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चाइनीज डिसेज को टक्कर दे रहे उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजन, युवाओं में बढ़ रहा क्रेज

देवभूमि उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए ही नहीं अपने पारंपरिक व्यंजनों (Uttarakhand Traditional Food) के लिए भी जाना जाता है. वहीं कुछ युवा पहाड़ी व्यंजनों को बढ़ावा देने में लगे हैं. जिसमें से एक प्रीति मेंदोलिया भी हैं, जो देहरादून में पहाड़ी व्यंजन परोस रही हैं.

dehradun
पहाड़ी व्यंजन
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Published : Jun 7, 2022, 1:42 PM IST

Updated : Jun 7, 2022, 7:56 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की देश-दुनिया में पर्यटन प्रदेश के रूप में खास पहचान है. यहां के पारंपरिक व्यंजनों (Uttarakhand Traditional Food Craze) का स्वाद भी हर किसी को भाता है और औषधीय गुणों के साथ ही पौष्टिकता से भी लबरेज रहते हैं. लेकिन यहां के अधिकांश व्यंजनों से सैलानी रूबरू नहीं हैं, इस कसक को प्रीति मेंदोलिया ने चुनौती बना लिया है और राजधानी में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन परोस रही हैं.

पहाड़ी व्यंजनों की बढ़ी मांग: देवभूमि उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए नहीं अपने पारंपरिक व्यंजनों (Uttarakhand Traditional Food) के लिए भी जाना जाता है. पहाड़ी व्यंजन औषधीय महत्व के साथ ही पौष्टिकता से भी लबरेज हैं और हेल्थ एवं वेलनेस के लिहाज से भी खास माने जाते हैं. वहीं बढ़ते पलायन और आज के आधुनिकीकरण के दौर में जहां पहाड़ की संस्कृति के साथ यहां के व्यंजन पर भी मार पड़ रही है. लेकिन अब उत्तराखंड के युवा ही इन पहाड़ी व्यंजनों को बचाने के लिए आगे आए हैं.

चाइनीज डिसेज को टक्कर दे रहे उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजन.

पहाड़ी नमक ने भी बनाई जगह: उत्तराखंड प्रदेश के निर्माण के लिए आंदोलन के समय नारा दिया गया था कि कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे, शायद यह नारा आज साकार होता नजर आ रहा है. क्योंकि जहां पहले रेस्तरां में चाइनीज और साउथ इंडियन व्यंजनों की डिमांड रहती थी, तो अब देहरादून के रेस्तरां में मंडुवे से बनी रोटियां और गहत के पराठे और पहाड़ी नमक भी परोसा जा रहा है.

पढ़ें-रेलयात्रा के दौरान परोसा जाए पहाड़ी व्यंजन, रेल परामर्शदात्री समिति ने रखी मांग

पहाड़ी व्यंजनों का क्रेज: देहरादून के कारगी चौक स्थित प्यारी पहाड़न के नाम से रेस्तरां चला रही प्रीति मेंदोलिया बताती हैं कि आज उनके रेस्तरां में पहाड़ी व्यंजनों में गहत, मंडवा सहित आलू की थिचवाणी सहित अन्य सभी पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं. अब युवाओं में भी पहाड़ी व्यंजनों को लेकर अच्छा क्रेज देखने को मिल रहा है. साथ ही लोग अब पहाड़ी व्यंजनों को ऑनलाइन भी मंगवा रहे हैं.

प्रीति ने बताया कि आज उनके साथ कई महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं. जिनसे वह पहाड़ी व्यंजनों सहित उनसे जुड़ी चीजों को खरीद रही हैं. साथ ही पहाड़ से जुड़ी चीजों को रेस्तरां के साथ ही एक बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. प्रीति कहती हैं कि मैं स्वयं ऐसे क्षेत्र से हूं, जहां पर पलायन बड़े स्तर पर है. इसलिए लगा कि क्यों न देहरादून में भी अपने पहाड़ के व्यंजनों को एक अलग पहचान दिलाई जाए.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में पर्यटकों ने चखा पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद, देखें तस्वीरें

रेस्तरां को दिया पहाड़ी लुक: वहीं एक अन्य युवा सुरेंद्र अंथवाल देशी चूल्हा के नाम से रेस्तरां चलाकर पहाड़ी व्यंजनों को देश विदेश के लोगों को परोस रहे हैं. सुरेंद्र बताते हैं कि 2016 में उन्होंने जब देखा कि बाजार में चाइनीज फूड और अन्य फूड की एक बाढ़ सी आ गई है तो हमारे पहाड़ी व्यंजन क्यों नहीं बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं. इसलिए पहाड़ी व्यंजनों को बनाना शुरू किया. आज नतीजा यह है कि स्थानीय लोगों के साथ देश के अन्य प्रदेशों से आने वाले लोग भी पहाड़ी व्यंजनों को बहुत पसंद कर रहे हैं. अंथवाल बताते हैं कि उन्होंने अपने रेस्तरां में पहाड़ी लुक दिया हुआ है. जिससे ग्राहकों को लगे कि वह पहाड़ के आंचल में बैठकर ही पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड की देश-दुनिया में पर्यटन प्रदेश के रूप में खास पहचान है. यहां के पारंपरिक व्यंजनों (Uttarakhand Traditional Food Craze) का स्वाद भी हर किसी को भाता है और औषधीय गुणों के साथ ही पौष्टिकता से भी लबरेज रहते हैं. लेकिन यहां के अधिकांश व्यंजनों से सैलानी रूबरू नहीं हैं, इस कसक को प्रीति मेंदोलिया ने चुनौती बना लिया है और राजधानी में उत्तराखंड के पारंपरिक व्यंजन परोस रही हैं.

पहाड़ी व्यंजनों की बढ़ी मांग: देवभूमि उत्तराखंड अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए नहीं अपने पारंपरिक व्यंजनों (Uttarakhand Traditional Food) के लिए भी जाना जाता है. पहाड़ी व्यंजन औषधीय महत्व के साथ ही पौष्टिकता से भी लबरेज हैं और हेल्थ एवं वेलनेस के लिहाज से भी खास माने जाते हैं. वहीं बढ़ते पलायन और आज के आधुनिकीकरण के दौर में जहां पहाड़ की संस्कृति के साथ यहां के व्यंजन पर भी मार पड़ रही है. लेकिन अब उत्तराखंड के युवा ही इन पहाड़ी व्यंजनों को बचाने के लिए आगे आए हैं.

चाइनीज डिसेज को टक्कर दे रहे उत्तराखंड के पहाड़ी व्यंजन.

पहाड़ी नमक ने भी बनाई जगह: उत्तराखंड प्रदेश के निर्माण के लिए आंदोलन के समय नारा दिया गया था कि कोदा झंगोरा खाएंगे, उत्तराखंड बनाएंगे, शायद यह नारा आज साकार होता नजर आ रहा है. क्योंकि जहां पहले रेस्तरां में चाइनीज और साउथ इंडियन व्यंजनों की डिमांड रहती थी, तो अब देहरादून के रेस्तरां में मंडुवे से बनी रोटियां और गहत के पराठे और पहाड़ी नमक भी परोसा जा रहा है.

पढ़ें-रेलयात्रा के दौरान परोसा जाए पहाड़ी व्यंजन, रेल परामर्शदात्री समिति ने रखी मांग

पहाड़ी व्यंजनों का क्रेज: देहरादून के कारगी चौक स्थित प्यारी पहाड़न के नाम से रेस्तरां चला रही प्रीति मेंदोलिया बताती हैं कि आज उनके रेस्तरां में पहाड़ी व्यंजनों में गहत, मंडवा सहित आलू की थिचवाणी सहित अन्य सभी पहाड़ी व्यंजन परोसे जा रहे हैं. अब युवाओं में भी पहाड़ी व्यंजनों को लेकर अच्छा क्रेज देखने को मिल रहा है. साथ ही लोग अब पहाड़ी व्यंजनों को ऑनलाइन भी मंगवा रहे हैं.

प्रीति ने बताया कि आज उनके साथ कई महिलाएं भी जुड़ी हुई हैं. जिनसे वह पहाड़ी व्यंजनों सहित उनसे जुड़ी चीजों को खरीद रही हैं. साथ ही पहाड़ से जुड़ी चीजों को रेस्तरां के साथ ही एक बाजार भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. प्रीति कहती हैं कि मैं स्वयं ऐसे क्षेत्र से हूं, जहां पर पलायन बड़े स्तर पर है. इसलिए लगा कि क्यों न देहरादून में भी अपने पहाड़ के व्यंजनों को एक अलग पहचान दिलाई जाए.

पढ़ें-मसूरी विंटर लाइन कार्निवल में पर्यटकों ने चखा पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद, देखें तस्वीरें

रेस्तरां को दिया पहाड़ी लुक: वहीं एक अन्य युवा सुरेंद्र अंथवाल देशी चूल्हा के नाम से रेस्तरां चलाकर पहाड़ी व्यंजनों को देश विदेश के लोगों को परोस रहे हैं. सुरेंद्र बताते हैं कि 2016 में उन्होंने जब देखा कि बाजार में चाइनीज फूड और अन्य फूड की एक बाढ़ सी आ गई है तो हमारे पहाड़ी व्यंजन क्यों नहीं बाजार में उपलब्ध हो सकते हैं. इसलिए पहाड़ी व्यंजनों को बनाना शुरू किया. आज नतीजा यह है कि स्थानीय लोगों के साथ देश के अन्य प्रदेशों से आने वाले लोग भी पहाड़ी व्यंजनों को बहुत पसंद कर रहे हैं. अंथवाल बताते हैं कि उन्होंने अपने रेस्तरां में पहाड़ी लुक दिया हुआ है. जिससे ग्राहकों को लगे कि वह पहाड़ के आंचल में बैठकर ही पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद ले रहे हैं.

Last Updated : Jun 7, 2022, 7:56 PM IST
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