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दीपापली के लिए आस पर बैठे कुम्हार, कमाई होगी या नहीं सब 'सरकार' भरोसे - deepawali festival in dehradun

इस बार दीपावली के पर्व से मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामान तैयार करने वाले कुम्हारों को कमाई की मिली-जुली उम्मीदें हैं.

दून के कुम्हार
दून के कुम्हार
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Published : Oct 23, 2020, 8:42 PM IST

देहरादूनः त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही अब दीपों और रोशनी के पर्व दीपावली की भी दस्तक होने वाली है. लेकिन इस बार दीपावली के पर्व से मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामान तैयार करने वाले कुम्हारों को कमाई की मिली-जुली उम्मीदें हैं. वे कहते हैं कि सब सरकार पर निर्भर करता है, अगर सड़क से नहीं हटाया तो कमाई भी हो जाएगी.

दीपापली के लिए आस पर बैठे कुम्हार

कुम्हारों की उम्मीदों को बेहतर तरह से समझने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून की चकराता रोड स्थित कुम्हार मंडी का रुख किया तो पाया कि यहां कुम्हार अपने घरों में मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामानों को तैयार करने में जुटे हैं. दीपावली को लेकर कुछ कुम्हार खासे उत्साहित नजर आए तो कुछ कुम्हारों में मायूसी भी साफ झलक रही थी.

कुम्हारों ने कहा कि उन्हें कोरोना संकटकाल में दीपावली के पर्व से मिली जुली उम्मीद है. एक तरफ तो उन्हें ये लग रहा है कि इस बार चाइनीस प्रोडक्ट्स के विरोध के चलते मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामानों की डिमांड में कुछ वृद्धि जरूर होगी. लेकिन यदि हर साल की तरह इस साल भी उन्हें शासन-प्रशासन और पुलिस महकमे की ओर से सड़क किनारे मिट्टी के सजावटी सामानों को बेचने से रोका गया तो वे क्या करेंगे?

पढ़ेंः हरक के चुनाव न लड़ने के ऐलान से भाजपा में 'भूकंप', हृदयेश बोलीं- कष्ट करुंगी दूर

कुम्हारों को इस बात का डर भी है कि कोरोना संकट काल में जारी लॉकडाउन के चलते जिस भारी आर्थिक नुकसान के दौर से आम जनमानस को गुजरना पड़ा है, कहीं उसका असर दीपावली के पर्व पर भी न पड़ जाए.

देहरादूनः त्योहारी सीजन की शुरुआत के साथ ही अब दीपों और रोशनी के पर्व दीपावली की भी दस्तक होने वाली है. लेकिन इस बार दीपावली के पर्व से मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामान तैयार करने वाले कुम्हारों को कमाई की मिली-जुली उम्मीदें हैं. वे कहते हैं कि सब सरकार पर निर्भर करता है, अगर सड़क से नहीं हटाया तो कमाई भी हो जाएगी.

दीपापली के लिए आस पर बैठे कुम्हार

कुम्हारों की उम्मीदों को बेहतर तरह से समझने के लिए जब ईटीवी भारत की टीम ने राजधानी देहरादून की चकराता रोड स्थित कुम्हार मंडी का रुख किया तो पाया कि यहां कुम्हार अपने घरों में मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामानों को तैयार करने में जुटे हैं. दीपावली को लेकर कुछ कुम्हार खासे उत्साहित नजर आए तो कुछ कुम्हारों में मायूसी भी साफ झलक रही थी.

कुम्हारों ने कहा कि उन्हें कोरोना संकटकाल में दीपावली के पर्व से मिली जुली उम्मीद है. एक तरफ तो उन्हें ये लग रहा है कि इस बार चाइनीस प्रोडक्ट्स के विरोध के चलते मिट्टी के दीये और अन्य सजावटी सामानों की डिमांड में कुछ वृद्धि जरूर होगी. लेकिन यदि हर साल की तरह इस साल भी उन्हें शासन-प्रशासन और पुलिस महकमे की ओर से सड़क किनारे मिट्टी के सजावटी सामानों को बेचने से रोका गया तो वे क्या करेंगे?

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कुम्हारों को इस बात का डर भी है कि कोरोना संकट काल में जारी लॉकडाउन के चलते जिस भारी आर्थिक नुकसान के दौर से आम जनमानस को गुजरना पड़ा है, कहीं उसका असर दीपावली के पर्व पर भी न पड़ जाए.

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