ऋषिकेश: चंद्रेश्वरनगर में गंगाघाट पर अंतिम संस्कार का विरोध और धारदार हथियार से पुजारी समेत कई लोगों पर हमले की वारदात को अंजाम दिया गया है. इस मामले में अब मुख्य आरोपी पार्षद पति किशन मंडल समेत अन्य पर पुलिस की कार्रवाई सवालों में है. दरअसल, पुलिस ने धारदार हथियारों का जिक्र कर पहले छह धाराएं लगाई. बावजूद, इस वारदात में हत्या के प्रयास और धर्म के अपमान की धारा को शामिल नहीं किया. उल्टा पुलिस ने गैर इरादत हत्या के प्रयास की धारा लगाकर तीन नामजद आरोपियों की गिरफ्तारी उन्हें न्यायालय में पेश कर दिया.
कोतवाल रवि सैनी के मुताबिक, अदालत ने ही आईपीसी की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) को बदल 307 (हत्या का प्रयास) कर दिया. साथ ही न्यायालय ने धारा 325 (जानबूझकर चोट पहुंचाने) को भी बदलते हुए 326 (धारदार हथियार का इस्तेमाल) किया. ऐसे में अदालत की दखल के बाद अब सवाल यह है कि आखिर ऋषिकेश पुलिस ने धाराओं में मामला न्यायालय पहुंचने से पहले सरेंडर क्यों किया? मामला इतने तक समिति नहीं है. तीन नामजद आरोपियों को पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने के कुछ घंटों बाद गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मुख्य आरोपी पार्षद पति किशन मंडल को 36 घंटे बाद पुलिस ने दबोचने का दावा किया.
दिलचस्प यह है कि आरोपी की गिरफ्तारी भी शहर के सबसे ज्यादा व्यस्ततम रेलवे रोड से हुई. कार्रवाई में पुलिस पर आरोप यह भी लगे कि किशन मंडल शुक्रवार को ही कोतवाली के आसपास नजर आया था. बावजूद इसके उसकी अरेस्टिंग नहीं की गई. सवाल यह भी है कि क्या पुलिस मामले में सख्त कार्रवाई और मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी को लेकर किसी दबाव में थी. बीते दिन हुई इस सनसनीखेज वारदात से अब ऋषिकेश पुलिस के कामकाज के तरीके पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.
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क्या गंडासे और कटार जानलेवा हथियार नहीं?: शहर में हुई यह पूरी वारदात चंद्रेश्वरनगर की पार्षद रूपा मंडल के पति किशन मंडल और उसके साथियों से जुड़ी है. गंगाघाट पर चंद्रेश्वनगर के पुजारी भवानी दत्त की माता की अंत्येष्टि का किशन और साथियों ने पहले विरोध किया. आरोप है कि चिता को लात तक मारी गई. इससे भी जी नहीं भरा, तो किशन मंडल ने साथियों के साथ पुजारी और मौके पर मौजूद अन्य लोगों को गंडासे, कटार और लोहे के पाइपों से वार करते हुए जख्मी कर दिया. 28 जुलाई यानी गुरुवार की रात को पुलिस ने लल्लन झा निवासी बापूग्राम की शिकायत पर किशन मंडल और तीन नामजद व 25 अज्ञातों पर मुकदमा तो दर्ज किया, लेकिन इसमें आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 325, 504 और 506 के तहत कार्रवाई की.
पुलिस विवेचना पर सवाल: चंद्रेश्वरनगर के गंगाघाट पर घटनाक्रम में दिलचस्प यह है कि ऋषिकेश की मित्र पुलिस ने हत्या के प्रयास की धारा नहीं लगाई. जब मामला कोर्ट तक पहुंचा, तो इसके बाद कोतवाल रवि सैनी के अनुसार न्यायालय ने दो धाराएं बदल दी. इसमें आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) और 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) का उन्होंने जिक्र किया. जबकि, ऋषिकेश पुलिस ने सार्वजनिक प्रेस नोट में खुद की विवेचना के दौरान आईपीसी की धारा 307 को बढ़ाना अंकित किया है.
इसके साथ ही प्रेस नोट में आईपीसी की धारा 297 (भावनाओं को ठेस पहुंचाते हुए धर्म का अपमान करने) को भी तफ्तीश के दौरान लिखा गया है. सिर्फ इतना ही नहीं, गुरुवार की घटना में शुक्रवार को नामजद संदीप, जितेंद्र और सुनील निवासी चंद्रेश्वरनगर को तो गिरफ्तार किया, मगर सजग पुलिस मुख्य आरोपी पार्षद पति किशन मंडल को दबोच नहीं पाई. वहीं, अगले ही दिन यानी शनिवार को 36 घंटे में पुलिस ने आरोपी किशन मंडल को व्यस्ततम रेलवे रोड से दबोचा.