मसूरी: देर शाम पुलिस ने शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों को पालिका परिसर से खदेड़कर मुख्य गेट पर ताला जड़ दिया. इसको लेकर पुलिस और शिफन कोर्ट के लोगों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई. ऐसे में लोगों के द्वारा नगर पालिका परिषद के मुख्य गेट के बाहर ही धरना शुरू कर दिया गया. पीड़ित लोगों का कहना है कि वह वैसे भी सड़क किनारे और खुले आसमान में रात बिता रहे हैं. ऐसे में वह नगर पालिका के मुख्य गेट पर ही बैठे रहेंगे. जबतक, पालिका द्वारा उनके विस्थापन को लेकर जमीन उपलब्ध नहीं करा दी जाती.
कोतवाल देवेन्द्र असवाल ने बताया कि देर शाम को किसी प्रकार का धरना नहीं दिया जा सकता. ऐसे में सरकारी संपत्ति की देखरेख की जिम्मेदारी प्रशासन और पुलिस की है. जिसको देखते हुए देर शाम को पालिका परिसर में शिफन कोर्ट के लोगों द्वारा दिए जा रहे धरने को पालिका के गेट के बाहर शिफ्ट किया गया. उन्होंने कहा कि पालिका परिसर की सुरक्षा को देखते हुए पालिका परिसर में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है.
शिफन कोर्ट से बेघर हुए लोगों ने कहा कि उनके साथ लगातार अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है. पहले उन को शिफन कोर्ट से बाहर किया गया. फिर पालिका अध्यक्ष द्वारा उनको विस्थापन के नाम पर जमीन देने की बात कहकर अनिश्चितकालीन धरना स्थगित कराया गया. वहीं, 16 अक्टूबर को होने वाली बोर्ड बैठक को भी स्थगित कर दिया गया. ऐसे में वह अपनी मांग को लेकर लगातार सरकार प्रशासन को लेकर नगर पालिका परिसर में धरना दे रहे थे. परंतु प्रशासन ने उनके साथ बाहर कर ठंड के मौसम में पालिका परिषद से बाहर कर दिया गया, अब वे खुले आसमान में धरना दे रहे है. उन्होंने कहा कि वह अपनी लड़ाई को जारी रखेंगे. जबतक पालिका प्रशासन द्वारा भूमि का प्रस्ताव बनाकर शासन को नहीं भेज दिया जाता.
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भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल ने कहा कि भाजपा मंडल और विधायक गणेश जोशी शिफन कोर्ट के बेघर लोगों के साथ है, परंतु जमीन का अधिकार पालिका प्रशासन का है. ऐसे में नगर पालिका प्रशासन जमीन उपलब्ध कराती है तो विधायक अपने व्यक्तिगत संसाधनों से उस जमीन पर गरीबों के लिए टीन शैड लगाएंगे और वहीं सरकार द्वारा इनके लिए आवासीय योजना बनाई जाएगी.