विकासनगर: जौनसार बावर में इन दिनों बूढ़ी दीपावली की धूम है. इस बार बूढ़ी दीपावली का आगाज देश की दीपावली के ठीक एक माह बाद यानी 4 दिसंबर से हो रहा है. बूढ़ी दीपावली पर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं बच्चे व युवतियां द्वारा प्रसाद के रूप में मुख्य व्यंजन चिवड़ा तैयार किया जा रहा है.
ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं घरों में बूढ़ी दिपावली का मुख्य व्यंजन चिवड़ा बनाने में जुटी हैं, जिसकी महक से जाहिर है कि बूढ़ी दीपावली का आगाज नजदीक है. 5 दिन तक चलने वाली बूढ़ी दीपावली में जौनसार की अनूठी लोक संस्कृति से आंगन गुलजार होंगे. देहरादून जिले के तीन तहसीलों कालसी, चकराता व ट्यूणी और दो विकासखंड कालसी व चकराता में बंटे जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर अपनी अनूठी लोक संस्कृति के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है. यहां के तीज त्यौहार मनाने के तरीके भी निराले हैं.
देशभर में मनाई जाने वाली दीपावली के ठीक एक माह बाद जनजाति क्षेत्र में 5 दिन की बूढ़ी दीपावली मनाने का रिवाज है, जबकि बाबर में देश के साथ दीपावली मनाई जा चुकी है. जौनसार के कुछ गांव में भी नई दीपावली मनाई गई थी. लेकिन जौनसार के करीब 200 गांव में दिसंबर में बूढ़े दीपावली का जश्न रहेगा.
जौनसार के गांव में घर-घर में उठ रही चिवड़े की महक बता रही है कि दीपावली नजदीक है. जौनसार के गांव में ओखली में धान कूटने व भूनकर चिउडा तैयार करने का क्रम तेज हो गया है. चिवड़ा बूढ़ी दिवाली का विशेष व्यंजन है. गांव के पंचायती आंगन में लोक संस्कृति की छटा दिखाई देगी. खास बात यह है कि जौनसार में बूढ़ी दीपावली इको फ्रेंडली होती है. यहां पर पटाखे नहीं जलाए जाते प्रदूषण रहित दीपावली मनाने के साथ ही परंपराओं का पूरा ख्याल रखा जाता है.