देहरादून: प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण के लिए दुनिया भर में जाने जाने वाले उत्तराखंड में भी हवा का स्तर बिगड़ चुका है. यहां तक की प्रदेश के पांच शहर तो फेफड़े और दिल की बीमारी वालों के लिए बिल्कुल भी मुफीद नहीं रह गए हैं. दूषित हवा को लेकर यह खराब हालात केवल दीपावली के बाद के ही नहीं बल्कि अब यहां की आबोहवा हमेशा ही संवेदनशील और बीमार लोगों के लिए खतरा बनी हुई है.
पर्यावरण प्रदूषण को लेकर बात देश की मेट्रोपॉलिटन सिटी की हमेशा की जाती रही है, लेकिन आप जानकर हैरान होंगे कि उत्तराखंड की आबोहवा भी अब कम दूषित नहीं रही है. पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के आंकड़े इस बात को साबित भी करते हैं और प्रदेश के 5 शहरों में खराब हो रहे हालात को भी बयां करते हैं.
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सबसे पहले प्रदेश में 5 शहरों की एक्यूआई की हालत समझिए और जानिए कि कैसे आम दिनों में भी प्रदेश के मुख्य पांच शहर प्रदूषण के लिहाज से फेफड़े और दिल के मरीजों के लिए घातक बने हुए हैं.
यह हालात संतोषजनक स्थिति से भी खराब माने जाते हैं और माना जाता है कि इसमें सांस लेने में समस्या महसूस करने वाले मरीजों, फेफड़े की दूसरी बीमारी, अस्थमा और दिल के मरीजों के लिए बेहद खराब है. इस तरह देखा जाए तो दीपावली में तो हालात और भी खराब हो जाते हैं, लेकिन सामान्य दिनों में भी उत्तराखंड के लिए पांच शहर प्रदूषण के लिहाज से पैमाने पर खरे नहीं उतरते हैं.
हरिद्वार, देहरादून, हल्द्वानी, काशीपुर और ऋषिकेश शहर में प्रदूषण खास तौर पर फेफड़े और दिल की बीमारी वाले मरीजों के लिए जानलेवा बनता जा रहा है. प्रदेश के 5 शहरों की खराब हालत को देखते हुए ही केंद्र सरकार ने उत्तराखंड कोई पांच शहरों के पॉल्यूशन नियंत्रण और निगरानी को लेकर विशेष निर्देश दिए हैं.
दीपावली की रात दो दर्जन लोग झुलसे
दिवाली पर करीब दो दर्जन से अधिक लोग आतिशबाजी की चपेट में आकर झुलसे है. जिन्हें कोरोनेशन अस्पताल की इमरजेंसी में ही उपचार के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया, जबकि कुछ मरीज पटाखों की वजह से होने वाले प्रदूषण की वजह से खांसी और सांस फूलने की शिकायतें लेकर भी कोरोनेशन अस्पताल की इमरजेंसी में पहुंचे थे.
कोरोनेशन अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनोज उप्रेती के मुताबिक दिवाली के त्योहार को देखते हुए अस्पताल के सभी फिजीशियन और सर्जन को निर्देश जारी किए गए थे कि उन्हें इमरजेंसी का राउंड भी समय-समय पर लगाना होगा. उन्होंने कहा कि दिवाली की रात मामूली रूप से जलने के 20 से 25 केस इमरजेंसी में आए थे. अधिकतर मरीज 10 प्रतिशत तक जले हुए थे. इमरजेंसी में उनको उपचार देकर डिस्चार्ज कर दिया गया था. दीपावली की रात अलग-अलग सड़क हादसों में 20 से 25 लोगों के घायल होने की सूचना है. पटाखों से होने वाले प्रदूषण की वजह से खांसी और सांस फूलने की शिकायत लेकर कुछ मरीज अस्पताल पहुंचे थे. जिनमें से 4 मरीजों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. फिलहाल इन मरीजों की स्थिति सामान्य है.