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ऋषिकेश दुष्कर्म-हत्या मामला: वकील ने कहा- HC के फैसले के खिलाफ सरकार को जाना चाहिए SC

ऋषिकेश दुष्कर्म मामले में उत्तराखंड पुलिस सुप्रीम कोर्ट में जाने की तैयारी कर रही है. ताकि पीड़ित पक्ष को न्याय दिलाया जा सके.

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ऋषिकेश दुष्कर्म मामला
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Published : Dec 19, 2019, 10:10 PM IST

देहरादून: हाल ही नैनीताल हाई कोर्ट ने नाबालिगों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में पोक्सो कोर्ट से फांसी सजा पाए दोषी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था. मामले में पोस्को कोर्ट के सरकारी वकील भरत सिंह नेगी का कहना है कि इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके.

ऋषिकेश दुष्कर्म मामला

देहरादून पोक्सो कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी के मुताबिक इस मामले में सबसे बड़ा अहम सबूत बच्ची और आरोपी परवान सिंह का डीएनए मेच मिलान था. मृतक बच्चों के हाथ पर परवान सिंह के दाढ़ी के बाल मिले थे. जिसे इस केस में अहम सबूत माना गया था. हालांकि ऊपरी अदालत में इस तरह के अहम सबूत को अलग नजरिए से देखा गया.

पढ़ें- उत्तराखंड: यौन शोषण के मामले में फंसे IAS अधिकारी की बढ़ सकती है मुश्किलें

भरत सिंह नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट ने ये तो माना है कि घटना के समय आरोपी परवान सिंह मौके पर मौजूद था. लेकिन उसके बाल मरे हुए बच्चों हाथ में कैसे आए ? तस्वीरों में इसकी पैरवी में साफ नहीं हो पाई. जिसका फायदा परवान सिंह को मिला और कोर्ट ने उसे दोषमुक्त कर दिया. हालांकि यह हैरान और परेशान करने वाला विषय है. क्योंकि मरे हुए बच्चों के बंद मुट्ठी में कही से उड़कर आरोपी का बाल कैसे फंस सकता हैं?

नेगी के मुताबिक ऐसे में जघन्य अपराध के लिए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने व जनता का कानून का भरोसा कायम रखने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करना जरूरी हो जाता है.

पढ़ें- गुरुकुल कांगड़ी विवि के कुलपति पर वादाखिलाफी का आरोप, कर्मचारियों ने जताया विरोध

क्या था मामला
बता दें कि साल 2018 में ऋषिकेश में गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह पर दो मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और बाद में हत्या करने का आरोप लगा था. इस मामले में देहरादून की पोक्सो कोर्ट ने परवान सिंह को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद परवान सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में अपील की थी. लेकिन हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में परवान सिंह दोषमुक्त कर दिया था.

देहरादून: हाल ही नैनीताल हाई कोर्ट ने नाबालिगों के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले में पोक्सो कोर्ट से फांसी सजा पाए दोषी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था. मामले में पोस्को कोर्ट के सरकारी वकील भरत सिंह नेगी का कहना है कि इस मामले में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करनी चाहिए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके.

ऋषिकेश दुष्कर्म मामला

देहरादून पोक्सो कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी के मुताबिक इस मामले में सबसे बड़ा अहम सबूत बच्ची और आरोपी परवान सिंह का डीएनए मेच मिलान था. मृतक बच्चों के हाथ पर परवान सिंह के दाढ़ी के बाल मिले थे. जिसे इस केस में अहम सबूत माना गया था. हालांकि ऊपरी अदालत में इस तरह के अहम सबूत को अलग नजरिए से देखा गया.

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भरत सिंह नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट ने ये तो माना है कि घटना के समय आरोपी परवान सिंह मौके पर मौजूद था. लेकिन उसके बाल मरे हुए बच्चों हाथ में कैसे आए ? तस्वीरों में इसकी पैरवी में साफ नहीं हो पाई. जिसका फायदा परवान सिंह को मिला और कोर्ट ने उसे दोषमुक्त कर दिया. हालांकि यह हैरान और परेशान करने वाला विषय है. क्योंकि मरे हुए बच्चों के बंद मुट्ठी में कही से उड़कर आरोपी का बाल कैसे फंस सकता हैं?

नेगी के मुताबिक ऐसे में जघन्य अपराध के लिए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने व जनता का कानून का भरोसा कायम रखने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करना जरूरी हो जाता है.

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क्या था मामला
बता दें कि साल 2018 में ऋषिकेश में गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह पर दो मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार और बाद में हत्या करने का आरोप लगा था. इस मामले में देहरादून की पोक्सो कोर्ट ने परवान सिंह को दोषी मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी. इसके बाद परवान सिंह ने नैनीताल हाई कोर्ट में अपील की थी. लेकिन हाई कोर्ट ने सबूतों के अभाव में परवान सिंह दोषमुक्त कर दिया था.

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summary-पॉक्सो कोर्ट से जघन्य अपराधों पर फाँसी की सजा उच्च न्यायालय से बरी होने पर सरकारी वकील जताया दुःख.

देहरादून: नाबालिग मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार व निर्मम हत्या जैसे जघन्य अपराध में विशेष पॉक्सो कोर्ट से पर्याप्त सबूतों व गवाहों के चलते अपराधियों को मिलने वाली फांसी की सजा किंही कारणों से ऊपरी अदालत से माफ (दोषमुक्त)होने जैसी मामले सामने आने के बाद पॉक्सो कोर्ट के सरकारी वकील इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण व न्याय प्रक्रिया के तहत कष्टकारी मान रहे हैं। हालांकि इस मामले में उत्तराखंड पुलिस मुख्यालय द्वारा पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में देहरादून पुलिस को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के निर्देश दिए गए हैं।




Body:फांसी की सजा उच्च न्यायालय से दोष मुक्त होना दुर्भाग्यपूर्ण विषय: पॉक्सो कोर्ट वकील

वर्ष 2018 में ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारे के सेवादार परवान सिंह द्वारा दो मासूम बच्चियों के साथ बलात्कार व हत्या जैसे जघन्य मामले में देहरादून की पॉक्सो कोर्ट से परवान सिंह सभी तरह के पर्याप्त सबूतों और गवाहों के आधार पर मिली फाँसी की सजा उपरी अदालत से पूरी तरह से दोषमुक्त माफ होने वाला मामला कानूनी जानकारों के मुताबिक हैरान व परेशान करने जैसा है। इस विषय को लेकर देहरादून पॉक्सो कोर्ट में मासूम बच्चों के साथ हुए जघन्य अपराध में आरोपी परवान सिंह को फाँसी की सजा दिलाने वाले सरकारी वकील भरत सिंह नेगी का मानना है कि इस केस में सभी तरह के महत्वपूर्ण प्रयास से सबूत व गवाह सहित मामले से जुड़े अहम साइंटिफिक साक्ष्य साबित होने के बावजूद आरोपी की सजा ऊपरी अदालत से पूरी तरह से माफ होना जहाँ पीड़ित परिजन के लिए बेहद दुखदाई है तो वही कानून के जानकारों के लिए भी हताश होने का विषय है।

डीएनए और मृतक बच्चों के हाथों में आरोपी के बाल होना सबसे बड़ा सबूत

देहरादून पॉक्सो कोर्ट के शासकीय अधिवक्ता भरत सिंह नेगी के मुताबिक ऋषिकेश में दो मासूम बच्चियों के साथ रेप हत्या मामले में सबसे बड़ा अहम सबूत बच्ची और परवान सिंह का DNA मेच मिलान होना और मृतक बच्चों के हाथ पर आरोपी के दाढ़ी के बाल होना प्रयाग सबूतों में सबसे महत्वपूर्ण था. हालांकि ऊपरी अदालत में इस तरह के सबसे अहम सबूत को भी अलग नजरिए से देखते हुए यह बताया गया। सरकारी वकील भरत सिंह के मुताबिक हाईकोर्ट में घटना के समय परवान सिंह को मौके मौजूद माना गया, लेकिन परवान सिंह के दाढ़ी के बाल बच्चों के मरे हुए बच्चों हाथ में कैसे आये इसकी तस्वीर पैरवी में साफ नहीं हो पाई। जिसका फायदा आरोपी को दोषमुक्त होने के लिए मिल गया। वकील भरत सिंह नेगी के मुताबिक यह हैरान और परेशान करने वाला विषय है कि आखिर मरे हुए बच्चों के मुट्ठी बंद हाथ मे कही से उड़कर आरोपी का बाल कैसे फंस सकता हैं।




Conclusion:सरकार को हर हाल में इस जघन्य अपराध को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करना आवश्यक हैं: सरकारी वकील

पॉक्सो कोर्ट सरकारी वकील भरत सिंह नेगी का मानना है कि इस केस में पुलिस ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में उनके हिसाब से कोई भी कमी नहीं छोड़ी थी। जबकि इस जघन्य अपराधियों ने उन्होंने भी सभी तरह के महत्वपूर्ण पर्याप्त सबूतों के साथ पॉक्सो कोर्ट में हर तथ्य को साबित किया था उसी के आधार पर देहरादून पॉक्सो कोर्ट ने सेवादार परवान सिंह को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। पॉक्सो कोर्ट के वकील भरत सिंह नेगी के मुताबिक इस मामले में न्याय प्रक्रिया को लेकर जनता में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं, ऐसे में इस जघन्य अपराध के लिए पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने व जनता कानून का भरोसा कायम रखने के लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में अपील करना आवश्यक है।

बाईट- भरत सिंह नेगी, पॉक्सो कोर्ट ,शासकीय अधिवक्ता
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