देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव का दंगल शुरू हो चुका है. उत्तराखंड बीजेपी ने अपनी पहली सूची जारी करते हुए कुल 59 विधानसभाओं के लिए प्रत्याशियों के नाम तय किए हैं. इनमें महिलाओं के प्रतिनिधित्व को देखें तो कुल 6 विधानसभा सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया है. इस बार खास बात ये है कि महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी का ही टिकट काटा दिया है.
बता दें कि उत्तराखंड में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की मांग कांग्रेस की तरह बीजेपी के अंदर भी दिखाई दी थी, बीजेपी महिला मोर्चा से जुड़ी महिलाएं भी इस मामले में पार्टी से प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने की मांग कर रही थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी पर महिला विंग की इस मांग का कुछ खास असर नहीं दिखाई दिया है.
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दरअसल, पार्टी ने अपनी पहली ही लिस्ट में महज 6 महिलाओं को टिकट दिया है. उधर, पार्टी ने भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी ऋतु खंडूड़ी का ही टिकट काट दिया है. हालांकि, इस सीट पर ऋतु खंडूड़ी के बदले महिला को ही टिकट मिला है यहां से रेणु बिष्ट को पार्टी चुनाव लड़वा रही है.
6 महिलाओं में से सोमेश्वर से रेखा आर्य 2017 में भी चुनाव लड़ कर इस सीट पर विधायक रह चुकी हैं और सरकार में मंत्री भी है. देहरादून की कैंट सीट पर हरबंस कपूर के निधन के बाद उनकी पत्नी सविता कपूर पर पार्टी ने विश्वास जताया है. खानपुर विधानसभा सीट से 2017 में विधायक कुंवर प्रणव चैंपियन की पत्नी कुंवरानी देवयानी को टिकट दिया गया है.
इसी तरह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आई सरिता आर्य को नैनीताल से पार्टी ने टिकट दिया है. वहीं, पिथौरागढ़ से चंद्रा पंत को टिकट दिया गया है. हालांकि, अभी 11 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम तय होना बाकी है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि यदि पार्टी कुछ महिलाओं को और टिकट देती है तो महिलाओं का प्रतिनिधित्व संतोषजनक स्थिति तक पहुंच सकता है. वैसे आपको बता दें कि मौजूदा स्थिति के लिहाज से अभी करीब 8% महिलाओं को ही पार्टी ने टिकट दिया है.
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इन महिला नेत्रियों का कटा टिकटः थराली विधानसभा से मुन्नी देवी का टिकट काटा गया है. उनकी जगह भोपाल राम टम्टा को टिकट दिया गया है. गंगोलीहाट विधानसभा से मीना गंगोला का टिकट काटकर फकीर राम टम्टा को दिया गया है. वहीं, बीजेपी महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी को भी इस बार टिकट नहीं दिया गया है. हालांकि, उनकी जगह रेणु बिष्ट पर विश्वास जताया गया है.
उत्तराखंड में विधानसा चुनाव में महिलाओं के नेतृत्व का सफरः साल 2017 के विधानसभा चुनाव दौरान प्रदेश में कुल 61 महिला प्रत्याशी मैदान में उतरीं, जिसमें से 6 महिला प्रत्याशियों ने जीत हासिल करते हुए विधानसभा पहुंचने में कामयाबी हासिल की. इस दौरान राज्य में 35,33,225 महिला मतदाता रहीं और उनका मत प्रतिशत 69.3 4% था. हालांकि, कुछ विधायकों के निधन के बाद महिलाओं के प्रतिनिधित्व बढ़ोत्तरी हुई और प्रकाश पंत की पत्नी चंद्रा पंत, मगनलाल शाह के निधन के बाद उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह विधानसभा तक पहुंची.
साल 2012 के विधानसभा चुनाव में 63 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा. जिसमें से 5 महिलाएं विधानसभा तक पहुंची. इस चुनाव में 68% महिलाओं ने मतदान किया. जबकि, इस दौरान महिलाओं की संख्या 30 लाख 24 हजार थी. साल 2007 के विधानसभा चुनाव में कुल 56 महिला प्रत्याशी थीं, जिसमें से 4 महिला प्रत्याशी विजयी होकर विधानसभा पहुंची. इस दौरान 59.4 5% महिलाओं ने अपने मत का प्रयोग किया. 2007 में कुल 29,46,311 महिला मतदाता थीं.
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साल 2002 विधानसभा चुनाव में कुल 927 उम्मीदवारों ने अपना भाग्य आजमाया था. जिनमें 72 महिला उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरी और 4 महिलाएं ही विधायक बन पाईं. इस दौरान 52.64 प्रतिशत महिलाओं ने वोटिंग की. 25 लाख 57 हजार महिला मतदाता राज्य में थी. उत्तराखंड में राज्य निर्माण आंदोलन की लड़ाई का प्रतिनिधित्व महिलाओं ने ही किया था. लेकिन इसके बावजूद उत्तराखंड में विधानसभा के भीतर महिलाओं की संख्या कभी दहाई तक भी नहीं पहुंच पाई. राज्य में महिलाएं करीब 14% तक ही विधानसभा में भागीदारी निभा पाई हैं.
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में महिला नेतृत्व का सफरः प्रदेश में लोकसभा के लिहाज से भी स्थिति बहुत अच्छी रही है. साल 2019 के दौरान होने वाले लोकसभा चुनाव में कुल 52 प्रत्याशी मैदान में थे, जिसमें 5 महिलाएं निर्दलीय चुनाव लड़ी थी. जबकि, बीजेपी ने टिहरी से एक महिला प्रत्याशी मालाराज्य लक्ष्मी शाह को टिकट दिया, जो जीतकर लोकसभा पहुंची. कांग्रेस ने इस मामले में महिलाओं के प्रतिनिधित्व का कोई ख्याल नहीं रखा.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से एक और कांग्रेस की तरफ से भी एक टिकट महिला को दिया गया. इसमें टिहरी से माला राजलक्ष्मी को बीजेपी ने और हरिद्वार से हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को कांग्रेस ने टिकट दिया था. हालांकि, टिहरी से मालाराज्य लक्ष्मी शाह ही लोकसभा पहुंच सकीं. राज्य में एक बार फिर चुनाव नजदीक है और 2022 के चुनाव के लिए 'आधी आबादी' फिर राजनीतिक दलों की प्रमुखता में हैं.
उत्तराखंड के 5 विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या ज्यादाः उत्तराखंड के 5 विधानसभाओं में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. गढ़वाल में केदारनाथ विधानसभा, कुमाऊं में डीडीहाट, धारचूला, द्वाराहाट और पिथौरागढ़ में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. इन आंकड़ों पर नजर डालें तो आधी आबादी की संख्या काफी ज्यादा है, लेकिन उसके मुताबिक उन्हें नेतृत्व सौंपने से राजनीतिक दल कतराते हैं.
- केदारनाथ विधानसभा में महिला 44,467 और पुरुष 42,782 हैं.
- धारचूला विधानसभा में महिला 43,236 और पुरुष 42,941 हैं.
- डीडीहाट विधानसभा में महिला 41,603 और पुरुष 39,908 हैं.
- पिथौरागढ़ विधानसभा में महिला 53,236 और पुरुष 52,367 हैं.
- द्वाराहाट विधानसभा में महिला 46,420 और पुरुष 44,674 हैं.
बरहाल, सभी राजनीतिक दल महिलाओं को नेतृत्व में तवज्जो देने की बात तो करते हैं, लेकिन चुनावी शंखनाद खत्म होते ही उनके प्रतिनिधित्व को दरकिनार कर दिया जाता है. प्रदेश की 'आधी आबादी', जिन्होंने प्रदेश के गठन में महत्वपूर्व भूमिका निभाई थी. सभी पार्टियां चुनाव खत्म होने के साथ ही उन्हें हाशिए पर रख देती है. टिकट बंटवारे में भी खानापूर्ति के लिए कुछ महिलाओं को उम्मीदवारी का टिकट थमा दिया जाता है. अब देखने ये होगा कि बाकी 11 सीटों पर महिलाओं को टिकट दिया जाता है या नहीं. उधर, कांग्रेस भी कितने सीटों पर महिलाओं को टिकट देती है? ये देखने वाली बात होगी.