मसूरीः मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज मसूरी दौरे पर रहे, लेकिन इससे पहले सीएम धामी के विरोध की आशंका को देखते हुए पुलिस ने मसूरी शिफन कोर्ट से बेघर लोगों को जबरन उठा दिया. इस दौरान पुलिस और विरोध करने वाले लोगों के बीच में तीखी झड़प भी हुई. इतना ही नहीं पुलिस ने विरोध कर रहे कुछ लोगों को पकड़कर कोतवाली भी ले गई. जिन्हे मुख्यमंत्री के कार्यक्रम खत्म होने के बाद छोड़ दिया.
मसूरी शिफन कोर्ट बेघर समिति के अध्यक्ष संजय टम्टा ने विधायक और कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी पर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने साफतौर पर कहा कि गणेश जोशी के कहने पर ही पुलिस ने उन्हें जबरन कार्यक्रम स्थल से उठाया. जबकि, वो मुख्यमंत्री पुष्कर धामी से सिर्फ अपनी बात कहने के लिए वहां गए थे. वो सीएम से विस्थापित करने की सारी योजनाओं के बारे में समझना चाहते थे.
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चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाने की चेतावनीः उन्होंने कहा कि पुलिस उन्हें (Mussoorie shifan court Homeless People कार्यक्रम स्थल से जबरन उठाकर ले गई. साथ ही आरोप लगाया कि उनके साथ अभद्रता भी की गई. जिसे बर्दाश्त नहीं की जाएगी. उन्होंने कहा कि मसूरी बीजेपी विधायक गणेश जोशी और बीजेपी को आगामी 2022 के चुनाव में सबक सिखाया जाएगा. साही ही चुनाव का भी शिफन कोर्ट से बेघर हुए सभी लोग बहिष्कार करेंगे.
क्या बोली पुलिस? मसूरी पुलिस का कहना है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कार्यक्रम में किसी प्रकार का खलल न हो, इसे लेकर और सुरक्षा की दृष्टि से भी विवाद करने वाले कुछ लोगों को कुछ समय के लिए कोतवाली में बैठाया गया था. जिससे किसी प्रकार का कोई विवाद न हो.
क्या है शिफन कोर्ट विवाद: बता दें कि पुरुकुल को मसूरी से जोड़ने के लिए कुछ साल पहले पर्यटन विभाग ने यहां रोपवे बनाने की योजना तैयार की थी. सरकार से इसकी मंजूरी मिलने के बाद रोपवे निर्माण के लिए फ्रांस की एक कंपनी से करार भी कर लिया था.
वहीं, ऐन वक्त पर मसूरी में लाइब्रेरी बस स्टैंड के नीचे बसी अवैध मजदूर बस्ती शिफन कोर्ट (mussoorie shifan court) ने इस काम में रोड़ा अटका दिया था. यह बस्ती नगर पालिका मसूरी की जमीन पर बसी हुई थी. जिसके बाद पुलिस और प्रशासन ने जबरन शिफन कोर्ट से अतिक्रमण (mussoorie shifan court encroachment) को पूरी तरह से मुक्त करवा दिया.