देहरादून: उत्तराखंड में तीसरी लहर को लेकर एक तरफ सरकार अस्पतालों में बच्चों के इलाज को लेकर तैयारियों में जुटी हुई है, तो दूसरी तरफ सरकार ने स्कूलों को खोलने के आदेश भी जारी कर दिए हैं. सोमवार से स्कूल खुलने जा रहे हैं, लिहाजा इस पर राजनीतिक रूप से सत्ता और विरोधी दल अपने-अपने तर्क देने लगे हैं.
प्रदेश में कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच स्कूल जाने की अनुमति राज्य सरकार की तरफ से दे दी गई है. स्कूल खोलने की गाइडलाइन और आदेश में अभिभावकों की अनुमति को अनिवार्य रखा गया है. प्रदेश में बच्चों के लिए जिस तरह से स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है उसके बाद राजनीतिक रूप से इस पर घमासान शुरू हो चुका है.
पढ़ें- UTTARAKHAND: बच्चों के बिगड़ने में अभिभावक जिम्मेदार, सर्वे में सामने आई हकीकत
2 अगस्त से प्रदेश में कक्षा 9 से 12वीं तक के स्कूल खुलने जा रहे हैं, लिहाजा इससे पहले विपक्षी दल सत्ताधारियों को इस निर्णय पर घेरने की कोशिश कर रहा है. दूसरी तरफ सरकार इस फैसले पर अपने तर्क भी दे रही है. कांग्रेस की मानें तो सरकार द्वारा लिया गया निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है. इस पर सरकार को फिर से पुनर्विचार करना चाहिए. राज्य में तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है. विशेषज्ञ बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जता रहे हैं. इसलिए इस पर पुनर्विचार कर स्कूलों को खोलने के निर्णय को बदला जाना चाहिए.
पढ़ें- ऊर्जा विभाग में दो मुद्दे बने गले की फांस, बैकफुट पर आ सकती है सरकार
इस मामले में सरकार के अपने ही तर्क हैं. सरका स्कूल खोले जाने पर अपनी सफाई भी पेश कर रही है. शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल की मानें तो काफी लंबे समय से प्रदेश में स्कूल बंद हैं. अब राज्य में संक्रमण के मामले भी बेहद कम हो चुके हैं, लिहाजा बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके इसके लिए स्कूल खोलने का निर्णय लिया गया है. इसके बाद बच्चों में संक्रमण को लेकर कोई शिकायत आती है तो सरकार इस पर फौरन पुनर्विचार करने का काम करेगी.