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उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला: जांच के दायरे में सत्ताधारी लोगों के शिक्षण संस्थान, SIT जांच हो सकती है प्रभावित

छात्रवृत्ति घोटले की जांच सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेताओं के दबाव में आती दिख रही है. जिसके चलते SIT को लीड करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी भी राजनीतिक दबाव की फेर में आकर बैकफुट पर नजर आते दिख रहे हैं. जबकि, 11 सितंबर को कोर्ट में एसआईटी को अबतक की जांच विवेचना रिपोर्ट सौंपनी है.

पुलिस मुख्यालय देहरादून
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Published : Sep 10, 2019, 5:41 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में हुए लगभग 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटले पर एसआईटी जांच चल रही है. जिसके चलते हरिद्वार और देहरादून के कई ऐसे शिक्षण संस्थान भी जांच के घेरे में आए हैं, जिनका ताल्लुक सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेताओं से है. जिसके चलते कुछ कॉलेजों पर काफी समय बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में अब एसआईटी पर दबाव की आशंका जताई जा रही है.

छात्रवृत्ति घोटाले की जद में आये हरिद्वार और देहरादून के आधा दर्जन से ज्यादा शिक्षण संस्थानों की जांच-पड़ताल का नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद से SIT टीम काफी हद तक राजनीतिक दबाव में दिख रही है. हालांकि आलाधिकारियों के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले पर जांच के दायरे में आए हरिद्वार व देहरादून के शिक्षण संस्थानों को नोटिस देने वाले इंस्पेक्टर पिछले दिनों रिटायर हो गए. अब नए इंस्पेक्टर द्वारा कार्रवाई आगे बढ़ाई जानी है.

पढ़ें- मोदी सरकार के 100 दिन निराशाजनक, हर कदम पर हुई फेल: हरीश रावत

जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों देहरादून और हरिद्वार के करीब 6 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों को जांच-पड़ताल के लिए नोटिस जारी किया गया था. जिनमें से कुछ एक शिक्षण संस्थान राजनीतिक लोगों के हैं, जिस कारण जांच प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम का नेतृत्व करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी भी आलाधिकारियों से केस विवेचना में आने वाले राजनीतिक दबाव के बारे में बता चुके हैं. बता दें कि 11 सितंबर 2019 को इस मामले में अब तक कि जांच-विवेचना रिपोर्ट नैनीताल हाई कोर्ट को सौंपनी है.

उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है. उत्तराखंड के साथ-साथ केंद्र और सभी संबंधित राज्य अपने यहां के अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति देते हैं. लेकिन यहां पर कई कॉलेजों ने विभाग के अधिकारियों और बैंक के साथ मिलकर करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति डकार ली.

राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच शुरू की तो मामला काफी बड़ा लगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस पर एस आई टी बनाकर जांच शुरू कर दी. जांच ढीली पड़ती देख इस मामले को लेकर कुछ लोग नैनीताल हाई कोर्ट गये. कोर्ट ने एस आई टी को जांच जारी रखते हुये उसकी प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये. जानकारों का मानना है कि पिछले 10-12 साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम गलत तरीके से ठिकाने लगाई गई.

देहरादून: उत्तराखंड में हुए लगभग 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटले पर एसआईटी जांच चल रही है. जिसके चलते हरिद्वार और देहरादून के कई ऐसे शिक्षण संस्थान भी जांच के घेरे में आए हैं, जिनका ताल्लुक सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेताओं से है. जिसके चलते कुछ कॉलेजों पर काफी समय बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में अब एसआईटी पर दबाव की आशंका जताई जा रही है.

छात्रवृत्ति घोटाले की जद में आये हरिद्वार और देहरादून के आधा दर्जन से ज्यादा शिक्षण संस्थानों की जांच-पड़ताल का नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद से SIT टीम काफी हद तक राजनीतिक दबाव में दिख रही है. हालांकि आलाधिकारियों के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले पर जांच के दायरे में आए हरिद्वार व देहरादून के शिक्षण संस्थानों को नोटिस देने वाले इंस्पेक्टर पिछले दिनों रिटायर हो गए. अब नए इंस्पेक्टर द्वारा कार्रवाई आगे बढ़ाई जानी है.

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जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों देहरादून और हरिद्वार के करीब 6 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों को जांच-पड़ताल के लिए नोटिस जारी किया गया था. जिनमें से कुछ एक शिक्षण संस्थान राजनीतिक लोगों के हैं, जिस कारण जांच प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम का नेतृत्व करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी भी आलाधिकारियों से केस विवेचना में आने वाले राजनीतिक दबाव के बारे में बता चुके हैं. बता दें कि 11 सितंबर 2019 को इस मामले में अब तक कि जांच-विवेचना रिपोर्ट नैनीताल हाई कोर्ट को सौंपनी है.

उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है. उत्तराखंड के साथ-साथ केंद्र और सभी संबंधित राज्य अपने यहां के अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति देते हैं. लेकिन यहां पर कई कॉलेजों ने विभाग के अधिकारियों और बैंक के साथ मिलकर करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति डकार ली.

राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच शुरू की तो मामला काफी बड़ा लगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस पर एस आई टी बनाकर जांच शुरू कर दी. जांच ढीली पड़ती देख इस मामले को लेकर कुछ लोग नैनीताल हाई कोर्ट गये. कोर्ट ने एस आई टी को जांच जारी रखते हुये उसकी प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये. जानकारों का मानना है कि पिछले 10-12 साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम गलत तरीके से ठिकाने लगाई गई.

Intro:summary-करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच प्रभावित होने की आशंका, राजनीतिक दबाव के चलते एसआईटी टीम का बैकफुट पर आने की चर्चा,11 सितंबर को कोर्ट में अब तक जांच विवेचना की रिपोर्ट सौंपनी हैं।



उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग अधिकारियों की मिलीभगत से हुए चर्चित करोडों रुपये के छात्रवृत्ति घोटालें की SIT जांच मामलें अब नया मोड़ आ गया हैं.. जानकारों की माने तो अब जांच सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेताओं के दबाव में आती दिख रही हैं जिसके चलते SIT को लीड करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी सहित विवेचना करने वाले निचले क्रम के पुलिसकर्मी भी राजनीतिक दबाव की फेर में आकर बैकफ़ुट पर नजर आ रहे हैं।
जबकि आगामी 11 सितंबर 2019 को इस मामलें में अब तक कि जांच-विवेचना रिपोर्ट नैनीताल हाईकोर्ट में सौंपनी हैं।
इतना ही नहीं पिछले दिनों इस घोटालें के रडार में आये हरिद्वार और देहरादून के आधा दर्जन से ज्यादा शिक्षण संस्थानों को जांच-पड़ताल के नोटिस जारी करने के बाद SIT टीम काफी हद तक राजनीतिक दबाव में आकर आगे की कार्रवाई करने से लगातार बचती जा रही हैं.. हालांकि पुलिस मुख्यालय इस बात से इत्तेफाक नहीं रखता हैं... मुख्यालय आलाधिकारियों के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले के रडार पर आए नए हरिद्वार व देहरादून के शिक्षण संस्थानों को जांच के नोटिस देने वाले इंस्पेक्टर की पिछले दिनों रिटायरमेंट होने के चलते आगे की जांच कुछ हद तक प्रभावित हो गई है। अब नए नोटिस जारी करने वाले नए इंस्पेक्टर द्वारा कार्रवाई आगे बढ़ाई जानी हैं। वही इसके अलावा इस जांच के सम्बंध में मुख्यालय स्तर बड़े अफसरों की माने तो कावड़ मेला आयोजन और हाईकोर्ट के आदेश अनुसार पूरे प्रदेश भर में लंबित चल रहे एक लाख से ज्यादा शूद्र (छोटे) अपराधों के निस्तारण कार्रवाई व्यस्तता के चलते छात्रवृत्ति घोटाले की जांच कुछ समय के लिए बाधित हो गई थी लेकिन अब आगे इसे बढ़ाया जा रहा है।


Body:उधर ईटीवी भारत को मिली विशेष जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों रडार पर आने देहरादून और हरिद्वार के जिन 6 से ज्यादा शिक्षण संस्थान को जांच-पड़ताल के लिए नोटिस जारी कर छात्रवृत्ति घोटाले में रडार पर लिया गया था उनमें से कुछेक शिक्षण संस्थान राजनीतिक लोगों के होने के कारण आगे की जांच प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है वही ऐसी स्थिति घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम को नेतृत्व करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी भी पुलिस मुख्यालय में आलाधिकारियों से केस विवेचना में आने वाले राजनीतिक दबाव के बारे अवगत करा चुके है

ऐसे में अब यह देखना आगे दिलचस्प होगा कि करोड़ों के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच क्या राजनीतिक दबाव के चलते प्रभावी हो सकती है या फिर हाईकोर्ट के आदेश अनुसार इसकी जांच अपने मुकम्मल अंजाम तक पहुंचती है।


Conclusion:बता दें कि उत्तराखंड समाज कल्याण विभाग की मिलीभगत से राज्य में रही पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में आरक्षण वर्ग व गरीब तबके के छात्र-छात्राओं के नाम से फर्जी एडमिशन दिखाकर करोड़ों रुपए के छात्रवृत्ति घोटाला निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा किए जाने का मामला सामने आया था इस घोटाले की जांच को बड़े स्तर से करवाने के लिए बकायदा हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए एसआईटी टीम का गठन कर पूरे मामले की जांच विवेचना की जिम्मेदारी तय की हैं। हालांकि कोर्ट के आदेश के तहत एसआईटी टीम ने भी गंभीरता से इस घोटाले की जांच करते हुए पिछले दिनों हरिद्वार जिले के 10 से ज्यादा निजी शिक्षण संस्थानों में हुए इस घोटाले के मामले में संस्थानों के संचालकों सहित घोटाले के समय हरिद्वार समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर को भी सलाखों के पीछे भेजने का काम किया था। हालांकि कुछ दिन पहले ही इस केस से जुड़े तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर हाई कोर्ट से फ़िलहाल जमानत पर रिहा हुए हैं। वहीं इसके अलावा एसआईटी टीम ने पिछले दिनों इसी घोटाले की कड़ी में जोड़ने वाले पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी गीताराम नौटियाल को भी बयान दर्ज करने का नोटिस जारी किया था हालांकि नौटियाल को बीमारी व किन्ही तकनीकी कारणों से कुछ दिन की मोहलत मिली हुई है।
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