिए.

सेलफोन निर्माताओं के दिए ये निर्देश: सेल ब्रॉडकॉस्ट और लोकेशन बेस्ड संदेश किस प्रकार कारगर हो सकते हैं और अन्य तकनीक जिसमें रेलवे, इसरो आदि के प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हुए सेल ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है. यह अति महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक सेलफोन उपभोक्ता इसे डिसेबल न कर पाये, इसके लिए पॉलिसी स्तर पर भारत सरकार द्वारा सेलफोन निर्माताओं को निर्देश भी दिए गए हैं.

लोकल वार्निग सिस्टम के बारे में बताया: वहीं इसके बाद दूसरा प्रजेंटेशन अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनी सेलटेक से रॉनेन डेनियल ने सेल ब्रॉडकास्ट और लोकल वार्निग सिस्टम के बारे में बताया कि टेक्नोलॉजी वर्ष 2008 में अमरीका में शुरू की गयी. आज यूरोप सहित पूरे दक्षिण एशिया के देशों में 4G और 5G टेक्नोलॉजी के साथ इंटीग्रेट कर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं भारत में यह तकनीक आन्ध्र प्रदेश में प्रयोग में लायी जा रही है. इस तकनीक के माध्यम से 1000 अलर्ट प्रतिदिन जारी किए जा सकते हैं.

पब्लिक वर्किंग सिस्टम का प्रजेंटेशन दिया: तीसरा प्रजेंटेशन में अंतराष्ट्रीय वेंचर एवरब्रिज के मैनुवल कार्नेलिसे ने पब्लिक वर्किंग सिस्टम के बारे में डीटेल्ड जानकारी देते हुए हुए बताया कि कैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम से जन मानस को आपदा से लड़ने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम इंडस्ट्रियल एरिया, डिसप्लेस्ड पॉपुलेशन और पर्यटकों को दृष्टिगत रखते हुए तैयार की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का मुख्य उद्देष्य आर्थिक नुकसान, लोगों को आपदा के प्रति सशक्स करने, स्मार्ट सिक्योरिटी और पब्लिक सेफ्टी के लिए महत्वपूर्ण है.
ये भी पढ़ें: Sports Awards: 24 मार्च को सीएम धामी देंगे खेल रत्न पुरस्कार, इन खिलाड़ियों को मिलेगा सम्मान

ऑटोमेटेड इमरजेंसी अलर्ट साइरन पर रहा समापन सत्र: कार्यशाला का दूसरा दिन और समापन सेशन ऑटोमेटेड इमरजेंसी अलर्ट साइरन पर बेस्ड रहा. इसमें चार अलग अलग प्रजेंटेशन दिये गये. पहला सोलर मरीन सर्विसेज पर कमांडर राघव द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने कोटेश्वर डैम में लगाए गए साइरन सिस्टम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी नदियों के सिग्नलों को एकीकृत कर बेहतर अर्ली वार्निंग प्रदान की जा सकती है.

इमरजेंसी अर्ली वार्निंग सिस्टम ऐसा होगा: इसके बाद महेंद्र प्रताप सिंह ने इमरजेंसी अर्ली वार्निंग सिस्टम और मास इवेकुएशन सिस्टम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने अपनी कंपनी द्वारा इस सम्बन्ध में विकसित किए गए सिस्टम की खूबिंयों के बारे मे बताया, जिसमें एसआरएडी स्पीकर सिस्टम, जैम मोबाइल एप, मल्टी लैंग्वेज डिलीवरी, आग एवं बाढ़ के बारे में मॉडलिंग के माध्यम से पूर्वानुमान कैसे प्राप्त किया जाता है, के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की.

लोटस वायरलेस टेक्निोलॉजी इण्डिया प्रा. लि. के हरदीप सिंह द्वारा फ्लड फोरकास्टिंग सिस्टम प्रोजेक्ट तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट में लगाए गए फ्लड वार्निंग सिस्टम में बारे में अवगत कराया. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि धौलीगंगा एवं अलकनंदा नदियों में 6 विलोसिटी एवं फ्लो सेंसर्स लगाए गए हैं जो रियल टाइम डाटा एकत्र कर बाढ़ के विषय में पूर्व चेतावनी प्रदान करने में सक्षम है.

सत्र के अंतिम प्रस्तुतीकरण में सीएमएस के पीपी विश्वनाथन ने अर्ली वार्निंग एवं डिजास्टर साफ्टवेयर के बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. इनका प्रस्तुतीकरण मुख्यतः वैदर फोरकास्ट, फ्लड एनालिसिस, भूकंप एनालिसिस, ड्राउट एनालिसिस एवं आकाशीय बिजली आदि में अलर्ट एवं अलार्म सिस्टम में बारे में रहा. उन्होंने यह भी बताया कि उनके द्वारा केरल राज्य में यह सिस्टम सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं.

आपदा से निपटने के लिए कंपनियों ने दिए प्रजेंटेशन

देहरादून: कार्यशाला के दूसरे दिन समापन से पहले दो तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया. पहला सत्र जियो टारगेट सेल ब्रॉडकास्टिंग पर आधारित था. इसमें चार प्रतिष्ठित संस्थान सी-डॉट, सेलटेक, एवरब्रिज और ईवा एन्फोकॉम (नेलको) के प्रतिनिधियों ने अपने प्रजेंटेशन दिये.

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की इंटरनेशनल कॉन्क्लेव: कार्यशाला में दो दिन तक खास तौर से बेहद संवेदनशील फ्रेजाइल हिमालयन रीजन में डिजास्टर मैनेजमेंट को लेकर हुए इस मंथन में देश विदेश से आये एक्सपर्ट्स ने अपना अपना प्रजेंटेशन रखा. पहले सेशन का पहला प्रजेंटेशन सी-डॉट टेक कंपनी के प्रतिनिधि सौरभ बासु द्वारा दिया गया. बासु ने कॉमन एलर्टिंग प्रोटोकॉल के माध्यम से बताया कि कैसे विभिन्न आपदाओं के पूर्वानुमान को जन सामान्य तक पहुंचाने और उससे जुड़ी चेतावनी दी जाये और उनमें किन तथ्यों का समावेश होना चाहिए.

सेलफोन निर्माताओं के दिए ये निर्देश: सेल ब्रॉडकॉस्ट और लोकेशन बेस्ड संदेश किस प्रकार कारगर हो सकते हैं और अन्य तकनीक जिसमें रेलवे, इसरो आदि के प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हुए सेल ब्रॉडकास्ट किया जा सकता है. यह अति महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक सेलफोन उपभोक्ता इसे डिसेबल न कर पाये, इसके लिए पॉलिसी स्तर पर भारत सरकार द्वारा सेलफोन निर्माताओं को निर्देश भी दिए गए हैं.

लोकल वार्निग सिस्टम के बारे में बताया: वहीं इसके बाद दूसरा प्रजेंटेशन अंतरराष्ट्रीय टेक कंपनी सेलटेक से रॉनेन डेनियल ने सेल ब्रॉडकास्ट और लोकल वार्निग सिस्टम के बारे में बताया कि टेक्नोलॉजी वर्ष 2008 में अमरीका में शुरू की गयी. आज यूरोप सहित पूरे दक्षिण एशिया के देशों में 4G और 5G टेक्नोलॉजी के साथ इंटीग्रेट कर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं भारत में यह तकनीक आन्ध्र प्रदेश में प्रयोग में लायी जा रही है. इस तकनीक के माध्यम से 1000 अलर्ट प्रतिदिन जारी किए जा सकते हैं.

पब्लिक वर्किंग सिस्टम का प्रजेंटेशन दिया: तीसरा प्रजेंटेशन में अंतराष्ट्रीय वेंचर एवरब्रिज के मैनुवल कार्नेलिसे ने पब्लिक वर्किंग सिस्टम के बारे में डीटेल्ड जानकारी देते हुए हुए बताया कि कैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम से जन मानस को आपदा से लड़ने के लिए सशक्त बनाया जा सकता है. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे अर्ली वार्निंग सिस्टम इंडस्ट्रियल एरिया, डिसप्लेस्ड पॉपुलेशन और पर्यटकों को दृष्टिगत रखते हुए तैयार की जानी चाहिए. उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी का मुख्य उद्देष्य आर्थिक नुकसान, लोगों को आपदा के प्रति सशक्स करने, स्मार्ट सिक्योरिटी और पब्लिक सेफ्टी के लिए महत्वपूर्ण है.
ये भी पढ़ें: Sports Awards: 24 मार्च को सीएम धामी देंगे खेल रत्न पुरस्कार, इन खिलाड़ियों को मिलेगा सम्मान

ऑटोमेटेड इमरजेंसी अलर्ट साइरन पर रहा समापन सत्र: कार्यशाला का दूसरा दिन और समापन सेशन ऑटोमेटेड इमरजेंसी अलर्ट साइरन पर बेस्ड रहा. इसमें चार अलग अलग प्रजेंटेशन दिये गये. पहला सोलर मरीन सर्विसेज पर कमांडर राघव द्वारा दिया गया, जिसमें उन्होंने कोटेश्वर डैम में लगाए गए साइरन सिस्टम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी नदियों के सिग्नलों को एकीकृत कर बेहतर अर्ली वार्निंग प्रदान की जा सकती है.

इमरजेंसी अर्ली वार्निंग सिस्टम ऐसा होगा: इसके बाद महेंद्र प्रताप सिंह ने इमरजेंसी अर्ली वार्निंग सिस्टम और मास इवेकुएशन सिस्टम के बारे में जानकारी दी. उन्होंने अपनी कंपनी द्वारा इस सम्बन्ध में विकसित किए गए सिस्टम की खूबिंयों के बारे मे बताया, जिसमें एसआरएडी स्पीकर सिस्टम, जैम मोबाइल एप, मल्टी लैंग्वेज डिलीवरी, आग एवं बाढ़ के बारे में मॉडलिंग के माध्यम से पूर्वानुमान कैसे प्राप्त किया जाता है, के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की.

लोटस वायरलेस टेक्निोलॉजी इण्डिया प्रा. लि. के हरदीप सिंह द्वारा फ्लड फोरकास्टिंग सिस्टम प्रोजेक्ट तपोवन विष्णुगाड़ हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट में लगाए गए फ्लड वार्निंग सिस्टम में बारे में अवगत कराया. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि धौलीगंगा एवं अलकनंदा नदियों में 6 विलोसिटी एवं फ्लो सेंसर्स लगाए गए हैं जो रियल टाइम डाटा एकत्र कर बाढ़ के विषय में पूर्व चेतावनी प्रदान करने में सक्षम है.

सत्र के अंतिम प्रस्तुतीकरण में सीएमएस के पीपी विश्वनाथन ने अर्ली वार्निंग एवं डिजास्टर साफ्टवेयर के बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया. इनका प्रस्तुतीकरण मुख्यतः वैदर फोरकास्ट, फ्लड एनालिसिस, भूकंप एनालिसिस, ड्राउट एनालिसिस एवं आकाशीय बिजली आदि में अलर्ट एवं अलार्म सिस्टम में बारे में रहा. उन्होंने यह भी बताया कि उनके द्वारा केरल राज्य में यह सिस्टम सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है, जिसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो रहे हैं.

Last Updated : Mar 23, 2023, 10:50 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.