देहरादून: उत्तराखंड में हुए लगभग 500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटले पर एसआईटी जांच चल रही है. जिसके चलते हरिद्वार और देहरादून के कई ऐसे शिक्षण संस्थान भी जांच के घेरे में आए हैं, जिनका ताल्लुक सत्ताधारी पार्टी के बड़े नेताओं से है. जिसके चलते कुछ कॉलेजों पर काफी समय बीतने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है. ऐसे में अब एसआईटी पर दबाव की आशंका जताई जा रही है.
छात्रवृत्ति घोटाले की जद में आये हरिद्वार और देहरादून के आधा दर्जन से ज्यादा शिक्षण संस्थानों की जांच-पड़ताल का नोटिस जारी किया गया था. जिसके बाद से SIT टीम काफी हद तक राजनीतिक दबाव में दिख रही है. हालांकि आलाधिकारियों के मुताबिक छात्रवृत्ति घोटाले पर जांच के दायरे में आए हरिद्वार व देहरादून के शिक्षण संस्थानों को नोटिस देने वाले इंस्पेक्टर पिछले दिनों रिटायर हो गए. अब नए इंस्पेक्टर द्वारा कार्रवाई आगे बढ़ाई जानी है.
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जानकारी के मुताबिक पिछले दिनों देहरादून और हरिद्वार के करीब 6 से ज्यादा शिक्षण संस्थानों को जांच-पड़ताल के लिए नोटिस जारी किया गया था. जिनमें से कुछ एक शिक्षण संस्थान राजनीतिक लोगों के हैं, जिस कारण जांच प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है. घोटाले की जांच करने वाली एसआईटी टीम का नेतृत्व करने वाले युवा आईपीएस अधिकारी भी आलाधिकारियों से केस विवेचना में आने वाले राजनीतिक दबाव के बारे में बता चुके हैं. बता दें कि 11 सितंबर 2019 को इस मामले में अब तक कि जांच-विवेचना रिपोर्ट नैनीताल हाई कोर्ट को सौंपनी है.
उत्तराखंड में समाज कल्याण विभाग अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्र-छात्राओं को बड़े पैमाने पर छात्रवृत्ति उपलब्ध कराता है. उत्तराखंड के साथ-साथ केंद्र और सभी संबंधित राज्य अपने यहां के अनुसूचित जाति-जनजाति के छात्रों को छात्रवृत्ति देते हैं. लेकिन यहां पर कई कॉलेजों ने विभाग के अधिकारियों और बैंक के साथ मिलकर करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति डकार ली.
राज्य सरकार ने इस घोटाले की जांच शुरू की तो मामला काफी बड़ा लगा. इसके बाद मुख्यमंत्री ने इस पर एस आई टी बनाकर जांच शुरू कर दी. जांच ढीली पड़ती देख इस मामले को लेकर कुछ लोग नैनीताल हाई कोर्ट गये. कोर्ट ने एस आई टी को जांच जारी रखते हुये उसकी प्रगति रिपोर्ट समय-समय पर प्रस्तुत करने के निर्देश दिये. जानकारों का मानना है कि पिछले 10-12 साल में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम गलत तरीके से ठिकाने लगाई गई.