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रिस्पना और बिंदाल को प्रदूषण मुक्त करवाना बना चुनौती, 2 लाख लोगों का करना होगा पुनर्वास

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Published : May 17, 2019, 10:33 PM IST

Updated : May 17, 2019, 11:59 PM IST

जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन बताते हैं कि रिस्पना और बिंदाल में कब्जाधारियों को पहले ही चिन्हित  किया जा चुका है. उनके पुनर्वास को लेकर भी विचार किया जा चुका है. जिसके बाद अब इन अतिक्रमणकारियों को दूसरी जगह बसाकर कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जाएगा.

रिस्पना और बिंदाल को प्रदूषण मुक्त करवाना बना चुनौती

देहरादून: एक समय में देहरादून की लाइफलाइन कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी आज प्रदूषण के कारण नाला बन चुकी हैं. हाई कोर्ट के आदेश और प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ के बावजूद रिस्पना और बिंदाल की सूरत बदलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इन नदियों के किनारे बसी लगभग दो लाख की आबादी का पुनर्वास प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

रिस्पना और बिंदाल को प्रदूषण मुक्त करवाना बना चुनौती

रिस्पना और बिंदाल नदी आज मानक से करीब 76 गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है. हाल ही में नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका पर आदेश देते हुए इन नदियों पर बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सरकार और प्रदूषण कंट्रोल करने वाली एजेंसी से 7 दिन में जवाब भी मांगा है.

जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन बताते हैं कि रिस्पना और बिंदाल में कब्जाधारियों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है. उनके पुनर्वास को लेकर भी विचार किया जा चुका है. जिसके बाद अब इन अतिक्रमणकारियों को दूसरी जगह बसाकर कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जाएगा.

  • बिंदाल की देहरादून में कुल लंबाई 13 किलोमीटर है, जिसमें अलग-अलग जगहों पर लोग कब्जा किए हुए हैं.
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार बिंदाल नदी किनारे लगभग 6 हजार लोगों ने कब्जा किया हुआ है.
  • रिस्पना नदी किनारे करीब 4700 कब्जेधारी मौजूद हैं.
  • इन दोनों नदियों के किनारे करीब 40 हजार भवन बनाए जा चुके हैं. जिसमें से 7 हजार घर हाउस टैक्स भी देते हैं.
  • माना जाता है कि करीब दो लाख की आबादी इन नदियों के किनारे बसी हुई है.

रिस्पना और बिंदाल में करीब 129 बस्तियां हैं, जिन्हें पुनर्वासित किए जाने की बात कही जा रही है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना को पुनर्जीवित करने के कई दावे किए और कई कार्यक्रम भी चलाए. लेकिन हालात नहीं सुधरे.

बता दें कि हाई कोर्ट ने इन बस्तियों को हटाए जाने का आदेश कर चुका था. लेकिन सरकार ने वोट बैंक के चलते अध्यादेश लाकर कोर्ट के आदेश पर तीन साल तक के लिए रोक लगा दी.

देहरादून: एक समय में देहरादून की लाइफलाइन कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी आज प्रदूषण के कारण नाला बन चुकी हैं. हाई कोर्ट के आदेश और प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ के बावजूद रिस्पना और बिंदाल की सूरत बदलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. इन नदियों के किनारे बसी लगभग दो लाख की आबादी का पुनर्वास प्रशासन के लिए चुनौती बना हुआ है.

रिस्पना और बिंदाल को प्रदूषण मुक्त करवाना बना चुनौती

रिस्पना और बिंदाल नदी आज मानक से करीब 76 गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है. हाल ही में नैनीताल हाई कोर्ट ने एक याचिका पर आदेश देते हुए इन नदियों पर बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सरकार और प्रदूषण कंट्रोल करने वाली एजेंसी से 7 दिन में जवाब भी मांगा है.

जिलाधिकारी एसए मुरुगेशन बताते हैं कि रिस्पना और बिंदाल में कब्जाधारियों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है. उनके पुनर्वास को लेकर भी विचार किया जा चुका है. जिसके बाद अब इन अतिक्रमणकारियों को दूसरी जगह बसाकर कार्ययोजना को आगे बढ़ाया जाएगा.

  • बिंदाल की देहरादून में कुल लंबाई 13 किलोमीटर है, जिसमें अलग-अलग जगहों पर लोग कब्जा किए हुए हैं.
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार बिंदाल नदी किनारे लगभग 6 हजार लोगों ने कब्जा किया हुआ है.
  • रिस्पना नदी किनारे करीब 4700 कब्जेधारी मौजूद हैं.
  • इन दोनों नदियों के किनारे करीब 40 हजार भवन बनाए जा चुके हैं. जिसमें से 7 हजार घर हाउस टैक्स भी देते हैं.
  • माना जाता है कि करीब दो लाख की आबादी इन नदियों के किनारे बसी हुई है.

रिस्पना और बिंदाल में करीब 129 बस्तियां हैं, जिन्हें पुनर्वासित किए जाने की बात कही जा रही है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना को पुनर्जीवित करने के कई दावे किए और कई कार्यक्रम भी चलाए. लेकिन हालात नहीं सुधरे.

बता दें कि हाई कोर्ट ने इन बस्तियों को हटाए जाने का आदेश कर चुका था. लेकिन सरकार ने वोट बैंक के चलते अध्यादेश लाकर कोर्ट के आदेश पर तीन साल तक के लिए रोक लगा दी.

Intro:देहरादून में रिस्पना और बिंदाल नदियों की सूरत फिलहाल बदरंग ही दिखाई देगी। दरअसल शासन-प्रशासन नदियों में प्रदूषण के जिम्मेदार कब्जेधारियों को दूसरी जगह पुनर्वासित करने की कोशिशों में हैं लेकिन कब्जेधारियों की बड़ी संख्या के चलते फिलहाल ये काम नामुमकिन सा लगता है। रिस्पना-बिंदाल पर हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ को लेकर etv bharat की खास रिपोर्ट....


Body:कभी देहरादून की जीवनदायिनी कही जाने वाली रिस्पना और बिंदाल नदी आज मानक से तकरीबन 76 गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है। हाल ही में नैनीताल हाईकोर्ट ने एक याचिका पर आदेश करते हुए इन नदियों पर बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सरकार और प्रदूषण कंट्रोल करने वाली एजेंसी से 7 दिन में जवाब भी मांगा है... लेकिन हाईकोर्ट की चिंता और प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ के बावजूद रिस्पना और बिंदाल की सूरत बदलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इसी मामले को लेकर जिलाधिकारी देहरादून एसए मुरुगेशन बताते हैं कि रिस्पना और बिंदाल में कब्जा धारियों को पहले ही चिन्हित किया जा चुका है और इन कब से धारियों को पुनर्वास करने पर भी विचार किया जा चुका है ऐसे में जब इन अतिक्रमणकारियों को दूसरी जगह बसा दिया जाएगा तब इसकी कार्ययोजना आगे बढ़ाई जाएगी।

बाइट एस ए मुरुगेशन जिलाधिकारी देहरादून

जिलाधिकारी का यह बयान यह साफ जताता है कि फिलहाल शासन और प्रशासन स्तर पर बिंदाल और रिस्पना के प्रदूषण मुक्त होने के कोई आसार नहीं है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं स्कोर इन ग्राफिक्स के जरिए जानिए

बिंदाल की देहरादून में कुल लंबाई 13 किलोमीटर है जिसमें अलग-अलग जगहों पर लोग कब्जा किए हुए हैं

कृष्णा की कुल 19 किलोमीटर की लंबाई में भी लोगों का कब्जा बरकरार है

सरकारी आंकड़ों के अनुसार बिंदाल नदी में कॉल 6000 लोगों ने कब्जा किया हुआ है

रिस्पना नदी पर करीब 4700 कब्जेधारी मौजूद है

यह आंकड़ा 2005 में सरकारी सर्वे के दौरान सामने आया था जिसमें कुल 10700 कब्जा धारियों को चिन्हित किया गया था

इन दोनों नदियों में करीब 40000 भवन कब से धारियों द्वारा बनाए गए हैं जिसमें 7000 हाउस टैक्स भी देते हैं

माना जाता है कि करीब दो लाख की आबादी इन नदियों के किनारे बसी हुई है


रिस्पना और बिंदाल में करीब 129 बस्तियां हैं और इसमें रहने वाले लोगों को पुनर्वासित किए जाने की बात कही जा रही है। समझना आसान है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी जगह बस आना कितना मुश्किल और समय लेने वाली प्रक्रिया है ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि फिलहाल नदियों में प्रदूषण फैलाने वाली यह बस्तियां ना तो हटाई जा सकेंगी और ना ही इन नदियों से प्रदूषण को कम किया जा सकेगा।

वैसे इन नदियों के प्रदूषित होने की सबसे बड़ी वजह सरकारों की इच्छाशक्ति में कमी भी है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रिस्पना को पुनर्जीवित करने के दावे किए और कई कार्यक्रम भी चलाए लेकिन इस सभी कार्यक्रम और दावे फेल हो गए दर्शन हाईकोर्ट ने इन बस्तियों को हटाए जाने के पहले ही आदेश कर दिए थे लेकिन सरकार ने वोट बैंक के चलते इस पर अध्यादेश लाकर 3 साल तक रोक लगा दी।



Conclusion:पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
Last Updated : May 17, 2019, 11:59 PM IST
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