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उत्तराखंड की सड़कों पर पैदल चलना भी नहीं सुरक्षित, दो साल में 273 लोगों की मौत - देहरादून में सड़क हादसा

एनसीआरबी रिपोर्ट 2018 के अनुसार, बीते दो सालों में 273 पैदल यात्री तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके हैं.

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Published : Jan 22, 2020, 8:28 AM IST

Updated : Jan 22, 2020, 10:24 AM IST

देहरादून: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2018 की रिपोर्ट के हिसाब से उत्तराखंड राज्य में नेशनल और स्टेट हाईवे पर चलना असुरक्षित माना जा रहा है. बीते दो सालों में उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में 273 यात्रियों की मौत तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आने से हो चुकी है. एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, हिमालय राज्यों में उत्तराखंड पैदल हादसों में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर हिमाचल प्रदेश है, जहां बीते दो सालों में पैदल चलने वाले 353 लोग वाहन की चपेट में आकर काल का ग्रास बन चुके हैं.

उत्तराखंड राज्य में भले ही विगत सालों की अपेक्षा साल 2019 में सड़क हादसों में 10 प्रतिशत की कमी आई हो, लेकिन सड़क में पैदल चलने वाले यात्रियों की इतनी तादाद में मौत होना चिंता का विषय बनता जा रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रही हादसों की संख्या

उत्तराखंड में साल 2017 में 1451 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें मरने वालों की संख्या 856 थी. वहीं, घायलों की संख्या 1504 रही. साल 2018 में उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में 1314 सड़क हादसे हुए, जिनमें 952 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 1453 लोग इन घटनाओं में घायल हुए. ऐसे में इन 2 सालों के बढ़ते आंकड़ों पर रोकथाम लगाने के लिए पुलिस ने साल 2019 में कारणों को तलाश कर काफी हद तक कार्य किए गए, जिसका नतीजा ये रहा कि 2019 में जारी अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से नवंबर महीने तक पूरे राज्य में 1221 सड़क हादसे हुए, जिनमें 778 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1322 लोग इन हादसों में घायल हुए.

ये भी पढ़ें: मसूरी: वन चौकी में ना बिजली है, ना पानी, क्या ऐसे होगी सुरक्षा?

वहीं, इस मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि इस ग्राफ के हर साल बढ़ने का कारण नेशनल और स्टेट हाईवे में चारधाम और कांवड़ यात्रियों की तादात का बढ़ना है. डीजी अशोक कुमार के अनुसार, उधम सिंह नगर जैसे नेशनल हाईवे पर पैदल सड़क हादसों की वजह तेज रफ्तार और कोहरा का होना है. हालांकि, पैदल यात्रा में मरने वालों की संख्या चिंता का विषय बनी हुई है.

डीजी के अनुसार, सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए अब प्रदेशभर की पुलिस को आरोपित वाहनों के चालक और स्वामी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है. जिससे इन हादसों पर लगाम लगाई जा सके.

देहरादून: नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की साल 2018 की रिपोर्ट के हिसाब से उत्तराखंड राज्य में नेशनल और स्टेट हाईवे पर चलना असुरक्षित माना जा रहा है. बीते दो सालों में उत्तराखंड के मैदानी और पहाड़ी इलाकों में 273 यात्रियों की मौत तेज रफ्तार वाहन की चपेट में आने से हो चुकी है. एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार, हिमालय राज्यों में उत्तराखंड पैदल हादसों में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर हिमाचल प्रदेश है, जहां बीते दो सालों में पैदल चलने वाले 353 लोग वाहन की चपेट में आकर काल का ग्रास बन चुके हैं.

उत्तराखंड राज्य में भले ही विगत सालों की अपेक्षा साल 2019 में सड़क हादसों में 10 प्रतिशत की कमी आई हो, लेकिन सड़क में पैदल चलने वाले यात्रियों की इतनी तादाद में मौत होना चिंता का विषय बनता जा रहा है.

उत्तराखंड में बढ़ रही हादसों की संख्या

उत्तराखंड में साल 2017 में 1451 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें मरने वालों की संख्या 856 थी. वहीं, घायलों की संख्या 1504 रही. साल 2018 में उत्तराखंड के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में 1314 सड़क हादसे हुए, जिनमें 952 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि 1453 लोग इन घटनाओं में घायल हुए. ऐसे में इन 2 सालों के बढ़ते आंकड़ों पर रोकथाम लगाने के लिए पुलिस ने साल 2019 में कारणों को तलाश कर काफी हद तक कार्य किए गए, जिसका नतीजा ये रहा कि 2019 में जारी अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से नवंबर महीने तक पूरे राज्य में 1221 सड़क हादसे हुए, जिनमें 778 लोगों की मौत हो गई, जबकि 1322 लोग इन हादसों में घायल हुए.

ये भी पढ़ें: मसूरी: वन चौकी में ना बिजली है, ना पानी, क्या ऐसे होगी सुरक्षा?

वहीं, इस मामले में पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि इस ग्राफ के हर साल बढ़ने का कारण नेशनल और स्टेट हाईवे में चारधाम और कांवड़ यात्रियों की तादात का बढ़ना है. डीजी अशोक कुमार के अनुसार, उधम सिंह नगर जैसे नेशनल हाईवे पर पैदल सड़क हादसों की वजह तेज रफ्तार और कोहरा का होना है. हालांकि, पैदल यात्रा में मरने वालों की संख्या चिंता का विषय बनी हुई है.

डीजी के अनुसार, सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए अब प्रदेशभर की पुलिस को आरोपित वाहनों के चालक और स्वामी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया गया है. जिससे इन हादसों पर लगाम लगाई जा सके.

Intro:summary-उत्तराखंड में पैदल चलना हुआ भारी,दो साल 273 पैदल यात्रियों की हादसों में मौत।


नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी वर्ष 2018 आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड राज्य में नेशनल व स्टेट हाईवे मार्गों पर चलना काफ़ी हद तक असुरक्षित माना जा रहा है। पिछले 2 वर्षों में उत्तराखंड के मैदानी व पहाड़ी इलाकों में 273 यात्रियों की मौत सड़क में पैदल चलते समय तेज़ रफ़्तार वाहनों के चपेट में आने से हो चुकी है। हालांकि एनसीआरबी आंकड़ों के मुताबिक हिमालय राज्यों में उत्तराखंड पैदल हादसों में दूसरे स्थान पर है, जबकि पहले स्थान पर हिमाचल प्रदेश है,जहां पिछले 2 वर्षों में 353 लोगों की मौत सड़क पर पैदल चलते समय वाहनों के चपेट में आने से हो चुकी हैं।
उत्तराखंड राज्य में भले ही विगत वर्षों की तुलना वर्ष 2019 में सड़क हादसों में 10 प्रतिशत की कमी आने से 20 फ़ीसदी लोगों की मौत में कमी आयी हो, लेकिन सड़क में पैदल चलने वाले यात्रियों की इतनी तादाद में मौत होना यह अपने आप में चिंता का विषय बनता जा रहा है।


Body:उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी व मैदानी इलाकों में विगत तीन वर्षों की तुलनात्मक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2019 में सड़क हादसों 10 फ़ीसदी की कमी देखी गई, जिसके चलते वर्ष 2017-18 के मुकाबले 2019 में 20 प्रतिशत मौत के आंकड़ों में भी कमी आई है।
वर्ष 2017 में पूरे राज्य में 1451 सड़क दुर्घटना हुई,जिसमें मरने वालों की संख्या 856 थी, जबकि घायलों की संख्या 1504 देखी गई थी। वर्ष 2018 में उत्तराखंड के पहाड़ी व मैदानी इलाकों में 1314 सड़क हादसे हुए, जिनमें 952 लोगों ने अपनी जाने गवाई, जबकि 1453 लोग इन घटनाओं में घायल हुए. ऐसे में इन 2 वर्षों के बढ़ते आंकड़े के दृष्टिगत 2019 में पुलिस विभाग ने सड़क हादसों के कारणों को तलाश कर काफी हद तक कार्य किया, जिसका नतीजा यह रहा कि 2019 में जारी अधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2019 से नवंबर माह तक पूरे राज्य में 1221 सड़क हादसे हुए जिनमें 778 लोगों की जानें गई जबकि 1322 लोग इन हादसों में घायल हुए।




Conclusion:चारधाम व कांवड़ जैसे बड़े यात्रा में करोड़ों की तादाद सड़क पर आवाजाही से हादसें बढ़ना चिंता का विषय: मुख्यालय

वहीं उत्तराखंड राज्य में हर वर्ष भारी संख्या में पैदल चलने वाले यात्रियों की सड़क हादसें में मौत मामले में महानिदेशक अशोक कुमार का मानना है कि, यह ग्राफ़ इसलिए ऊपर हैं कि, हर वर्ष चारधाम व कावड़ जैसे बड़ी यात्रा में सड़कों पर करोड़ों की तादात में यात्री पैदल मार्ग तय कर अपने गंतव्य की बढ़ते हैं,इसी दौरान नेशनल व स्टेट हाइवे मार्गों पर जरूरत से ज्यादा पैदल आवाजाही में किन्ही कारणों से कुछ राहगीर वाहनों की चपेट में आ जाते हैं। डीजी अशोक कुमार के मुताबिक पैदल सड़क हादसों की वजह ऊधमसिंह नगर जैसे नेशनल हाईवे पर फोरलेन में तेज़ रफ़्तार व कोहरे के कारण भी ज्यादा हुई हैं, हालांकि पैदल यात्रा में इतने लोगों की मौत होना चिंता का विषय है उत्तराखंड पुलिस इस पर भी अंकुश लगाने के लिए लगातार प्रयासरत है। इतना ही नहीं डीजी अशोक कुमार के मुताबिक सड़क हादसों पर अंकुश के दृष्टिगत अब प्रदेशभर की पुलिस को आरोपित वाहनों के चालक और स्वामी के खिलाफ पहले के मुकाबले 304 जैसी कड़ी धाराओं में कार्रवाई के लिए अनिवार्यता लायी गयी हैं ताकि आसानी से कोई आरोपी ना बच सके।

बाईट- अशोक कुमार, महानिदेशक अपराध व कानून व्यवस्था उत्तराखंड
Last Updated : Jan 22, 2020, 10:24 AM IST
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