देहरादून: उत्तराखंड में गर्भवती महिलाओं को बर्थ वेटिंग होम की सुविधा मिलने जा रही है. उत्तराखंड के सचिव स्वास्थ्य डॉ राजेश कुमार और मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा हाल में स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है. आर राजेश कुमार ने कहा मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं और संभावित तिथि से पहले बर्थ वेटिंग होम में राज्य के सभी 13 जिलों में स्थापित वन स्टॉप सेंटर और वर्किंग वुमेन हॉस्टल में रखे जाने के प्रस्ताव को भारत सरकार ने मंजूरी दे दी है.
स्वास्थ्य सचिव डॉ राजेश कुमार ने कहा योजना के तहत दूरस्थ क्षेत्रों में रहने वाली गर्भवती महिलाओं को डॉक्टरी देखभाल समय पर मिल सकेगी. इसके साथ ही प्रसव से पहले गर्भवती महिलाओं को इसमें सहूलियत होगी. उन्होंने बताया होम डिलीवरी को संस्थागत प्रसव में प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश के पर्वतीय जिलों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बर्थ वेटिंग रूम में उपयोग किए जाने के लिए भारत सरकार ने अपनी मंजूरी दी है.
यह कदम मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण होगा. आर राजेश कुमार ने बताया देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, उधम सिंह नगर, नैनीताल को मोबाइल टीबी वैन और टूनेट मशीन की सुविधा की स्वीकृति मिली है. इसके साथ ही प्रदेश को मोतिया बिंद बैकलॉग मुक्त बनाने के लिए अब इनके स्क्रीनिंग के लिए टिहरी और पिथौरागढ़ जिलों को मोबाइल वैन की सुविधा उपलब्ध कराए जाने को भी स्वीकृती मिली हैय उप जिला चिकित्सालय मसूरी में भी नेत्र सर्जरी हो पाएगी.
स्वास्थ्य सचिव डॉ राजेश कुमार के मुताबिक पर्वतीय क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन सेवा लोगों के जीवन को बचाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इसके महत्व को देखते हुए भारत सरकार को एक प्रस्ताव भेजे गए थे जिसकी मंजूरी मिल चुकी है. इसमें दोपहर 3:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक टेलीकंसल्टेशन के माध्यम से मरीजों को सुझाव और परामर्श दिया जा सकेगा. डॉक्टरों को प्रत्येक मरीज को देखने पर ₹150 की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.