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स्वामित्व योजना: 50 गांव के 6800 लोगों को मिला स्वामित्व कार्ड, होम स्टे पर पीएम का सुझाव

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Published : Oct 11, 2020, 7:10 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को स्वामित्व योजना 'मेरी सम्पत्ति मेरा हक' के पायलट फेज के तहत 6 राज्यों के 763 गांवों के 1 लाख ग्रामीणों को प्रॉपर्टी कार्ड के वितरण का डिजिटल शुभारंभ किया. महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के एक लाख ग्रामीणों को प्रॉपर्टी कार्ड वितरित किए गए. प्रधानमंत्री मोदी ने कार्यक्रम के दौरान कुछ लाभार्थियों से बात भी की.

swamitva scheme
स्वामित्व योजना

देहरादून: देश में स्वामित्व योजना की शुरूआत हो गई है. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस महात्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की. पंचायतीराज मंत्रालय के तहत शुरू हुई इस योजना से 6 राज्यों के 763 पंचायतों के एक लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं. इनमें उत्तराखंड के 50 गांव के 6800 लोग शामिल हैं.

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आपके पास एक अधिकार है, एक कानूनी दस्तावेज है कि आपका घर आपका ही है, आपका ही रहेगा. ये योजना हमारे देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली है. पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है. स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है. उन्होंने कहा कि ये योजना गांवों में स्वामित्व से जुड़ी कई लड़ाईयां खत्म करेगी.

  • प्रधानमंत्रीजी ने पौड़ी के खिर्सू निवासी भू स्वामी सुरेश चंद जी से बात की एवं स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन के बारे में लाभार्थियों के विचार जाने एवं property card से होने वाले फ़ायदों के बारे में अवगत कराया।इस योजना से लाभार्थियों को अपनी ज़मीन को monetise करने में madad मिलेगी pic.twitter.com/yBwojZDwxk

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पहाड़ की सुंदरता का किया जिक्र

पीएम मोदी ने उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के विकासखंड खिर्सू के ग्राम गोदा निवासी सुरेश चंद्र से बात की. इस दौरान सुरेश चंद्र ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है, इसमें किसी तरह का विवाद नहीं हुआ. प्रॉपर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा.

बातचीत के दौरान उन्होंने पीएम को बताया कि गांव से चौखम्भा व केदारनाथ के पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं. गांव के लोग प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं. सुरेंद्र की यह बात सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड की सुंदरता और देवत्व का जिक्र करते हुए कहा कि वो उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में काफी रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुरेश चंद्र भाग्यशाली हैं कि वो ऐसे स्थान पर रहते हैं, जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं.

  • इस दौरान प्रधानमंत्री जी ने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिया कि सभी होमस्टे संचालकों की जानकारी, फोन नम्बर आदि के लिए कॉमन प्लेटफॉर्म बनाया जाए।राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है और इसे जल्दी ही शुरू किया जाएगा। pic.twitter.com/AGCkEd8ig2

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, होम स्टे पर बात करते हुये वहां मौजूद राज्यमंत्री धन सिंह रावत को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि क्यों न ऐसी वेवसाइट तैयार की जाए जिसमें होम स्टे से संबंधित सभी फोटोग्राफ, सभी जरूरी कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण उपलब्ध हो. इससे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सही और सटीक जानकारी एक साथ मिल जाएगी. इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है.

पीएम ने ली चुटकी

लाभार्थी सुरेश चंद्र से पहाड़ों पर बात करते हुये प्रधानमंत्री की नजर पीछे लगे पर्दों पर गई तो प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वो भी देवभूमि के नजारों के दर्शन कर पाते लेकिन पीछे लगे पर्दों के कारण उनको प्राकृतिक सुंदरता नजर नहीं आ रही है.

क्या है स्वामित्व योजना?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों में भू-संपत्ति मालिकों को ‘स्वामित्व योजना' के तहत प्रॉपर्टी कार्ड बांटने की योजना का शुभारंभ किया है. इस योजना के तहत लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिक अपने मोबाइल फोन पर एसएमएस से मिलने वाले लिंक से संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे. इसके बाद संबंधित राज्य सरकारें फिजिकल तौर पर संपत्ति कार्ड बांटेंगी.

स्वामित्व केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक योजना है. इस योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल 2020) को घोषणा की थी. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है.

इस योजना को 4 चार सालों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. इस योजना का काम 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाना है. इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण (पायलट फेज) में 2000-21 के दौरान कवर किया जाएगा. पहले फेज में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ से पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे.

सभी राज्यों ने सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत इस योजना के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वे किया जाएगा. इन राज्यों ने डिजिटल संपत्ति कार्ड के प्रारूप और जिन गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाना है उसे अंतिम रूप दे दिया है. पंजाब और राजस्थान में नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क की स्थापना के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि भविष्य में ड्रोन उड़ाने संबंधी गतिविधियों को संचालित करने में मदद की जा सके.

  • स्वामित्व योजना के तहत वितरित किए गए प्रॉपर्टी कार्ड से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में भी खुशी की माहौल है। सुरेश चंद जी ने बताया कि स्वामित्व योजना में डिजिटल माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया और कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। #SampatiSeSampanta pic.twitter.com/zyuLTxyi0A

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अलग-अलग राज्यों में स्वामित्व कार्ड को अलग-अलग नाम दिये गए हैं. उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख, उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’, हरियाणा में ‘टाइटल डीड’, कर्नाटक में ‘रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड’ (आरपीओआर), मध्यप्रदेश में 'अधिकार अभिलेख' और महाराष्ट्र में ‘सनद’ नाम दिया गया है.

योजना का क्या है मकसद?

  • योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों की संपत्तियों से जुड़ी भौतिक प्रतियां उनके मालिकों को सौंपना है.
  • इससे संपत्ति का डिजिटल ब्योरा रखा जा सकेगा.
  • ग्रामीणों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि दशकों से चले आ रहे सम्पत्ति के उनके विवाद भी खत्म हो जाएंगे, उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे.
  • इस योजना से भू-संपत्ति मालिक अपनी प्रॉपर्टी को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे.
  • इसका इस्तेमाल लोन के लिए अप्लाई करने सहित अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा. इस योजना का शुभारंभ करने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ लाभार्थियों से बात भी करेंगे.
  • पहले चरण में हरियाणा के 221, कर्नाटक के दो, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तर प्रदेश के 346 और उत्तराखंड के 50 सम्पत्ति मालिक शामिल हैं.
  • कुल मिलाकर 763 गांवों के जमीन मालिकों को फिजिकल कॉपी के साथ-साथ डिजिटल संपत्ति कार्ड भी प्राप्त होंगे.
  • योजना में राजस्व विभाग और संबद्ध विभागों की अहम भूमिका रही है.
  • इनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लोगों के स्वामित्व का रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं.
  • विवादों के मौके पर निपटान के लिए एक अलग व्यवस्था तैयार की गई है.
  • योजना लागू होने से कब्जे, जल निकासी, सीमाओं के बारे में विवाद में कमी आएगी.

देहरादून: देश में स्वामित्व योजना की शुरूआत हो गई है. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस महात्वाकांक्षी योजना की शुरुआत की. पंचायतीराज मंत्रालय के तहत शुरू हुई इस योजना से 6 राज्यों के 763 पंचायतों के एक लाख लोग लाभान्वित हो रहे हैं. इनमें उत्तराखंड के 50 गांव के 6800 लोग शामिल हैं.

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आपके पास एक अधिकार है, एक कानूनी दस्तावेज है कि आपका घर आपका ही है, आपका ही रहेगा. ये योजना हमारे देश के गांवों में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली है. पीएम ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत अभियान में आज देश ने एक और बड़ा कदम उठा दिया है. स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है. उन्होंने कहा कि ये योजना गांवों में स्वामित्व से जुड़ी कई लड़ाईयां खत्म करेगी.

  • प्रधानमंत्रीजी ने पौड़ी के खिर्सू निवासी भू स्वामी सुरेश चंद जी से बात की एवं स्वामित्व योजना के क्रियान्वयन के बारे में लाभार्थियों के विचार जाने एवं property card से होने वाले फ़ायदों के बारे में अवगत कराया।इस योजना से लाभार्थियों को अपनी ज़मीन को monetise करने में madad मिलेगी pic.twitter.com/yBwojZDwxk

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पहाड़ की सुंदरता का किया जिक्र

पीएम मोदी ने उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के विकासखंड खिर्सू के ग्राम गोदा निवासी सुरेश चंद्र से बात की. इस दौरान सुरेश चंद्र ने प्रधानमंत्री का धन्यवाद देते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया पूर्ण पारदर्शिता से सम्पन्न हुई है, इसमें किसी तरह का विवाद नहीं हुआ. प्रॉपर्टी के कागज मिलने से अब बैंक से ऋण भी मिल सकेगा.

बातचीत के दौरान उन्होंने पीएम को बताया कि गांव से चौखम्भा व केदारनाथ के पर्वत शिखरों के दर्शन होते हैं और निकट ही प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी हैं. गांव के लोग प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद अपने घरों में होम स्टे बनाना चाहते हैं. सुरेंद्र की यह बात सुनते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उत्तराखंड की सुंदरता और देवत्व का जिक्र करते हुए कहा कि वो उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में काफी रहे हैं. उन्होंने कहा कि सुरेश चंद्र भाग्यशाली हैं कि वो ऐसे स्थान पर रहते हैं, जहां से पवित्र पर्वतों के दर्शन होते हैं.

  • इस दौरान प्रधानमंत्री जी ने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौंदर्य की प्रशंसा करते हुए सुझाव दिया कि सभी होमस्टे संचालकों की जानकारी, फोन नम्बर आदि के लिए कॉमन प्लेटफॉर्म बनाया जाए।राज्य सरकार इस दिशा में कार्य कर रही है और इसे जल्दी ही शुरू किया जाएगा। pic.twitter.com/AGCkEd8ig2

    — Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वहीं, होम स्टे पर बात करते हुये वहां मौजूद राज्यमंत्री धन सिंह रावत को संबोधित करते हुये प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि क्यों न ऐसी वेवसाइट तैयार की जाए जिसमें होम स्टे से संबंधित सभी फोटोग्राफ, सभी जरूरी कान्टेक्ट नम्बर सहित सारा विवरण उपलब्ध हो. इससे पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को सही और सटीक जानकारी एक साथ मिल जाएगी. इससे होम स्टे का काम बढ़िया तरीके से आगे बढ़ सकता है.

पीएम ने ली चुटकी

लाभार्थी सुरेश चंद्र से पहाड़ों पर बात करते हुये प्रधानमंत्री की नजर पीछे लगे पर्दों पर गई तो प्रधानमंत्री ने कहा कि आज वो भी देवभूमि के नजारों के दर्शन कर पाते लेकिन पीछे लगे पर्दों के कारण उनको प्राकृतिक सुंदरता नजर नहीं आ रही है.

क्या है स्वामित्व योजना?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांवों में भू-संपत्ति मालिकों को ‘स्वामित्व योजना' के तहत प्रॉपर्टी कार्ड बांटने की योजना का शुभारंभ किया है. इस योजना के तहत लगभग एक लाख भू-संपत्ति मालिक अपने मोबाइल फोन पर एसएमएस से मिलने वाले लिंक से संपत्ति कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे. इसके बाद संबंधित राज्य सरकारें फिजिकल तौर पर संपत्ति कार्ड बांटेंगी.

स्वामित्व केंद्र सरकार के पंचायती राज मंत्रालय द्वारा शुरू की गई एक योजना है. इस योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस (24 अप्रैल 2020) को घोषणा की थी. इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को ‘रिकॉर्ड ऑफ राइट्स’ देने के लिए संपत्ति कार्ड का वितरण किया जाना है.

इस योजना को 4 चार सालों में चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा. इस योजना का काम 2020 से 2024 के बीच पूरा किया जाना है और देश के 6.62 लाख गांवों को कवर किया जाना है. इसमें से एक लाख गावों को आरंभिक चरण (पायलट फेज) में 2000-21 के दौरान कवर किया जाएगा. पहले फेज में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक के गांवों के साथ-साथ से पंजाब तथा राजस्थान के सीमावर्ती कुछ गांव शामिल होंगे.

सभी राज्यों ने सर्वे ऑफ इंडिया के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत इस योजना के लिये ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रोन सर्वे किया जाएगा. इन राज्यों ने डिजिटल संपत्ति कार्ड के प्रारूप और जिन गांवों में ड्रोन सर्वेक्षण किया जाना है उसे अंतिम रूप दे दिया है. पंजाब और राजस्थान में नियमित प्रचालन प्रणाली स्टेशन (सीओआरएस) नेटवर्क की स्थापना के लिए सर्वे ऑफ इंडिया से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं ताकि भविष्य में ड्रोन उड़ाने संबंधी गतिविधियों को संचालित करने में मदद की जा सके.

  • स्वामित्व योजना के तहत वितरित किए गए प्रॉपर्टी कार्ड से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में भी खुशी की माहौल है। सुरेश चंद जी ने बताया कि स्वामित्व योजना में डिजिटल माध्यम का बेहतरीन इस्तेमाल किया गया और कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। #SampatiSeSampanta pic.twitter.com/zyuLTxyi0A

    — Narendra Modi (@narendramodi) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

अलग-अलग राज्यों में स्वामित्व कार्ड को अलग-अलग नाम दिये गए हैं. उत्तराखंड में ‘स्वामित्व अभिलेख, उत्तर प्रदेश में ‘घरौनी’, हरियाणा में ‘टाइटल डीड’, कर्नाटक में ‘रूरल प्रॉपर्टी ओनरशिप रिकॉर्ड’ (आरपीओआर), मध्यप्रदेश में 'अधिकार अभिलेख' और महाराष्ट्र में ‘सनद’ नाम दिया गया है.

योजना का क्या है मकसद?

  • योजना का उद्देश्य ग्रामीण इलाकों की संपत्तियों से जुड़ी भौतिक प्रतियां उनके मालिकों को सौंपना है.
  • इससे संपत्ति का डिजिटल ब्योरा रखा जा सकेगा.
  • ग्रामीणों को न केवल आर्थिक लाभ होगा, बल्कि दशकों से चले आ रहे सम्पत्ति के उनके विवाद भी खत्म हो जाएंगे, उन्हें कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने होंगे.
  • इस योजना से भू-संपत्ति मालिक अपनी प्रॉपर्टी को वित्तीय संपत्ति के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे.
  • इसका इस्तेमाल लोन के लिए अप्लाई करने सहित अन्य आर्थिक लाभ के लिए किया जा सकेगा. इस योजना का शुभारंभ करने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ लाभार्थियों से बात भी करेंगे.
  • पहले चरण में हरियाणा के 221, कर्नाटक के दो, महाराष्ट्र के 100, मध्य प्रदेश के 44, उत्तर प्रदेश के 346 और उत्तराखंड के 50 सम्पत्ति मालिक शामिल हैं.
  • कुल मिलाकर 763 गांवों के जमीन मालिकों को फिजिकल कॉपी के साथ-साथ डिजिटल संपत्ति कार्ड भी प्राप्त होंगे.
  • योजना में राजस्व विभाग और संबद्ध विभागों की अहम भूमिका रही है.
  • इनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में लोगों के स्वामित्व का रिकॉर्ड तैयार किए जा रहे हैं.
  • विवादों के मौके पर निपटान के लिए एक अलग व्यवस्था तैयार की गई है.
  • योजना लागू होने से कब्जे, जल निकासी, सीमाओं के बारे में विवाद में कमी आएगी.
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