देहरादूनः रायपुर स्थित टी एस्टेट की 12.5 एकड़ जमीन के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले मामले में फरार दो आरोपी पुलिस के हाथ आ गए हैं. पुलिस ने मुख्य आरोपी एडवोकेट इमरान अहमद और रजिस्ट्रार कर्मी अजय क्षेत्री को गिरफ्तार किया है. दोनों आरोपियों को सीजेएम कोर्ट प्रथम में पेश कर न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. इससे पहले पुलिस ने देहरादून रजिस्टार कार्यालय में तैनात कर्मचारी डालचंद समेत असम निवासी टिंबर व्यापारी दो भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. अभी तक इस मामले में पांच लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
बता दें कि हाल ही में देहरादून रजिस्ट्रार ऑफिस में जमीन से जुड़े दस्तावेजों से छेड़छाड़ का मामला सामने आया था. जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक पहुंची. इतना ही नहीं सीएम धामी ने मामले का संज्ञान लेकर औचक निरीक्षण किया था. इसके बाद सीएम धामी ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को निर्देशित किया था. इस निर्देश पर देहरादून एसएसपी दलीप सिंह कुंवर ने एक टीम गठित की. यह टीम अब तक मामले में मास्टरमाइंड समेत पांच लोग गिरफ्तार कर चुकी है. अभी भी पुलिस की जांच पड़ताल जारी है. उम्मीद जताई जा रही है कि अभी कई लोग और गिरफ्तार हो सकते हैं.
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दरअसल, बीती 15 जुलाई को सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि अज्ञात आरोपियों की मिलीभगत से धोखाधड़ी की नियत से आपराधिक षड्यंत्र रचकर रजिस्ट्रार कार्यालय और सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अलग-अलग बैनामों में छेड़छाड़ की गई है. जिस संबंध में अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया था. मुकदमा पंजीकृत होने के बाद एसएसपी कुंवर ने मामले के खुलासे को लेकर एसआईटी टीम का गठन किया था.
आरोपियों तक कैसे पहुंची टीम? गठित टीम ने रजिस्ट्रार ऑफिस से जानकारी हासिल की, फिर रिंग रोड से संबंधित 30 से ज्यादा रजिस्ट्रियों का अध्ययन कर सभी लोगों से पूछताछ की. पूछताछ में कुछ प्रॉपर्टी डीलर के नाम सामने आए. उनसे पूछताछ के बाद फर्जीवाड़े में कई लोगों की संलिप्तता मिली. जिस पर टीम ने कई संदिग्धों के विभिन्न बैंक अकाउंट को खंगाला गया. जिसमें करोड़ों रुपयों का लेन देन होना पाया गया. इन लोगों ने रजिस्ट्रार कार्यालय से दस्तावेज हासिल किए. जिसमें फर्जीवाड़ा पाया गया.
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वहीं, तमाम सबूतों के आधार पर पुलिस ने आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दबिश दी. इसी कड़ी में एसआईटी टीम को मुखबिर की सूचना पर 12 अगस्त को आरोपी संतोष अग्रवाल, दीप चंद्र अग्रवाल और रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात डालचंद को गिरफ्तार किया. सभी आरोपी अभी न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार में सजा काट रहे हैं. इनसे पूछताछ में कई अन्य लोगों के नाम भी सामने आए. जिनकी पुलिस लगातार तलाश कर रही थी. इसी बीच फरार चल रहे आरोपी इमरान अहमद को नेहरू कॉलोनी क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया.
रजिस्ट्रार कार्यालय में इस तरह करते थे बैनामों से छेड़छाड़ः आरोपी इमरान अहमद ने पूछताछ में बताया कि उसकी मुलाकात सहारनपुर निवासी कुंवर पाल से हुई थी. वो रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात अजय क्षेत्री के साथ मिलकर ऐसी जमीनें (जो कई सालों से विवादित हो या खाली पड़ी हो) के कागजात जिल्द फाइलों से निकालता था. जिसे वो कुंवर पाल को सौंपते थे. इसके बाद कुंवर पाल अपने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर उन कागजातों की फर्जी रजिस्ट्रियां तैयार करता था.
इतना ही नहीं दोबारा उनकी प्रतियां उन्हीं जिल्द फाइलों में अजय क्षेत्री के माध्यम से लगवा दिए जाते थे. आरोपी इमरान के बयानों के आधार पर रजिस्ट्रार कार्यालय में बाइडिंग का काम करने वाले अजय क्षेत्री को भी बल्लूपुर क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया. आरोपी अजय ने बताया कि वो कुंवर पाल के संपर्क में काफी समय से था. कुंवर पाल की ओर से लालच दिए जाने और उनकी आर्थिक मदद करने के कारण उसने ये काम किया.
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अजय के मुताबिक, वो रिकॉर्ड रूम से पुराने जिल्द फाइलों से कागज निकालकर कुंवर पाल को देता था. कुंवर पाल उन कागजों के बदले दूसरे कागज तैयार कर दोबारा उसे देता था. अजय क्षेत्री फर्जी तरीके से कागजातों को जिल्द फाइलों में उसी क्रम में चिपका देता था. इसके बाद कुंवर पाल, इमरान और उसके अन्य सहयोगी संबंधित भूमि पर कब्जा कर उनकी रजिस्ट्रियां विभिन्न प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से बेच देते थे. जिसका प्रॉफिट सभी आरोपी आपस में बांट लेते थे.
देहरादून एसपी सिटी सरिता डोभाल ने बताया कि रजिस्ट्रार ऑफिस में नियुक्त बाइंडर अजय क्षेत्री ने लालच में आकर साल 1984-85 और 1980 की जिल्द फाइलों में से ऐसे कागजात जो लोन, लीज, तितंबा, किरायेनामा आदि से संबंधित हों, उन कागजातों को फाइलों से निकालकर आरोपी कुंवर पाल को दिया करता था. जिसके बाद आरोपी रिंग रोड, रानी पोखरी, नवादा आदि जमीनों के भूस्वामियों के नाम से अपने आदमियों के नाम की फर्जी रजिस्ट्रियां दिखाते थे.
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उन कागजों को वापस अजय क्षेत्री के माध्यम से दोबारा उसी क्रम में उसी साल की जिल्द फाइलो में चिपका दिया जाता था. इसके बाद आरोपी रजिस्ट्रार कार्यालय से प्रमाणित प्रति हासिल कर उन जमीनों की दाखिल खारिज करवाकर प्रॉपर्टी डीलरों के माध्यम से बेचा करते थे. आरोपियों ने फर्जी रजिस्ट्रियों के माध्यम से जमीनें बेचकर करीब 15 करोड़ रुपए से ज्यादा का मुनाफा कमाया. आरोपी कुंवर पाल ने बाइंडर अजय क्षेत्री को भी काम के एवज में करीब 45 लाख का 166 गज का एक प्लॉट रिंग रोड पर रजिस्ट्री कर दिया था.
इसके अलावा करीब 10-15 लाख रुपए की आर्थिक मदद विभिन्न तरीके से की गई है. साथ ही आरोपी अजय क्षेत्री, कुंवर पाल, संतोष अग्रवाल और अन्य की ओर से रिंग रोड की पासबुक, जिसमें खसरा नंबर 1584, रकबा 166 गज भूमि प्लॉट की रजिस्ट्री बरामद की है. इसके अलावा आरोपी अजय क्षेत्री के बैंक अकाउंट लाखों रुपए की एंट्री मिली है. जो पुलिस ने बरामद कर लिया है.
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