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IAS अधिकारी यौन उत्पीड़न मामला: पुलिस की धीमी जांच पर उठे सवाल - उत्तराखंड न्यूज

बिजनौर की एक शिक्षिका ने राष्ट्रीय महिला आयोग में उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. लेकिन अब मामले में पुलिस टीम पर धीमी रफ्तार से जांच करने का आरोप लगा है.

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देहरादून
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Published : Dec 26, 2019, 9:05 PM IST

Updated : Dec 26, 2019, 9:18 PM IST

देहरादून: राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देश पर देहरादून पुलिस ने यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे आईएएस अधिकारी के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया गया, लेकिन जांच तेजी के साथ आगे नहीं बढ़ रही है. जिसे लेकर पुलिस पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. इतना ही नहीं पुलिस इस मामले में जांच अधिकारी भी बदल चुकी है.

IAS अधिकारी यौन उत्पीड़न मामला

बहुचर्चित यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस की धीमी रफ्तार को लेकर जब सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिश से बात की गई तो उन्होंने भी इस पर कोई स्षप्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देश पर आईएएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी. लेकिन बाद में जांच की जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे की जगह एसपी क्राइम लोक जीत सिंह दिया गया है. अभी इस मामले में ज्यादा कुछ बोलना ठीक नहीं होगा. क्योंकि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है.

पढ़ें- IAS अधिकारी यौन उत्पीड़न मामला: बैकफुट पर पुलिस महकमा, जांच अधिकारी बदलने की तैयारी

इस बारे में उत्तराखंड महिला एवं बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी का कहना है कि कोई भी महिला किसी बड़े अधिकारी पर सार्वजनिक तौर ऐसे ही इस तरह के आरोप नहीं लगाती है. महिलाओं पर बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, तभी इस तरह के गंभीर मामलों को रोका जा सकता है.

ये है मामला
दरअसल, यूपी के बिजनौर की रहने वाली एक शिक्षिका ने राष्ट्रीय महिला आयोग में उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला ने आयोग को बताया था कि 2012 में उसकी पहचान उत्तराखंड कैडर के एक आईएएस अधिकारी हुई थी. कुछ समय बाद 19 अगस्त 2012 को दोनों ने शादी कर ली थी.

पीड़िता का कहना था कि शादी के काफी समय बाद उन्हें आरोपी के शादीशुदा होने का पता चला. इसी बीच महिला को एक बेटा भी हो चुका था. पीड़िता का आरोप है कि आरोपी ने कभी भी उसको पत्नी का दर्जा नहीं दिया. इसकी शिकायत उसने कई बार पुलिस और शासन के बड़े अधिकारियों से की, लेकिन किसी ने भी उसकी एक नहीं सुनीं. थक-हारकर कर पीड़िता इंसाफ के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की शरण में गई. जिसके बाद आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए. आयोग के निर्देश पर देहरादून पुलिस ने इस मामले में जांच का जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे को दिया गया था, लेकिन हाई प्रोफाइल केस होने के चलते इस मामले की जांच का जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे की जगह एसपी क्राइम लोक जीत सिंह को दे दिया गया है.

देहरादून: राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देश पर देहरादून पुलिस ने यौन उत्पीड़न के मामले में फंसे आईएएस अधिकारी के खिलाफ मामला तो दर्ज कर लिया गया, लेकिन जांच तेजी के साथ आगे नहीं बढ़ रही है. जिसे लेकर पुलिस पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं. इतना ही नहीं पुलिस इस मामले में जांच अधिकारी भी बदल चुकी है.

IAS अधिकारी यौन उत्पीड़न मामला

बहुचर्चित यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस की धीमी रफ्तार को लेकर जब सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिश से बात की गई तो उन्होंने भी इस पर कोई स्षप्ट जवाब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय महिला आयोग के निर्देश पर आईएएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी. लेकिन बाद में जांच की जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे की जगह एसपी क्राइम लोक जीत सिंह दिया गया है. अभी इस मामले में ज्यादा कुछ बोलना ठीक नहीं होगा. क्योंकि पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है.

पढ़ें- IAS अधिकारी यौन उत्पीड़न मामला: बैकफुट पर पुलिस महकमा, जांच अधिकारी बदलने की तैयारी

इस बारे में उत्तराखंड महिला एवं बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी का कहना है कि कोई भी महिला किसी बड़े अधिकारी पर सार्वजनिक तौर ऐसे ही इस तरह के आरोप नहीं लगाती है. महिलाओं पर बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस को निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, तभी इस तरह के गंभीर मामलों को रोका जा सकता है.

ये है मामला
दरअसल, यूपी के बिजनौर की रहने वाली एक शिक्षिका ने राष्ट्रीय महिला आयोग में उत्तराखंड कैडर के आईएएस अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला ने आयोग को बताया था कि 2012 में उसकी पहचान उत्तराखंड कैडर के एक आईएएस अधिकारी हुई थी. कुछ समय बाद 19 अगस्त 2012 को दोनों ने शादी कर ली थी.

पीड़िता का कहना था कि शादी के काफी समय बाद उन्हें आरोपी के शादीशुदा होने का पता चला. इसी बीच महिला को एक बेटा भी हो चुका था. पीड़िता का आरोप है कि आरोपी ने कभी भी उसको पत्नी का दर्जा नहीं दिया. इसकी शिकायत उसने कई बार पुलिस और शासन के बड़े अधिकारियों से की, लेकिन किसी ने भी उसकी एक नहीं सुनीं. थक-हारकर कर पीड़िता इंसाफ के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग की शरण में गई. जिसके बाद आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए उत्तराखंड पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए. आयोग के निर्देश पर देहरादून पुलिस ने इस मामले में जांच का जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे को दिया गया था, लेकिन हाई प्रोफाइल केस होने के चलते इस मामले की जांच का जिम्मा एसपी सिटी श्वेता चौबे की जगह एसपी क्राइम लोक जीत सिंह को दे दिया गया है.

Intro:summary-यौन उत्पीड़न मामले में आरोपित आईएएस अधिकारी की पुलिस जांच को लेकर सवाल, निष्पक्ष जांच के सवाल पर कैबिनेट मंत्री झाड़ा पल्ला ,मामले की निष्पक्ष जांच होना जरूरी: उषा नेगी


यौन उत्पीड़न मामले में आरोपित उत्तराखंड शासन के बड़े आईएएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस जांच की गति एक कदम भी आगे ना बढ़ पाने को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। जबकि केंद्रीय महिला द्वारा दिए गए किसी भी जांच आदेश को तयसमय से पूरा करना पुलिस की जवाबदेही बनती हैं। उधर शासन में महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी निभा रहे आरोपित आईएएस से जुड़े इस हाई प्रोफाइल मामले की पुलिस जांच गति को लेकर उठने वाले सवालों पर उत्तराखंड सरकार शासकीय प्रवक्ता और कोई भी सम्बंधित अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते नजर आ रहे हैं।
हालांकि संबंधित विभाग से इतर बाल आयोग की अध्यक्षा उशा नेगी के मुताबिक महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को रोकने की दिशा में इस तरह गंभीर मामले की निष्पक्ष जांच होना आवश्यक है. तभी महिलाओं को लेकर बढ़ते अपराध घटनाओं में रोक लग सकेगी।




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पुलिस के जांच विषय में कुछ भी बोलना ठीक नहीं: शासकीय प्रवक्ता

केंद्रीय महिला आयोग के निर्देशानुसार यौन उत्पीड़न मामले में फसी आईएस अधिकारी के खिलाफ पुलिस जांच शुरू होने के तीन से चार दिनों में ही जांच अधिकारी एसपी सिटी श्वेता चौबे को बदल कर यह जांच देहरादून डिप्टी एसपी क्राइम लोग जीत सिंह को सौंपी गई है। उधर इस मामले पर पुलिस पर दबाव व निष्पक्ष जांच का सवाल को जब उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार के शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक से पूछा गया तो उन्होंने पूरे मामले से पल्ला झाड़ते हुए, कुछ भी साथ तौर कहने पर इंकार कर दिया... मदन कोशिक के मुताबिक इस मामले की जांच को पुलिस देख रही है, ऐसे में कुछ भी बोलना ठीक नहीं है।

बाईट-मदन कौशिक, शासकीय प्रवक्ता उत्तराखंड

महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध को रोकने की दिशा में निष्पक्ष जांच होना आवश्यक: उषा नेगी

उधर इस हाईप्रोफाइल आईएएस अधिकारी से जुड़े यौन उत्पीड़न मामले में पुलिस के ऊपर दबाव व निष्पक्ष जांच होने का सवाल जब संबंधित विभागों से बाल आयोग अध्यक्ष उषा नेगी से पूछा गया तो उनका साफ तौर पर कहना था कि, कोई भी महिला इतने गंभीर आरोप किसी बड़े उच्च अधिकारी के ऊपर सार्वजनिक तौर पर नहीं लगा सकती, ऐसे में महिलाओं प्रति बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाने की दिशा में पुलिस की निष्पक्ष जांच होना आवश्यक है। ताकि इस तरह की गंभीर मामलों को रोका जा सके।

बाईट- उषा नेगी, बाल आयोग अध्यक्ष, उत्तराखंड


Conclusion:बता दे कि, उत्तर प्रदेश के बिजनौर में रहने वाली स्कूल अध्यापिका द्वारा उत्तराखंड शासन में तैनात बड़े आईएएस अधिकारी पर धोखाधड़ी से शादी कर यौन उत्पीड़न का का आरोप लगाया गया है, इस मामलें पर लगातार पीड़ित महिला द्वारा बीते अगस्त माह के दौरान मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर सभी संबंधित विभागों में शिकायत देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद पीड़ित महिला द्वारा केंद्रीय महिला आयोग को पत्र लिखकर इसकी शिकायत दर्ज कराई गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय महिला आयोग ने देहरादून पुलिस को इस मामले की समय अनुसार जांच पड़ताल कर कार्रवाई करने के निर्देश दिये हुए हैं।
Last Updated : Dec 26, 2019, 9:18 PM IST
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